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चीनी कंपनियों को लगातार झटके, भारतीय बाजार से बेदखल करने की तैयारी
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य विवाद बढ़ने के बाद भारत की ओर से ड्रैगन को लगातार झटके दिए जा रहे हैं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य विवाद बढ़ने के बाद भारत की ओर से ड्रैगन को लगातार झटके दिए जा रहे हैं। भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद एलएसी पर तनाव कम नहीं हो रहा है और ऐसे में भारत ने सैन्य मोर्चे के साथ ही आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर ली है। भारत की ओर से चीनी कंपनियों को एक के बाद एक लगातार कई झटके देने की तैयारी की जा रही है।
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चीन से आयात कम करने की तैयारी
भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी करीब 14 फ़ीसदी है। भारत चीन से मुख्य रूप से मोबाइल फोन, प्लास्टिक के खिलौने, टेलीकॉम, पावर और दवा के कच्चे उत्पाद आदि का आयात करता है। मोदी सरकार लगातार इस बात की कोशिश कर रही है कि चीन से आयात को कम किया जाए।
भारतीय उद्यमियों को बढ़ावा देगी सरकार
एमएसएमई मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चीन से करीब 8000 से अधिक आइटम भारत आते हैं। ये आइटम ऐसे हैं जिनकी मैन्युफैक्चरिंग देश में ही काफी आसानी से की जा सकती है। अभी तक उद्यमियों की ओर से इस दिशा में कोई ठोस पहल न किए जाने की वजह से अभी तक इन उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग देश में नहीं हो पर ही है।
मंत्रालय की ओर से ऐसे छोटे आइटम्स की पहचान की जा रही है। सूत्रों का कहना है केंद्र सरकार की ओर से इन सामानों के उत्पादन के लिए मशीनों की खरीदारी एवं फिनिशिंग में इन्हें चीन के बराबर लाने के लिए ऑटोमेशन में उद्यमियों की मदद की जाएगी।
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रेल मंत्रालय का बड़ा फैसला
केंद्र सरकार की ओर से लगातार ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं जो चीन को काफी झटका देने वाले हैं। अभी एक दिन पहले ही रेल मंत्रालय ने 44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के निर्माण के लिए निकाले गए टेंडर को रद्द कर दिया है। इसके लिए छह कंपनियों ने टेंडर डाले थे जिनमें एक चीनी संयुक्त उपक्रम भी शामिल था। यह उपक्रम ही टेंडर पाने की रेस में सबसे आगे था मगर सरकार की ओर से अब टेंडर को ही रद्द कर दिया गया है। रेल मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अब नए सिरे से निविदा निकाली जाएगी और पंद्रह सौ करोड़ का यह काम किसी भारतीय कंपनी को ही सौंपा जाएगा।
सौर ऊर्जा उद्योग में कम होगी निर्भरता
सौर ऊर्जा उद्योग में चीनी कंपनियों ने अपनी पकड़ बनाए रखी है और इस उद्योग से चीनी कंपनियों को बाहर करने और भारतीय कंपनियों को मजबूत करने की दिशा में भी सरकार की ओर से कदम उठाए गए हैं। सरकार ने सोलर माड्यूल्स, सोलर सेल्स और इनवर्टर पर 40 फ़ीसदी तक बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाने का एलान किया है। सोलर सेक्टर से जुड़े कुछ और उपकरणों पर भी जल्दी ही आयात शुल्क लगाया जाएगा।
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अभी तक यह स्थिति है कि भारत में लगने वाली सौर परियोजनाओं में 70 फ़ीसदी से अधिक उपकरण चीन निर्मित होते हैं। सरकार इस मामले में चीन पर निर्भरता को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश में जुटी हुई है।
चीनी उत्पादों की धमक कमजोर पड़ी
चीन के साथ सैन्य तनाव बढ़ने के बाद देश के बाजारों में चीनी उत्पादों की धमक पर काफी असर पड़ा है। मोबाइल बाजार पर चीन की पकड़ पहले की अपेक्षा थोड़ी कमजोर पड़ी है। कई राज्यों में चीनी मोबाइल की बिक्री पर असर पड़ता दिख रहा है।
चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अनुसार पूरे देश में दिवाली पर चीन से करीब एक लाख करोड़ रुपए का सामान आता है। केवल दिल्ली में ही दिवाली के मौके पर चीन के 15 से 20 हजार करोड़ रुपए के सामान की खपत होती है। जानकारों का कहना है कि आने वाली दिवाली पर चीनी सामानों की देश में खपत भी कम होगी।
तेज हुई बहिष्कार की मुहिम
चीन के सामानों का बहिष्कार करने की मुहिम भी तेजी पकड़ रही है। पिछले दिनों रक्षाबंधन के मौके पर काफी संख्या में व्यापारियों ने चीन की राखियां न बेचने का निर्णय लिया था। सूत्रों के मुताबिक चीन की राखियों के करीब 1000 करोड़ रुपए के ऑर्डर रद्द किए गए थे।
सरकार दे रही लगातार झटके
इसके अलावा सरकार की ओर से चीन को आर्थिक मोर्चे पर झटका देने के लिए कई और कदम भी उठाए गए हैं। चीन के सौ से ज्यादा एप्स पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। अमेरिका और ब्रिटेन की राह पर चलते हुए देश में भी 5जी इंटरनेट सेवा की रेस से चीनी कंपनियों की छुट्टी कर दी गई है।
इसके अलावा चीन से बिजली उपकरणों पर रोक लगाने से भी चीन को करीब 21000 करोड रुपए का झटका लगा है। कई राज्यों ने भी चीनी कंपनियों को दिया गया विभिन्न कामों का ठेका रद्द कर दिया है। सरकार की सक्रियता और सख्त फैसलों से साफ है कि सरकार भारतीय बाजार से चीन को बेदखल करने की तैयारी में पूरी शिद्दत से जुटी हुई है
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