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कांप उठी चीनी सेना: अमेरिका से आई ताकतवर चीज, अब क्या करेंगे सारे दुश्मन देश
अपने नापाक हरकतों से बाज न आने वाले चीन को सबक सीखाने के लिए भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद के तहत अमेरिका से लीज पर दो प्रीडेटर ड्रोन को अपने सेना बल में शामिल कर लिया है। इन दोनों ड्रोन का नाम MQ-9B सीगार्जियन और अनमैन्ड एरिअल वीइकल्स है।
नई दिल्ली: एक तरफ भारत और चीन के बीच लगातार तनातनी जारी है, तो वहीं भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती गहराती जा रही है। इसी दोस्ती को और भी घनिष्ठ बनाने के लिए अमेरिका ने भारत को लीड पर दो प्रीडेटर ड्रोन दिए है, ताकि ड्रैगन के नापाक हरकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकें। इन दोनों ड्रोन का नाम MQ-9B सीगार्जियन और अनमैन्ड एरिअल वीइकल्स है। बता दें कि दोनों प्रीडेटर ड्रोन नवंबर के दूसरे हफ्ते में ही अमेरिका से भारत पहुंच गया था। बताया जा रहा है कि इन दोनों ड्रोन को एलएसी सीमा पर तैनात किया जाएगा।
नवंबर के दूसरे हफ्ते में आया अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन
अपने नापाक हरकतों से बाज न आने वाले चीन को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद के तहत अमेरिका से लीज पर दो प्रीडेटर ड्रोन को अपने सेना बल में शामिल कर लिया है। इन दोनों ड्रोन का नाम MQ-9B सीगार्जियन और अनमैन्ड एरिअल वीइकल्स है। यह दोनों ड्रोन नवंबर के दूसरे हफ्ते में अमेरिका से भारत लाए गये थे। इन दोंनो ड्रोन को नौसेना के आईएनएस रजाली बेस में शामिल किया गया है।
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30 घंटे से ज्यादा आसमान में टिका रहेगा यह ड्रोन
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका से लीज पर लाए गए प्रीडेटर ड्रोन ने उड़ान भरना शुरू कर दिया है। यह ड्रोन आसमान में 40 हजार के फीट की ऊंचाई पर लगभग 30 घंटे या उससे अधिक समय तक टिक सकता है। इतने लंबे समय तक टिके रहने के कारण यह जल सेना के शक्ति को और भी मजबूत करता है। सूत्रों ने बताया कि कंपनी की तरफ से अमेरिकन क्रू भी आए हुए हैं, जो इन ड्रोन को ऑपरेट करने में नौसेना की मदद करेंगे। इन दोनों ड्रोन को अमेरिका से साल की लीज पर भारत लाया गया है। वहीं यह खबर सामने आई है कि भारत ऐसे ही 18 और ड्रोन अमेरिका से ले सकता है।
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अमेरिका ने ली ड्रोन के मेंटेनेस की जिम्मेदारी
सूत्रों ने बताया कि अमेरिका से लीज पर लाए गए दो प्रीडेटर ड्रोन के रख-रखाव की जिम्मेदारी अमेरिकाने खुद लिया है। इन दोनों ड्रोन्स को अमेरिकी फर्म के द्वारा मेंटेन करेगा। सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकन सपोर्ट स्टाफ ने एक लीज अग्रीमेंट किया है, जिसके मुताबिक, अमेरिकन सपोर्ट स्टाफ सिर्फ ड्रोन के मेंटेनेस और तकनीकी मामलों में भारत की सहायता करेंगा।
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