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लॉकडाउन से भारत को होगा इतना घाटा, इस ब्रिटिश एजेंसी ने बताया अनुमान
ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने कहा है कि कोरोना के चलते 3 मई तक बढ़ाए गए इस देशव्यापी लॉकडाउन से देश को 234.4 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान होगा।
नई दिल्ली: पूरे देश में इस समय कोरोना का कहर जारी है। देश में वायरस पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा पूरे देश में 25 मार्च को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लागू किया गया था। जिसकी मियाद 14 अप्रैल यानी आज समाप्त हो गई। लेकिन देश में कोरोना के मरीजों पर अंकुश नहीं लगा। उनकी संख्या लगातार बढ़ ही रही है। ऐसे में पीएम मोदी आज देश को संबोधित करते हुए पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन को आगे बढ़ा दिया। एक और देश में लॉकडाउन बढ़ने से कोरोना पर तो असर पड़ने की उम्मीद है। लेकिन वहीं लगातार इतने दिनों के लिए देश की सारी सेवाओं के बंद होने से देश की अर्थव्यवस्था पर इसका गहर असर पड़ेगा।
कैलेंडर वर्ष 2020 में शून्य होगी आर्थिक वृद्धि
सरकार द्वारा 3 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाने पर ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने कहा है कि कोरोना के चलते 3 मई तक बढ़ाए गए इस देशव्यापी लॉकडाउन से देश को 234.4 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान होगा। इसके चलते कैलेंडर वर्ष 2020 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) स्थिर रह सकती है। बार्कलेज ने कहा कि आर्थिक वृद्धि कैलेंडर वर्ष 2020 के लिए शून्य होगी और वित्त वर्ष के नजरिए से देखा जाए तो 2020-21 में इसमें 0.8 फीसदी वृद्धि ही होगी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तीन सप्ताह के लिए लॉकडाउन को बढ़ाने का एलान किया, जो अब तीन मई तक लागू होगा। वहीं विश्व बैंक के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में 1.5 फीसदी से 2.8 फीसदी रह सकती है। 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद से यह सबसे धीमी वृद्धि दर होगी।
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इससे पहले था वृद्धि का अनुमान
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में संक्रमण से अप्रभावित रहने वाले क्षेत्रों को 20 अप्रैल से कुछ राहत देने का संकेत दिया। लेकिन कहा कि यह छूट सख्त निगरानी पर आधारित होगी। वहीं ब्रोकरेज फर्म की ओर से पहले कहा गया था कि तीन सप्ताह के लॉकडाउन में 120 अरब अमरीकी डॉलर का अर्थिक नुकसान होने की आशंका है। लेकिन अब यह घाटा बढ़ कर 234.4 अरब अमरीकी डॉलर तक का होने का अनुमान है।
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वहीं इससे पहले ये उम्मीद की जा रही थी कि भारत कैलेंडर वर्ष 2020 में ढाई फीसदी की वृद्धि दर्ज करेगा। लेकिन अब इसे घटाकर शून्य कर दिया गया है। दूसरी ओर वित्त वर्ष 2020-21 में पहले 3.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया गया था, जिसे अब घटाकर 0.8 फीसदी कर दिया गया है। टिप्पणी में कहा गया है कि विशेष रूप से खनन, कृषि, विनिर्माण और उपयोगिता क्षेत्रों पर अनुमान से अधिक नकारात्मक असर देखने को मिलेगा।