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नक्शे पर भारत ने नेपाल को दी नसीहत, कहा- ऐसा करने से बचें
नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में भारतीय क्षेत्र पर अपना कब्जा दिखाया है। नेपाल के इस कदम पर भारत ने प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने नेपाल को भारत की संप्रभुता का सम्मान करने की नसीहत दी है।
नई दिल्ली: नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में भारतीय क्षेत्र पर अपना कब्जा दिखाया है। नेपाल के इस कदम पर भारत ने प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने नेपाल को भारत की संप्रभुता का सम्मान करने की नसीहत दी है। बुधवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हम नेपाल सरकार से अपील करते हैं कि वो ऐसे बनावटी कार्टोग्राफिक प्रकाशित करने से बचे। साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे।
भारत ने यह भी कहा कि नेपाल सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार करे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि नेपाल सरकार, इस मामले में भारत की स्थिति से भलीभांति वाकिफ है।
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बता दें कि नेपाल सरकार ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी इसमें शामिल किया है। सोमवार को नेपाल कैबिनेट की बैठक में भूमि संसाधन मंत्रालय ने नेपाल का यह संशोधित नक्शा जारी किया था। इसका बैठक में मौजूद कैबिनेट सदस्यों ने समर्थन किया था।
गौरतलब है कि 8 मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था। इसको लेकर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। इसके बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी करने का फैसला किया था और इसमें भारत के क्षेत्रों को भी अपना बताकर दिखाया है।
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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी कहा था कि वो भारत को एक इंच जमीन नहीं देंगे, तो वहीं, नेपाल सरकार के एक मंत्री ने कहा कि सरकार भारत के अतिक्रमण को लंबे समय से बर्दाश्त कर रही थी, लेकिन फिर भारतीय रक्षामंत्री ने लिपुलेख में नई सड़क का उद्घाटन कर दिया।
ये है नेपाल का दावा
नेपाल सरकार सुगौली संधि के आधार पर कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर अपना दावा करती है। नेपाल और ब्रिटिश भारत के बीच 1816 में सुगौली की संधि हुई थी। इस संधि के तहत दोनों के बीच महाकाली नदी को सीमारेखा माना गया था। बताया जा रहा है कि भारत-नेपाल सीमा विवाद महाकाली नदी की उत्पत्ति को लेकर ही है।
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नेपाल ने कहा कि महाकाली नदी लिपुलेख के नजदीक लिम्पियाधुरा से निकलती है और दक्षिण-पश्चिम की तरफ बहती है। हालांकि भारत कालपानी को नदी का उद्गमस्थल मानता है और दक्षिण व आंशिक रूप से पूर्व में बहाव मानता है। इसी को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद है।