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मिर्जापुर से तय होता है IST का मानक समय, रावण के समय भी यही था काल का केंद्र बिंदु

 देश में अगर सबसे पहले कहीं सुबह होती है तो वो जगह अरुणाचल प्रदेश की  देवांग घाटी है, जहां सूरज ढ़ाई घंटे पहले निकलता है। लेकिन हम यहां बात अरुणाचल प्रदेश की नहीं कर रहे हैं।बल्कि हम बात कर रहे उत्तर प्रदेश के मीरजापुर की। मीर्जापुर केवल धार्मिक व औद्योगिक नगरी नहीं, बल्कि यह शहर पूरे देश के समय को भी तय करता है। इससे भी इस शहर की पहचान है।

suman
Published on: 23 Oct 2019 8:02 AM GMT
मिर्जापुर से तय होता है IST का मानक समय, रावण के समय भी यही था काल का केंद्र बिंदु
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देश में अगर सबसे पहले कहीं सुबह होती है तो वो जगह अरुणाचल प्रदेश की देवांग घाटी है, जहां सूरज ढ़ाई घंटे पहले निकलता है। लेकिन हम यहां बात अरुणाचल प्रदेश की नहीं कर रहे हैं।बल्कि हम बात कर रहे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की। मिर्जापुर केवल धार्मिक व औद्योगिक नगरी नहीं, बल्कि यह शहर पूरे देश के समय को भी तय करता है। इससे भी इस शहर की पहचान है।न्यूजट्रैक के लिए बृजेंद्र दुबे की स्पेशल रिपोर्ट...

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ऐसा है मिर्जापुर

मिर्जापुर जहां मां विन्धयवासिनी आशीर्वाद है। शहर की सुबह मां के जयकारों की गूंज से होती है। इसके अलाव इस शहर को कालीन निर्माण व पीतल उद्योग के लिए भी जानते हैं। कहते हैं मीर्जापुर का प्राचीन नाम पम्पापुर भी था जहां पर नागवंशी राजाओं का राज्य हुआ करता था। यह शहर मानचित्र में 82.5° पूर्व पर बसा है, इस शहर का अमरावती चौराहा जो विन्धयाचल मंदिर के पास है। आज के समय में यह शहर से देश का वक्त भी तय होता है। इस शहर का क्लब टावर घड़ी के वक्त को सही करता है, मतलब (IST) इंडियन स्टैंडर्ड टाइम।

पहला टाइम जोन

साल 1802 में जॉन गोल्डिंगहम ने भारत का पहला समय क्षेत्र बनाया, जो कि मद्रास के ऊपर से गुजरता था समय क्षेत्र GMT का मतलब ग्रीन व्हिच मीन टाइम से है जो कि 5 घण्टे 21 मिनट आगे था। इसके बाद हमारे देश मे दो और नया टाइम ज़ोन बने जो कि एक बॉम्बे टाइम तो दूसरा कलकत्ता टाइम ।इस तरह तीन-तीन टाइम जोन होने के बाद भी ब्रिटिश अधिकारियों ने 1905 में आधिकारिक तौर पर एक नया टाइम जोन बनाया जिसे इंडियन स्टैण्डर्ड टाइम कहा गया। जो आजादी के बाद देश में एक सितम्बर को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। लेकिन बॉम्बे व कलकत्ता ने अपने टाइम ज़ोन (समय क्षेत्र) को नहीं छोड़ा ।

यहां से मिलती है समय की सही जानकारी

आईएसटी (IST) टाइम का देशांतर है जो 82.567° पूर्व है जो कि ठीक मीर्जापुर के अमरावती चौराहा से होकर गुजरता है। इंडियन स्टैण्डर्ड टाइम जो ग्रीनविच मीन टाइम से 5 घंटे 21 मिनट आगे है। परमाणु घड़ी के जरिये इन समय के संकेत को समझने में मदद मिलती है। ये घड़ियां इतनी उत्तम होती है की आने वाले 300 सौ सालों तक समय में एक सेकेंड की गलती की गुंजाइश नहीं रहती और ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन देश के लोगों को सही समय की जानकारी देने का काम करते हैं ।

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अरुणांचल प्रदेश में 4 बजे सूर्योदय तो गुजरात में 6 बजे

मिर्ज़ापुर का देशांतर पूर्व और पश्चिम के बीचों-बीच पड़ता है। जो समय के मानक को निर्धारित करने के लिए उत्तम नहीं है। पश्चिम में 68.7° से लेकर पूर्व में 97.25° तक फैले इस देश में एक टाइम जोन है जो दो अलग-अलग समय की तस्वीरे देता है। जैसे अरुणाचल में 4 बजे सुबह तो गुजरात में 6 बजे।

कई इलाकों में लोग अपना अलग-अलग टाइम जोन का उपयोग करते है जैसे कि असम के चाय बागानों में उपयोग होने वाला बागान टाइम जो कि ISD से भी एक घंटे आगे होता है इसलिए देश में टाइम जोन की समस्या को खत्म करने के लिए 2001 में पहली बार विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक कमेटी बनाई थी जो कि सन 2004 में इस कमेटी ने एक रिपोर्ट में कहा था कि दो अगल-अलग टाइम जोन की जरूरत इस देश को है। उसके बाद से कई बार ये बात उठी की भारत मे दो अलग-अलग टाइम जोन हो लेकिन उस पर कोई फैसला अभी तक नही हो सका।

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धार्मिक कथा

मिर्जापुर जहां पर विंध्याचल देवी का मंदिर है जो कि आस्था का केंद्र भी है इस विंध्याचल मंदिर में लाखों करोड़ों श्रद्धालु मत्था टेकने आते है उसी मंदिर से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर बना यह टाइम जोन जो कि पूरे भारत देश के समय का निर्धारण केंद्र भी है यह अनोखा और अलौकिक है। मानक समय के संबंध में यह कहानी है कि राक्षसराज रावण जिसने काल को अपने वश में कर रखा था, वह विंध्य क्षेत्र को ही पृथ्वी का केंद्र मानता था। विंध्याचल की जयपुरिया गली स्थित विंध्य महादेव मंदिर को लंकाधिपति रावण पृथ्वी का मध्य बिंदु मानता था। उसके अनुसार मां विंध्यवासिनी बिंदुवासिनी थी। भौगोलिक दृष्टि से जब इस तथ्य को जांचा गया तो अमरावती के पास का स्थान विंध्य महादेव से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थान मीरजापुर-इलाहाबाद मार्ग पर विंध्याचल के दक्षिणी अमरावती के पास स्थित है। यहां पर दिल्ली की संस्था स्पेस ने अपने रिसर्च के आधार पर निकाले निष्कर्ष के तहत एक बोर्ड लगवाया और वहां पर संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई।

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