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भारतीय सेना कौन सी बंदूकें करती है इस्तेमाल, आखिर किस कैटेगरी में आती हैं ये Guns, आइए जानते हैं इससे जुड़े कुछ रोचक

Indian Army Guns : भारतीय सेना कई अलग-अलग बंदूकों का इस्तेमाल करती है। ये बंदूक उनके उपयोग के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में आती हैं।

Jyotsna Singh
Published on: 4 May 2023 10:08 AM GMT
भारतीय सेना कौन सी बंदूकें करती है इस्तेमाल, आखिर किस कैटेगरी में आती हैं ये Guns, आइए जानते हैं इससे जुड़े कुछ रोचक
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indian army (newstrack)

Indian Army Guns : छोटे फायर आर्म्स जैसे पिस्टल, हैंडगन, शॉटगन, सब-मशीन गन इनका प्रयोग मौका और जरूरत के अनुसार भारतीय सेना के जवान आतंकी गतिविधियों के वक्त करते है दरअसल जब मुकाबला करीब से करना हो तो छोटे आर्म्स ऐसी सिचुएशन सेनिपटने के लिए कहीं ज्यादा सुविधाजनक साबित होते है। भारतीय सेना में प्रयोग की जाने वाली ये बंदूकें किस कैटेगरी में आती हैं, जिनका उपयोग भारतीय सेना कर रही है यहां है सारी जानकारी,,,

बरेटा पीx4 स्टॉर्म (Beretta Px4 Storm) पिस्टल

भारत में पैरा (स्पेशल फोर्सेस) कमांडो इसे साइड आर्म के तौर पर अपने पास रखते हैं।
बरेटा पीx4 स्टॉर्म (Beretta Px4 Storm) इटैलियन पिस्टल है। इसके कई वर्जन हैं। यह 9x19mm पैराबेलम सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल है साथ ही इसकी गोली 1181 फीट प्रति सेकेंड की गति से जाती है। इस पिस्टल के दो प्रमुख वैरिएंट हैं, जो 25 मीटर और 50 मीटर की रेंज में सटीक निशाना लगाते हैं। इसमें अलग-अलग राउंड्स की मैगजीन लग जाती है। इसकी मैगजीन वैरिएंट्स के हिसाब से 9, 10, 14, 15, 17, 20 राउंड्स की आती हैं।

12 बोर पीएजी (12 Bore PAG)

इसका उपयोग सेना आमतौर पर आतंकियों को तितर-बितर करने के लिए करती है। इसमें गोलियों के बजाय छर्रे निकलते हैं। जो एकसाथ कई लोगों को गंभीर रूप से घायल कर सकते हैं।
12 बोर पीएजी (12 Bore PAG) एक शॉट गन है। आमतौर पर इसकी बैरल 510 मिलीमीटर की होती है। लेकिन सेना इसके 478 मिलीमीटर बैरल वाले वर्जन का उपयोग करती है। इसमें 12 बोर के राउंड्स लगते हैं। इसमें मैगजीन नहीं होती। बंदूक में ही चार गोलियां एकसाथ डाउनलोड होती हैं। इसका वजन 3.05 किलोग्राम होता है।

हेकलर एंड कोच MP5 (Heckler & Koch MP5)

इस सब-मशीन गन को दुनिया के कई देश उपयोग में लाते हैं। जर्मनी में बनी दुनिया की बेहतरीन सब-मशीन गन में शामिल है। 9x19 मिलिमीटर पैराबेलम वाली गोलियों के साथ इस गन के कई वैरिएंट्स हैं, जिनका वजन मैगजीन और अन्य एसेसरीज लगाने से घट बढ़ जाता है। इसमें तीन तरह की मैगजीन लगती हैं, 9x19 मिमी पैरबेलम, 10 मिमी ऑटो और .40 S&W। यह एक मिनट में 800 से 900 राउंड फायर कर सकती है। इसकी रेंज 100 से 200 मीटर है। इसमें लगने वाली मैगजीन 15, 30, 40, 50 राउंड की आती हैं। 100 राउंड की बीटा सी-मैग ड्रम मैगजीन भी लगाई जा सकती है।

एसएएफ कार्बाइन 2ए1 (SAF Carbine 2A1)

द्वितीय विश्व युद्ध से लगातार उपयोग लाई जा रही एसएएफ कार्बाइन 2ए1 (SAF Carbine 2A1) भारत और अमेरिका में इसको निर्मित किया जाता है। वर्तमान समय में अब इसे कई देशों ने इसका उपयोग करना लगभग बंद कर दिया है लेकिन भारत में इसका उपयोग अभी भी हो रहा है। इसका वजन 2.7 किलोग्राम होता है। लंबाई 27 इंच होती है। इसमें 9x19 मिमी पैराबेलम और 7.62x51 मिमी नाटो गोलियां लगती हैं। यह एक मिनट में 550 राउंड फायर कर सकती है। इसके रेंज 200 मीटर है। इसकी मैगजीन में 34 से 50 राउंड्स तक आ सकते हैं।

माइक्रो-ऊजी (Micro-Uzi)

यह बंदूक वीवीआईपी की सुरक्षा में लगे स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी SPG के पास आमतौर पर देखने को मिलती थी, लेकिन बाद में इसे FN P90 से बदल दिया गया। इसका उपयोग पैरा स्पेशल फोर्सेज आज भी करते हैं।
इजरायल में बनी यह एक छोटी सब-मशीन गन है। इसकी बैरल 10 इंच की होती है। यह एक मिनट में 600 गोलियां दागने में सक्षम होती है। यह 9 मिलिमीटर पैराबेलम राउंड्स होती हैं। इसकी गोलियां 1230 फीट प्रति सेकेंड की गति से चलती हैं। इसकी रेंज 100 मीटर होती है। इसके नए वर्जन एक मिनट में 950 गोलियां दाग सकते हैं। इस बंदूक का वजन 2.7 किलोग्राम होता है सेवा से बाहर कर चुके हैं। लेकिन भारत में इसका उपयोग अब भी हो रहा है। इसका वजन 2.7 किलोग्राम होता है। लंबाई 27 इंच होती है। इसमें 9x19 मिमी पैराबेलम और 7.62x51 मिमी नाटो गोलियां लगती हैं। यह एक मिनट में 550 राउंड फायर कर सकती है। इसके रेंज 200 मीटर है. इसकी मैगजीन में 34 से 50 राउंड्स तक आ सकते हैं।

पिस्टल ऑटो 9एमएम 1ए (Pistol Auto 9mm 1A)

इसे इशापुर राइफल फैक्ट्री में बनाया जाता है. यह एक सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल है. सेना के अलावा उसका उपयोग विभिन्न राज्यों की पुलिस भी करती है. भारतीय सेना के जवान पिस्टल ऑटो 9एमएम 1ए (Pistol Auto 9mm 1A) का उपयोग क्लोज कॉम्बैट के लिए करते हैं। इसे IOF 9mm Pistol भी कहते हैं। यह मशहूर पिस्टल ब्राउनिंग हाई-पावर की लाइंसेस कॉपी है। इसकी गोली 1300 फीट प्रति सेकेंड की गति से चलती है। इसकी फायरिंग रेंज 50 मीटर है। इसकी मैगजीन में 13 गोलियां आती हैं। यह पिस्टल 1977 से अब तक सेवा में है।

ग्लॉक (Glock)

भारत में इसका 9x19 mm Parabellum वैरिएंट का उपयोग होता है। भारत में इसका उपयोग स्पेशल फोर्सेस, पैरा कमांडो, मार्कोस, एनएसजी करती हैं। भारत में 17 राउंड वाली मैगजीन का उपयोग किया जाता है। ऑस्ट्रियन कंपनी ग्लॉक जेस. एम.बी द्वारा बनाई जाने वाली पॉलीमर फ्रेम, शॉर्ट रिकॉयल्ड ऑपरेटेड, सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल है। 9 मिलीमीटर की इस पिस्टल में कई राउंड की अलग होने वाली मैगजीन सेट हो जाती हैं। इसमें 6 से लेकर 33 राउंड वाली मैगजीन सेट की जा सकती है। यह 1982 से दुनियाभर में बिक रही है। इसकी गोली 1230 फीट प्रति सेकेंड की गति से दुश्मन को लगती है। इसकी रेंज भी 50 मीटर ही है।

ब्रगर एंड थॉमेट एमपी9 (Brugger & Thomet MP9) सब मशीन गन

इसका उपयोग मुंबई पुलिस, पंजाब पुलिस, भारतीय सेना के घातक प्लाटून और पैरा स्पेशल फोर्स करती है।
स्विट्जरलैंड में बनी ब्रगर एंड थॉमेट एमपी9 (Brugger & Thomet MP9) भी एक सब-मशीन गन है। यह करीब 1.4 किलोग्राम वजन की होती है। इसकी लंबाई 11.92 इंच है। बैरल की लंबाई 130 मिलीमीटर होती है। इसमें 9x19 मिमी पैराबेलम, 6.5x25 मिलीमीटर और 45 एसीपी गोलियां लगती हैं यह एक मिनट में 900 से 1100 राउंड फायर कर सकती है। इसके रेंज 100 मीटर है। 15, 20, 25, 30 राउंड्स की पारदर्शी मैगजीन इसमें लगती है।

Jyotsna Singh

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