TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

भारत-पाकिस्‍तान का युद्ध: ये खतरनाक हमला सालों से झेल रहा देश, अब कैसे निपटेगा

पाकिस्तान खुद कुछ बिगड़ा न पाया भारत का तो उसने टिड्डियों का सहारा लिया। नापाक पाकिस्तान ने इससे पहले राजस्‍थान के जैसलमेर में सन् 1993 में टिड्डियों के झुंड ने हमला किया था।

Vidushi Mishra
Published on: 29 May 2020 2:23 PM IST
भारत-पाकिस्‍तान का युद्ध: ये खतरनाक हमला सालों से झेल रहा देश, अब कैसे निपटेगा
X

नई दिल्ली। पाकिस्तान खुद कुछ बिगड़ा न पाया भारत का तो उसने टिड्डियों का सहारा लिया। नापाक पाकिस्तान ने इससे पहले राजस्‍थान के जैसलमेर में सन् 1993 में टिड्डियों के झुंड ने हमला किया था। इसी कड़ी में एक आला अधिकारी ने तब वार्निंग अधिकारी रह चुके अनिल शर्मा से पूछा, 'जब हमने सीमा पर बाड़ लगा रखी है तो ये टिड्डियों का झुंड भारत में कैसे घुस रहा है?' इस पर शर्मा ने जवाब दिया कि टिड्डी एक कीट होता है, जिसके लिए सीमाएं और बाड़बंदी कोई मायने नहीं रखते हैं।

ये भी पढ़ें...हैरत में पड़ जाएंगे आपः शिक्षिकाएं तैयार कर रही हैं गोबर से सजावटी उत्पाद

करोड़ो का नुकसान करने के साथ-साथ बर्बादी

आधुनिक भारत के रिकॉर्ड के अनुसार, सन् 1812 से 1889 के बीच कम से कम 8 बार देश में टिड्डियों के झुंड ने करोड़ो का नुकसान करने के साथ-साथ बर्बादी भी की थी। इसके बाद सन् 1896 से 1997 के बीच एक और हमला हुआ था।

महामारी के इस दौर में भारत में पाकिस्‍तान की तरफ से आए टिड्डियों के झुंड का प्रकोप अभी भी जारी है। ये झुंड जयपुर और अजमेर तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में इन टिड्डियों से निपटने के लिए बरसों से अपनाई जाने वाली भारत और पाकिस्‍तान की रणनीति फिर चर्चा के केंद्र में है।

टिड्डियों के बारे में चेतावनी

इसी सिलसिले में विदेश मंत्रालय ने बताया कि टिड्डियों से निपटने के लिए पाकिस्‍तान से सहयोग की मांग की है। हालांकि, अभी तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। रिश्‍तों में खटास, युद्ध, आतंकी हमलों और राजनीतिक उठापटक के बाद भी दोनों देशों के बीच टिड्डियों के बारे में चेतावनी देने वाली प्रणाली को लेकर बरसों से सहयोग जारी है।

ये भी पढ़ें...मजदूरों को लेकर सीएम योगी ने दिया आदेश, औद्योगिक विकास तेज करने को कहा

महामारी की इस संकट ग्रस्त स्थितियों को देखते हुए संयुक्‍त राष्‍ट्र खाद्य व कृषि संगठन (यूएनएफएओ) की तरफ से प्रकाशित चेतावनी कार्यालय के इतिहास के अनुसार, सन् 1926 से 1931 के बीच हुए टिड्डियों के झुंड के हमलों में देश में फसलों को 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। जोकि आज के समय में लगभग 10 करोड़ डॉलर मूल्‍य के बराबर होगा।

ये भी पढ़ें...पालघर में पुजारियों को जान से मारने की कोशिश, ऐसे बची साधुओं की जान



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story