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भारतीय रेलवे ने शुरू किया काम, अब सिक्किम तक जाएगी ट्रेन
रेल मंत्रालय नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में 491 प्रोजेक्ट्स पूरा करेगा जिस पर 6.48 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इन प्रोजेक्ट्स में 189 नई रेल लाइनें, 55 आमान परिवर्तन और 247 डबलिंग प्रोजेक्ट शामिल हैं।
नीलमणि लाल
लखनऊ: भारतीय रेलवे बंगाल में सिवोक से सिक्किम के रंगपो तक रेलवे लाइन के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इस लाइन के चालू होने पर मात्र दो घंटे में ये सफर हो जाएगा। नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे और इनकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने मिल कर सिवोक-रंगपो के बीच 44.98 किमी लंबी रेलवे लाइन बिछाने का प्रस्ताव रखा है।
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इस प्रोजेक्ट की लागत 4085.58 करोड़ रुपए आंकी गई है। प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो चुका है। सिवोक से रंगपो के बीच सडक़ संपर्क मार्ग की स्थिति ठीक नहीं है। भूस्खलन आदि वजहों से मानसून के दौरान ये सडक़ ज्यादातर बंद ही रहती है।
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रेलवे लाइन बन जाने से रेग्यूलर यात्रियों व पर्यटकों को बहुत सुविधा हो जाएगी। चूंकि सिक्किम की सीमा चीन से लगी हुई है सो भारतीय सेना की आवाजाही में भी बहुत सहूलियत हो जाएगी।
यहां से गुज़रेगी रेल
- नई रेलवे लाइन सिवोक से रियांग, तीस्ता बाजार, मेली होते हुए रंगपो तक जाएगी। तीस्ता बाजार में अंडरग्राउंड रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा।
- 44.98 किमी लंबे रूट पर 19 पुल और 14 सुरंगें होंगी। इन सुरंगों की कुल दूरी 38.55 किमी लंबी होगी यानी पूरे रूट का 85 फीसदी हिस्सा सुरंगों का होगा। इस रूट पर सबसे लंबी सुरंग 5270 किमी की होगी। सबसे छोटी सुरंग 538 मीटर की होगी।
- सिवोक - रंगपो लाइन पहाड़ों और वादियों से हो कर गुजरेगी। इसमें महानंदा वन्य जीव अभराण्य, कर्सियांग वन्य डिवीजन, दार्जिलिंग वन्य डिवीजन और पूर्वी सिक्कम वन्य डिवीजन पड़ेगा। इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। चूंकि रेलवे लाइन का बड़ा हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा सो जंगलों को कोई नुकसान न होने का दावा किया जा रहा है।
15 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर है खर्चा
नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे बंगाल, के सात जिलों व बिहार के पांच जिलों के अलावा उत्तर पूर्व के 8 राज्यों में रेलवे लाइनों, ट्रेनों की सेवाओं के लिए जिम्मेदार है। नॉर्थ ईस्ट में सबसे पहली ट्रेन 137 साल पहले डिब्रूगढ़ में चली थी।
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रेलवे के अनुसार नॉर्थ ईस्ट की भौगोलिक संरचना के कारण वहां रेलवे लाइन बिछाने का खर्चा 15 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर है जबकि मैदानी इलाकों में यही 6 से 7 करोड़ रुपए पड़ता है। डबल लाइन ट्रैक बिछाने के लिए नॉर्थ ईस्ट में 20 से 25 करोड़ रुोपए प्रति किमी का खर्चा आता है।
नक्शे पर लाने की दिशा में हो रहा काम
नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे यानी एनएफआर सन 2020 तक इम्फाल (मणिपुर), ऐजल (मिजोरम) और कोहिमा (नागालैंड) को रेल नेटवर्क के नक्शे पर लाने की दिशा में काम कर रहा है। एनएफआर पहले ही अगरतला (त्रिपुरा) और इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) को रेलवे मैप ला चुका है। एनएफआर का काम अगरतला से अखौरा (बांग्लादेश) के बीच रेलवे लाइन बिछाने पर चल रहा है।
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एनएफआर की एक महत्वाकांक्षी योजना अरुणाचल प्रदेश में तवांग तक ट्रैक बिछाने की है। 166 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक का 80 फीसदी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा जिसमें सबसे लंबी सुरंग 29.48 किमी की होगी। इस रेलवे लाइन का काफी हिस्सा दस हजातर फुट की ऊंचाई पर गुजरेगा।
- मणिपुर की राजधानी इम्फाल तक रेलवे लाइन बिछाने का काम 65 फीसदी पूरा हो चुका है। पूरा प्रोजेक्ट २०२१ तक खत्म हो जाने की उम्मीद है। इसके बाद म्यांमार सीमा पर स्थित मोरेह शहर तक रेलवे लाइन बिछाने का प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। ये लाइन ट्रांस एशियन रेलवे लाइन का हिस्सा होगी।
- मिजोरम की राजधानी ऐजल को रेलवे से जोडऩे का काम 60 फीसदी पूरा हो चुका है और 2021 के अंत तक ये प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
- रेल मंत्री पियूष गोयल का कहना है कि 2021-22 तक सभी सात नॉर्थ ईस्ट राज्यों में समस्त रेलवे लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन कर लिया जाएगा।
- रेल मंत्रालय नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में 491 प्रोजेक्ट्स पूरा करेगा जिस पर 6.48 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इन प्रोजेक्ट्स में 189 नई रेल लाइनें, 55 आमान परिवर्तन और 247 डबलिंग प्रोजेक्ट शामिल हैं।