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कोरोना वैक्सीनेशन में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री, हो सकता है ये एलान
जैसे-जैसे वैक्सीनेशन अभियान तेज होता जाएगा, वैसे-वैसे निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ती जाएगी। डॉ पॉल ने कहा है कि अभी भी वैक्सीनेशन में निजी क्षेत्र की अच्छी-खासी भूमिका है।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान में जल्द ही निजी क्षेत्र को बड़ी भूमिका मिलने वाली है। वैसे तो वैक्सीन निर्माण ही निजी क्षेत्र कर रहा है लेकिन रोल आउट सरकार के चैनल द्वारा किया जा रहा है। नीति आयोग के सदस्य और महामारी से निपटने के लिए बनाई गई केंद्रीय टीम के प्रमुख डॉ वीके पॉल के नए ऐलान से पता चलता है कि संभवतः लोगों को वैक्सीन लगाने के काम में प्राइवेट सेक्टर को जिम्मेदारी दी जायेगी।
कोरोना वैक्सीनेशन में बढ़ रही निजी क्षेत्र की भूमिका
डॉ वीके पॉल ने कहा है कि जैसे-जैसे वैक्सीनेशन अभियान तेज होता जाएगा, वैसे-वैसे निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ती जाएगी। डॉ पॉल ने कहा है कि अभी भी वैक्सीनेशन में निजी क्षेत्र की अच्छी-खासी भूमिका है।
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डॉ पॉल ने कहा कि वर्तमान में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन कर्मचारियों के वैक्सीनेशन में निजी क्षेत्र प्रमुख रूप से शामिल रहा है। रोजाना होने वाले 10,000 वैक्सीनेशन सेशन में से 2,000 का संचालन निजी क्षेत्र के भागीदार ही करते हैं। इसके अलावा जैसे-जैसे वैक्सीनेशन अभियान में तेजी आती जाएगी, वैसे-वैसे निजी क्षेत्र का जुड़ाव गहरा और व्यापक होता जाएगा। यह कुछ ही दिनों में होगा, बस थोड़ा इंतजार कीजिए।
देश में है वैक्सीनेशन की रफ़्तार धीमी
भारत में कोरोना वैक्सीनेशन चल तो रहा है लेकिन इसकी रफ्तार बहुत कम है और इसी कारण कई विशेषज्ञ वैक्सीनेशन में निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने और उन्हें वैक्सीनेशन करने की अनुमति देने का अनुरोध कर रहे हैं। 135 करोड़ की जनसंख्या में मात्र एक करोड़ लोगों को ही वैक्सीन दी जा सकी है।
डॉ पॉल असल में कोरोना टेस्टिंग का उदाहरण दे रहे हैं जिसमें सरकारी नियंत्रण के कारण पहले निजी क्षेत्र की ज्यादा भूमिका नहीं थी, लेकिन जब सरकार ने निजी लैब्स को टेस्ट करने की इजाजत दी तो टेस्टों की संख्या में बड़ी वृद्धि आई।
गंभीर रोगियों के वैक्सीनेशन की अनुमति अस्पतालों को मिले
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने भी सरकार से वैक्सीनेशन में निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने का अनुरोध किया है। सीआईआई के प्रमुख उदय कोटक ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए कहा था कि अस्पतालों को गंभीर रोगियों और भुगतान करने वाले रोगियों का वैक्सीनेशन करने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कम से कम समय में सभी लोगों तक वैक्सीन पहुंचे और सरकार के संसाधन भी न बंटे।
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जहाँ तक देश में वैक्सीनेशन की बात है तो 16 जनवरी से अब तक 1,11,16,854 लोगों को कोरोना वैक्सीन की खुराक लगाई जा चुकी है। अभी वैक्सीनेशन का पहला चरण चल रहा है और इसके तहत एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और दो करोड़ फ्रंटलाइन कर्मचारियों को वैक्सीन लगाई जा रही है। इसके दूसरे चरण में 50 साल से अधिक उम्र के 27 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। यह चरण मार्च से शुरू हो सकता है। भारत में कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीनें लगायी जा रहीं हैं।