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चीन को कड़ा जवाब: भारत ने तैनात किए ताकतवर टैंक, जवानों ने यहां संभाला मोर्चा
भारत ने लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और डेपसांग में चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए काफी संख्या में सैनिकों और टैंक रेजीमेंट की तैनाती कर दी है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। भारत ने लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और डेपसांग में चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। इस इलाके में चीन की ओर से 17 हजार से अधिक सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों की तैनाती की गई है। चीन की शातिर चालों से सतर्क होते हुए भारत ने भी इस इलाके में काफी संख्या में सैनिकों और टैंक रेजीमेंट की तैनाती कर दी है। चीन इस इलाके में एक सड़क बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है और इस कारण भारतीय सेना सतर्क हो गई है।
टी-90 टैंक रेजीमेंट की तैनाती
जानकार सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना की मंशा को भांपते हुए भारतीय सेना सतर्क हो गई है। चीनी सेना को सबक सिखाने के लिए भारत की ओर से डीबीओ और डेपसांग के समतल इलाके में टी-90 टैंक रेजीमेंट सहित भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। सूत्रों ने बताया कि भारत में काराकोरम दर्रा के पास से लेकर डेपसांग के मैदानों के पास पेट्रोलिंग पॉइंट एक तक इन सैनिकों और टैंकों की तैनाती की गई है।
इलाके में 17000 चीनी सैनिक तैनात
रक्षा सूत्रों के मुताबिक चीन ने इस इलाके में अप्रैल-मई के बाद से ही अपने सैनिकों की संख्या में काफी इजाफा किया है। इस समय इस इलाके में करीब 17000 से अधिक चीनी सैनिक तैनात हैं। इसी कारण भारतीय सेना भी सतर्क हो गई है।
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जवाब देने के लिए सेना सतर्क
भारतीय सेना की ओर से बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती चीन को जवाब देने के नजरिए से की गई है। यह तैनाती इस तरीके से की गई है ताकि चीनी सैनिकों के कुछ भी गड़बड़ करने पर उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इलाके में चीनी सैनिकों की तैनाती से पहले डीबीओ और डेपसांग में भारत की ओर से सिर्फ एक माउंटेन ब्रिगेड और आर्मर्ड ब्रिगेड की ही तैनाती थी मगर चीन के खतरनाक मंसूबों को देखते हुए अब भारत ने इस इलाके में 15,000 से अधिक सैनिकों की तैनाती की है। इसके साथ ही टैंक रेजीमेंट की भी तैनाती की गई है।
इलाके में सड़क बनाना चाहता है चीन
रक्षा सूत्रों का कहना है कि चीन इस इलाके में एक सड़क बनाना चाहता है। चीन की मंशा चीनी कब्जे वाली जमीन में टीडब्ल्यूडी बटालियन मुख्यालय से लेकर कराकोरम दर्रे तक सड़क बनाने की है। चीन ने काफी सोच समझकर यह सड़क बनाने की योजना तैयार की है। यह सड़क सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस सड़क के बन जाने से चीन की सेना मात्र 3 घंटे में एक बटालियन मुख्यालय से दूसरे बटालियन मुख्यालय तक पहुंचने में कामयाब हो जाएगी। अभी तक चीन की सेना जिस हाईवे का इस्तेमाल करती है उसमें 15 घंटे का समय लगता है।
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भारत पहले भी कर चुका है कार्रवाई
चीन की सड़क बनाने की इस मंशा को भागते हुए भारत सतर्क हो गया है। भारत नहीं चाहता कि चीन इस सड़क को बनाकर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस इलाके में अपना दखल बढ़ाए। इसी कारण भारतीय सेना चीन की मंशा को पूरा नहीं होने देना चाहती। भारतीय सेना ने पिछले साल भी इस इलाके में एक नाले पर पुल बनाने की चीन की कोशिशों को ध्वस्त कर दिया था।
दोनों पक्षों के बीच नहीं हुई बातचीत
मौजूदा समय में भारत और चीन के बीच फिंगर एरिया और टकराव वाले अन्य स्थानों से सेना घटाने के लिए वार्ता का दौर जारी है। हालांकि चीन अभी तक अपने वादे पर खरा नहीं उतरा है। उसने कई बार वादा करने के बावजूद लद्दाख में महत्वपूर्ण बिंदुओं से अपने सैनिक नहीं हटाए हैं। डीबीओ और डेपसांग इलाके में चीनी सैनिकों के जमावड़े पर अभी तक दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है।
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