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ऑटो सेक्टर के कई हजार कर्मचारियों की नौकरी पर लटक रही है तलवार

ऑटो उद्योग में आई गिरावट का असर एसोसिएशन ऑफ इंडिया फोर्जिंग इंडस्ट्री (AIFI) की आय पर पड़ा है। क्योंकि भारतीय ऑटो सेक्टर इस समय बहुत सी मुश्किलें झेल रहा है। भारतीय ऑटो उद्योग में तेजी से आई गिरावट की वजह से गाड़ियों के पार्ट्स सप्लाई करने वाली 400 कंपनियों को इस वित्तीय वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

Roshni Khan
Published on: 24 Aug 2019 4:59 AM GMT
ऑटो सेक्टर के कई हजार कर्मचारियों की नौकरी पर लटक रही है तलवार
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नई दिल्ली: ऑटो उद्योग में आई गिरावट का असर एसोसिएशन ऑफ इंडिया फोर्जिंग इंडस्ट्री (AIFI) की आय पर पड़ा है। क्योंकि भारतीय ऑटो सेक्टर इस समय बहुत सी मुश्किलें झेल रहा है। भारतीय ऑटो उद्योग में तेजी से आई गिरावट की वजह से गाड़ियों के पार्ट्स सप्लाई करने वाली 400 कंपनियों को इस वित्तीय वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। जिस वजह से कंपनियों ने हजारों लोगों की छुट्टी कर दी है। भारतीय ऑटो उद्योग के कारोबार में गिरावट का असर उन्हें माल सप्लाई करने वाली कंपनियों के कारोबार पर भी पड़ा है।

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AIFI की वार्षिक आय लगभग 50 हजार करोड़ थी

आपको बता दें कि पिछले वर्ष AIFI की वार्षिक राजस्व आय लगभग 50 हजार करोड़ रुपए थी। भारतीय फोर्जिंग उद्योग संघ के दो वरिष्ठ सदस्यों ने बताया कि ऑटो उद्योग में आई गिरावट का असर 400 सदस्यीय औद्योगिक इकाइयों पर पड़ा है जो AIFI के अंतर्गत आते हैं। इससे प्रभावित होने वाली कंपनियों में 180 से 200 विनिर्माण इकाइयां हैं। 83% छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयां हैं। 9% मध्यम इकाइयां हैं और बाकी बड़े पैमाने पर औद्योगिक निर्माता हैं।

इस सेक्टर में गिरावट का सबसे ज्यादा हानि लघु उद्योग को हुआ है। वर्ष 2018-19 के उत्पादन से फोर्जिंग उद्योग को लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का आय प्राप्त हुआ था, लेकिन इस वित्त वर्ष में फोर्जिंग इंडस्ट्री को 9 से 10 हजार करोड़ रुपए तक का नुकसान होने का अनुमान है।

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वाहनों की बिक्री में आई गिरावट

ऑटो सेक्टर के वाहनों की बिक्री में आई गिरावट से मुख्य रूप से छोटे पैमाने की इकाइयां प्रभावित होंगी। तुलनात्मक रूप से देखें तो मध्यम और बड़े पैमाने के फोर्जिंग उद्योगों के मुकाबले छोटे पैमाने की इकाइयों को ज्यादा बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

विपरीत प्रभाव तब होता है जब इन्वेंट्री अटक जाती है, फंड रोक दिया जाता है या फिर लिक्विडिटी (तरलता) बहुत दयनीय स्थिति में होती है। ऑटो सेक्टर BS-4 से BS-6 में होने वाले परिवर्तन के कारण संकट में है। BS-6 के इंतजार में कारों की बिक्री में तेजी से कमी आई है।

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परेशानी ये है कि ऑटो सेक्टर में गिरावट के कारण छोटे उद्योगों के माल की खपत नहीं हो पा रही है। ऑटो पार्ट्स के खपत नहीं होने की स्थिति में उन्हें बनाने वाली छोटी कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। कच्चा माल बचेगा तो उन्हें बनाने वाली कंपनियां ऑटो पार्ट्स की कीमतों को कम करने पर मजबूर हो जाएंगी। जिसके परिणामस्वरूप लघु उद्योगों में काम कर रहे लोगों भारी संख्या में नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।

Roshni Khan

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