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ड्रैगन अभी भी दिखा रहा चालबाजी, बफर जोन से पीछे नहीं हटी चीनी सेना
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन अभी भी अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने अभी तक दोनों देशों में सेना हटाने के लिए बनी सहमति के बिंदुओं को पूरा नहीं किया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन अभी भी अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने अभी तक दोनों देशों में सेना हटाने के लिए बनी सहमति के बिंदुओं को पूरा नहीं किया है। टकराव वाले स्थानों से तो चीनी सेना पीछे हट गई है मगर चीन ने बफर जोन के लिए तय की गई दूरी का पालन अभी तक नहीं किया है। यही स्थिति पेंगोंग में फिंगर 5 की भी है। यहां से भी चीनी सेना दोनों देशों में बनी सहमति के आधार पर पीछे नहीं हटी है।
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सहमति के बावजूद वादा पूरा नहीं
दरअसल चीन ऐसा देश है जिस पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता और वह हमेशा समझौते का पूरी तरह पालन नहीं करता। चीन के साथ यह बात लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी पूरी तरह खरी उतरती है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद हुई बातचीत में तय किया गया था कि दोनों देशों की सेनाएं गलवान घाटी, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स से डेढ़ किलोमीटर पीछे हटेंगी। 30 जून को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बातचीत में अस्थायई बफर जोन बनाने की बात तय हुई थी ताकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव को टाला जा सके।
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गलवान घाटी में चीनी सेना पीछे हटी
बीच में आई खबरों में दावा किया गया था कि चीनी सेना दो से तीन किलोमीटर तक पीछे हट गई है, लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना ने सभी स्थानों पर ऐसा नहीं किया है। सूत्रों केच मुताबिक इन स्थानों से चीनी सेना जरूर पीछे हटी है मगर दोनों देशों के बीच सहमति के बावजूद चीनी सेना हॉट स्प्रिंग्स एवं गोगरा में डेढ़ किलोमीटर भी पीछे नहीं हटी है। जहां तक गलवान घाटी का सवाल है तो यहां जरूर चीनी सेना पीछे हट गई है।
दोनों देशों में फिर हो सकती है बैठक
भारतीय सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना को अभी और पीछे हटने की जरूरत है। सेना के सूत्रों के मुताबिक इस प्रक्रिया में अभी और समय लग सकता है। आने वाले दिनों में दोनों देशों के संग कमांडरों के बीच इस मुद्दे पर और बैठकें हो सकती हैं। सेना के सूत्रों ने कहा कि जब तक टकराव वाले क्षेत्रों से दोनों सेनाएं पीछे नहीं हटती हैं तब तक दोनों देशों के बीच पैदा हुए गतिरोध को समाप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए चीन को ही पहल करनी है।
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ब्रिटेन ने की चीन की तगड़ी घेरेबंदी
इस बीच पश्चिमी देशों और चीन के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से बातचीत की है। दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई बैठक में हांगकांग और मानवाधिकार के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होने की खबर है। ब्रिटेन ने हाल में हांगकांग के साथ प्रत्यर्पण संधि खत्म करने के साथ ही उसे हथियारों की बिक्री भी बंद करने का फैसला किया है। ब्रिटेन ने चीन द्वारा हांगकांग में नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किए जाने के बाद यह फैसला किया है। इससे दोनों देशों के बीच तनातनी काफी बढ़ गई है। ब्रिटेन में चीन के राजदूत लिऊ शियाओमिंग ने ब्रिटेन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि उसे द्विपक्षीय संबंध खराब करने का परिणाम भुगतना होगा।
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