मोदी सरकार ने उठाया बड़ा कदम, अब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम...

पूर्व विदेश मंत्री व भाजपा की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विदेश मंत्रालय ने एक अनोखी पहल की है।

suman
Published on: 13 Feb 2020 2:14 PM GMT
मोदी सरकार ने उठाया बड़ा कदम, अब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम...
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sushma swaraj

नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री व भाजपा की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विदेश मंत्रालय ने एक अनोखी पहल की है।केंद्र सरकार ने दिल्ली के प्रवासी भारतीय केंद्र का नाम बदलकर सुषमा स्वराज भवन और विदेश सेवा संस्थान का नाम सुषमा स्वराज विदेश सेवा संस्थान करने का फैसला किया है।

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दिवंगत सुषमा स्वराज की जयंती 14 फरवरी को है। उनका जन्म 14 फरवरी, 1952 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था। पिछले साल 6 अगस्त को 67 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। स्वराज ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आखिरी सांस ली थी।

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विदेश मंत्रालय की छवि को बदला

विदेश मंत्रालय के मुताबिक उनके द्वारा किए गए कामों और विदेश मंत्री के तौर पर शानदार सेवा करने के लिए सम्मान के तौर पर यह फैसला लिया गया है। सुषमा स्वराज विदेश मंत्री रहते हुए काफी लोकप्रिय रहीं। अपने कार्यकाल के दौरान विदेश में फंसे कई भारतीयों की मदद की। वह एक ट्वीट के जवाब में भी लोगों की मदद करने को हमेशा तैयार रहती थीं।

जब सुषमा स्वराज विदेश मंत्री बनी तो उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय की छवि को बिल्कुल बदल दिया था। वो एक बेहद ही परिपक्व विदेश मंत्री थीं। वो जटिल से जटिल मामले को समझकर अपने सहायकों को ठीक-ठीक बताती थीं कि क्या करना है। हर मुद्दे पर उन्हें गहरी समझ थी।

वो हर समस्या को महत्व देती थीं, चाहें विदेश में किसी का पासपोर्ट खो गया हो, या किसी को भारत सरकार की मदद की ज़रूरत है तो वो ऐसे लोगों की परेशानी दूर करने के लिए ज़रूरी क़दम उठाती थीं। उनके प्रयासों की वजह से आज दुनिया भर में मौजूद भारतीयों के मन में ये भरोसा कायम हुआ है कि किसी भी समस्या में फंसने पर विदेश में मौजूद भारतीय दूतावास उनकी हर संभव मदद करेंगे।

उन्होंने ट्विटर के ज़रिए विदेश मंत्रालय और इसके अधिकारियों के प्रति लोगों में भरोसा कायम किया। हर रोज़ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बसे भारतीय उन्हें ट्वीट किया करते थे।कई बार तो ऐसे लोगों की मदद करने के लिए वह चाहे दिन हो या रात खुद ही विदेशों में तैनात भारतीय अधिकारियों को फोन कर देती थीं।

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