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पाकिस्तान को झटका: मोदी सरकार ने किया पाक पर वार, हालत हुई खस्ता
केन्द्र सरकार में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है सिंधु जल संधि के तहत भारत के बड़े हिस्से का पानी पाकिस्तान की ओर जाता है। हम इस पर तेजी से काम कर रहे हैं कि हमारे हिस्से का जो पानी पाकिस्तान की ओर जा रहा है, उसे डायवर्ट किया जाएगा।
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से केन्द्र सरकार द्वारा आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। पाकिस्तान भारत के इस फैसले से परेशान होकर इस मामले को अब इंटरनेशनल लेवल पर ले जाने की कोशिश कर रहा है। भारत भी किसी से कम नही है। भारत भी इसी बीच पाकिस्तान को झटका देने की तैयारी में है।
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अब रोका जाएगा पानी
केन्द्र सरकार में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है सिंधु जल संधि के तहत भारत के बड़े हिस्से का पानी पाकिस्तान की ओर जाता है। हम इस पर तेजी से काम कर रहे हैं कि हमारे हिस्से का जो पानी पाकिस्तान की ओर जा रहा है, उसे डायवर्ट करके अपने देश के किसानों, कारखानों और लोगों के इस्तेमाल के लिए लाया जा सके।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने आगे कहा कि हम हाइड्रोलॉजिकल और टेक्नो फिजिबिलिटी स्टडीज पर काम कर रहे हैं, मैंने निर्देश दिया है कि इसे तुरंत किया जाना चाहिए, ताकि हम अपनी योजनाओं को अंजाम दे सकें।
आगे शेखावत ने कहा कि रावी, ब्यास और सतलुज नदी कई सहायक नदियाें का पानी पाकिस्तान की तरफ जाता है। ऐसे में भारत की ओर से तैयारी की जा रही है कि ये पानी पाकिस्तान की तरफ न जा सके।
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आपको बता दें कि शेखावत का सिंधु जल संधि को लेकर बयान तभी आया जब भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव चल रहा है। मोदी सरकार के अनुच्छेद 370 हटाए जान के बाद से ही पाकिस्तान नए-नए तरीके निकाल रहा है भारत को परेशान करने के लिए।
आपको बता दें कि इनसे पहले पाकिस्तान के लिए भारत की नदियों का पानी रोके जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी मई में बयान दिया था। नितिन गडकरी ने कहा था कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद का समर्थन कर रहा है इसके चलते भारत, पाकिस्तान की ओर जाने वाली नदियों के पानी को रोकने की तैयारी कर रहा है।
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क्या है सिंधु जल संधि
जानकारी के लिए बता दें कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने सन् 1960 सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के मुताबिक पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का पूरी तरह से अधिकार है। इसके बदले में भारत को पश्चिमी नदियों- सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी निर्बाध रूप से पाकिस्तान को देना होगा।
सिंधु जल संधि के अनुसार भारत भी पश्चिमी नदियों का पानी का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन वो भी सिर्फ घरेलू, सिंचाई और हाइड्रोपावर प्रोडक्शन के लिए कर सकता है। भारत कारखानों के लिए इस पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।