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Accidents : भारत की सड़कों पर ट्रक बने हत्यारे

seema
Published on: 21 Feb 2020 1:30 PM IST
Accidents : भारत की सड़कों पर ट्रक बने हत्यारे
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नई दिल्ली: भारत में करीब 90 लाख ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवर हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों तक माल-असबाब पहुंचाते हैं। भारत में देश व्यापी ढुलाई ट्रैफिक में ट्रक का हिस्सा 69 फीसदी है। ये तो हुई आंकड़ों की बात। लेकिन लगभग सभी ट्रक ड्राइवर जरूरत से ज्यादा काम के बोझ के तले हैं। 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, 25 फीसदी ड्राइवर पूरी नींद नहीं लेते तो 53 फीसदी को थकान, अनिद्रा, मोटापा, पीठ - जोड़ों और गर्दन का दर्द, निगाह की कमजोरी, सांस फूलना, तनाव और अकेलेपन से पीडि़त हैं।

यही वजह है कि भारत की सड़कों पर ट्रक हत्यारे बने हुए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, सख्त शेड्यूल और खराब सेहत लोगों की असमय मौत का कारण बन रही है। सड़कों पर जितने हादसे होते हैं उनमें तीसरा सबसे बड़ा हिस्सा ट्रकों का होता है। ये आंकड़ा 12.3 फीसदी है। हादसों में होने वाली मौतों में 15.8 फीसदी का कारण ट्रक होते हैं। ये आंकड़े सड़क मंत्रालय की 2018 की एक रिपोर्ट में दिए गए हैं।

2018 में सड़क हादसों में 151417 मौतें हुईं। इनमें दस फीसदी यानी 15,150 ट्रक ड्राइवर या ट्रक में सवार लोग थे।

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विकसित देशों का हाल

आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में ट्रक ड्राइवर एक बार में अधिकतम 12 घंटे ट्रक चला सकते हैं। इसमें भी हर पांच घंटे पर आधे-आधे घंटे का ब्रेक और लगातार छह घंटे का विश्राम जरूरी है। कनाडा में 13 घंटे की लिमिट और हर दो घंटे पर 15 मिनट का ब्रेक और आठ घंटे का लगातार विश्राम का नियम है। दुर्भाग्य से भारत में ट्रेनिंग, काम के घंटे, आंखों की नियमित जांच आदि के बहुत कम नियम हैं। एक अध्ययन के अनुसार 63 फीसदी ड्राइवर एक दिन में आठ घंटे से ज्यादा ड्राइव करते हैं। 56 फीसदी ड्राईवरों ने बताया कि वे एक या दो छोटे ब्रेक लेते हैं। 5 फीसदी ने बताया कि वे बिना ब्रेक के वाहन चलाते रहते हैं। इसकी वजह समय से माल पहुंचाने की जल्दी होती है।

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जापान में सबसे ज्यादा नुकसान

संयुक्त राष्ट्र के 19 देशों के एक अध्ययन के अनुसार, सड़क हादसों के कारण सबसे ज्यादा मौद्रिक नुकसान जापान में 64 बिलियन डॉलर का हुआ। इसके बाद भारत का नंबर है जहां 58 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

ओवरलोडिंग है कारण

ट्रक ड्राइवरों और विशेषज्ञों के अनुसार, हादसों के कारणों में ओवरलोडिंग, काम के अधिक घंटे, नींद की कमी, खराब सेहत और आंखों की कमजोरी शामिल हैं। इनमें भी सबसे बड़ा ओवरलोडिंग है। सड़क मंत्रालय की 2018 की रिपोर्ट के अनुसारकुल हादसों में 10 फीसदी ओवरलोड वाहनों के हुए। कुल मौतों का 12 फीसदी का कारण ऐसे ही वाहन थे। दरअसल ओवरलोडिंग के कारण टायर फटना, ब्रेक का घिस जाना, सड़क धंसना, संतुलन बिगडऩा आदि चीजें होती हैं। इसके अलावा अगर किसी टैंकर में तरल पदार्थ पूरा नहीं भरा है तो तरल के हिलने से संतुलन बिगडऩे का खतरा रहता है।

पैसे का खेल

ओवरलोडिंग खत्म न होने का कारण पैसे का खेल है जिसमें ट्रांसपोर्ट आफिस, कंसाइनमेंट आफिस और ट्रक मालिक फायदा उठाते हैं। ओवरलोडिंग तभी खत्म हो सकती है जब इन तीनों पार्टियों को जवाबदेह बनाया जाए।

93 फीसदी की आंखें खराब

2017 में साइट सेवर्स इंडिया नामक संस्था ने एक सर्वे किया था जिसमें पाया गया कि 93.2 फीसदी ने कहा कि उन्हें आंखों की जांच कराने की जरूरत है। जांच कैंपों में जितने ट्रक ड्राइवर आए उनमें 42.2फीसदी की आंखों में समस्या पाई गई।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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