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भारत-अमेरिका मिलकर लड़ेंगे: चीन की हालत हुई खराब, सीमा पर तनाव बढ़ा

भारत चीन बॉर्डर पर फिर से तना-तनी का माहौल छाया हुआ है। चीनी सेना बॉर्डर में अपने चीनी सैनिकों की मुस्तैदी बढ़ाने के साथ ही टेंट भी लगवा रही है। बीते बुधवार को अमेरिका ने भारत  का हवाला देते हुए चीन की कड़ी आलोचना की है।

Vidushi Mishra
Published on: 21 May 2020 9:55 AM GMT
भारत-अमेरिका मिलकर लड़ेंगे: चीन की हालत हुई खराब, सीमा पर तनाव बढ़ा
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नई दिल्ली। भारत चीन बॉर्डर पर फिर से तना-तनी का माहौल छाया हुआ है। चीनी सेना बॉर्डर में अपने चीनी सैनिकों की मुस्तैदी बढ़ाने के साथ ही टेंट भी लगवा रही है। बीते बुधवार को अमेरिका ने भारत का हवाला देते हुए चीन की कड़ी आलोचना की है। वहीं अमेरिका के वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ एलिस वेल्स ने चीन के व्यवहार को उकसाने और परेशान करने वाला बताया है। साथ ही अमेरिका ने चीन को कोरोना वायरस महामारी का कसूरवार भी बताया है।

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सैनिकों की तैनाती

बीेते बुधवार को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत और चीन की सेना के जवानों के बीच हुई जबरदस्त झड़प हुई, फिर उसके दो हफ्ते बाद आक्रामक रोब दिखाते हुए लद्दाख में गलवां घाटी और पेंगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्रों में और ज्यादा सैनिकों की तैनाती कर दी गई है।

साथ ही मिली जानकारी के मुताबिक, भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। वहीं अमेरिका ने कहा है कि चीनी सैनिकों का आक्रामक व्यवहार चीन की ओर से पेश खतरे की याद दिलाता है।

अमेरिका के विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि सीमा पर तनाव एक चेतावनी है कि चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी नहीं होती।

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चीन अपनी बढ़ती ताकत

आगे उन्होंने कहा, चाहे दक्षिण चीन सागर का मामला हो या भारत के साथ लगी उसकी सीमा हो, हम चीन की ओर से उकसावे और परेशान करने वाला व्यवहार देख रहे हैं। यह दिखाता है कि चीन अपनी बढ़ती ताकत का किस तरह इस्तेमाल करना चाहता है।

हाल ही में दक्षिण चीन सागर में चीन की तरफ से उसकी सैन्य गतिविधियां बढ़ाए जाने की भी जानकारी मिली थी। जिसके बाद अमेरिका ने भी अपने पोत इस क्षेत्र के लिए रवाना कर दिए थे।

वेल्स ने दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रमता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि चीन पूरे दक्षिण सागर पर दावा करता है, जबकि उसका वियतनाम, मलयेशिया, फिलीपीन, ब्रूनेई और ताइवान के साथ विवाद है। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कई द्वीपों पर सैन्य ठिकाने बना लिए हैं। वेल्स ने कहा कि यह इलाका खनिज संपन्न है और वैश्विक व्यापार के लिए भी अहम रूट है।

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हर राष्ट्र के लिए मुक्त और खुले व्यापार

वेल्स ने कहा कि आप देख सकते हैं कि चीन की नीति के खिलाफ एक समान विचार वाले देश एकत्रित हो रहे हैं। फिर वो चाहे आसियान के जरिए, इसके सदस्य देशों का इकट्ठा होना हो या दूसरे कूटनीतिक समूहों के जरिए।

उन्होंने कहा कि अमेरिका, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और दुनिया के दूसरे मुल्क द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बने आर्थिक सिद्धातों को लागू करने की कोशिश में जुटे हुए हैं, जिसमें हर राष्ट्र के लिए मुक्त और खुले व्यापार की बात की गई है।

एलिस वेल्स ने कहा कि अमेरिका ऐसा वैश्विक तंत्र चाहता है, जिसमें हर मुल्क को फायदा हो ना कि ऐसा तंत्र जिसमें चीन का आधिपत्य हो। मुझे लगता है कि सीमा विवाद का यह उदाहरण चीन द्वारा उत्पन्न खतरे की याद दिलाता है

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मुसतैदी बहुत बढ़ा दी

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील के आसपास के क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से अपनी मुसतैदी बहुत बढ़ा दी और यहां तक कि झील में अतिरिक्त नाव भी ले आए हैं।

वहीं ये भी बताया कि ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों ने डेमचौक और दौलत बेग ओल्डी जैसे स्थानों पर बहुत ज्यादा सैनिक तैनात किए हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि गलवां के आसपास का क्षेत्र बीते छह दशकों से दोनों पक्षों के बीच विवाद चल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीनी पक्ष ने गलवां घाटी क्षेत्र में बड़ी संख्या में टेंट लगाए हैं। इसके बाद भारत ने भी इलाके में मुस्तैदी और बरतने के लिए अपने ज्यादा से ज्यादा सैनिक भेजे हैं।

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