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नीरव मोदी के भाई के खिलाफ इंटरपोल ने जारी किया रेड कॉर्नर नोटिस

नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी के खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है।  सूत्रों ने बताया कि नेहल दीपक मोदी को खोजने और अंतिम रूप से गिरफ्तार करने के लिए दुनिया भर की कानून प्रवर्तन एजेंसियों से अनुरोध प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से आया है।

Aditya Mishra
Published on: 22 April 2023 10:55 PM IST
नीरव मोदी के भाई के खिलाफ इंटरपोल ने जारी किया रेड कॉर्नर नोटिस
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नई दिल्ली: बैंक धोखाधड़ी के आरोपी भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी के खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है। सूत्रों ने बताया कि नेहल दीपक मोदी को खोजने और अंतिम रूप से गिरफ्तार करने के लिए दुनिया भर की कानून प्रवर्तन एजेंसियों से अनुरोध प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से आया है।

नीरव मोदी, जिसने पंजाब नेशनल बैंक को कथित रूप से लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर का धोखा दिया, लंदन की जेल में है। उसकी न्यायिक हिरासत 19 सितंबर को समाप्त हो रही है।

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पीएनबी घोटाले में विदेश फरार होने वालों में न सिर्फ भगोड़ा व्यवसायी नीरव मोदी है, बल्कि उसका भाई नेहाल और गीतांजली ग्रुप का प्रमोटर मेहुल चौकसी भी शामिल हैं। मेहुल चौकसी पिछले साल जनवरी में, जबकि नेहाल कुछ हफ्ते पहले ही विदेश फरार हुआ था।

सूत्रों ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में बेल्जियम की नागरिकता रखने वाले 40 वर्षीय नेहाल मोदी के खिलाफ ग्लोबल अरेस्ट वारंट जारी किया गया है।

इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रही है। नेहल दीपक मोदी का जन्म बेल्जियम के एंटवर्प में हुआ और वह अंग्रेजी, गुजराती तथा हिंदी भाषाएं जानता है।

ईडी ने इस मामले में दायर किए गए आरोपपत्र में नेहल को नामजद किया है और उस पर सबूतों को नष्ट करने का आरोप है।

नीरव मोदी और उनके अंकल मेहुल चोकसी पर भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी के मुख्य षड्यंत्रकारी होने का आरोप है। यह बैंक धोखाधड़ी पिछले साल सामने आयी थी। आरोप है कि इस घोटाले में पंजाब नेशनल बैंक से करीब 14,000 करोड़ रुपये की ठगी की गई।

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क्या होता है रेड कॉर्नर नोटिस

रेड कॉर्नर नोटिस में इंटरपोल इसे किसी सदस्य देश के कहने पर जारी करता है। इसका मकसद सभी सदस्य देशों को यह सूचना देना होता है कि किसी खास शख्स के खिलाफ उसके देश में अरेस्ट वॉरंट जारी हो चुका है।

रेड कॉर्नर नोटिस इंटरनेशनल अरेस्ट वॉरंट नहीं होता क्योंकि अरेस्ट वॉरंट जारी करने का हक संबंधित देश को है, लेकिन मोटे तौर पर इसे इंटरनेशनल यानी ग्लोबल अरेस्ट वॉरंट की तरह ही लिया जाता है।

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Aditya Mishra

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