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Chandrayaan-3: कड़ाके की सर्दी में काम नही करेगा चंद्रयान-3, ISRO ने शुरू की स्लीप मोड की तैयारी
Chandrayaan-3: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सूर्य मिशन आदित्य एल 1 (Aditya L1) का सफल प्रक्षेपण पर सोमनाथ ने बधाई संदेश देते हुए कहा, "प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर अभी भी काम कर रहे हैं।
Chandrayaan-3 Update: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन अपनी नियोजित खोज अवधि के समापन के करीब पहुंच रहा है, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर एक चंद्र दिवस के समान है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब चंद्रमा पर रात नजदीक आने पर विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) के लिए "स्लीप मोड" ऑपरेशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है, जिसके दौरान तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिरने की उम्मीद है, यह बात इसरो प्रमुख एस सोमनाथ (S Somnath) ने कहा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख सोमनाथ का कहना है कि चंद्रमा की रात करीब आते ही इसरो चंद्रयान-3 के लिए 'स्लीप मोड' की तैयारी कर रहा है।
प्रज्ञान रोवर ने तय की 100 मीटर की दूरी
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सूर्य मिशन आदित्य एल 1 (Aditya L1) का सफल प्रक्षेपण पर सोमनाथ ने बधाई संदेश देते हुए कहा, "प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर अभी भी काम कर रहे हैं। हम अगले एक से दो दिनों में दोनों को स्लीप मोड (Sleep Mode) में रखने की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं क्योंकि उन्हें चंद्र रात को सहन करने की जरूरत है।" उन्होंने आगे बताया कि रोवर ने लैंडर से लगभग 100 मीटर की दूरी तय की है। इसरो ने चंद्र अन्वेषण मिशन के हिस्से के रूप में प्रज्ञान रोवर द्वारा अपनाए गए पथ की एक तस्वीर साझा की। यह कुल दूरी 101.4 मीटर है।
Chandrayaan-3 Mission:
?Pragyan 100*
Meanwhile, over the Moon, Pragan Rover has traversed over 100 meters and continuing. pic.twitter.com/J1jR3rP6CZ— ISRO (@isro) September 2, 2023
चंद्रयान-3 मिशन
इसरो चंद्रयान-3 मिशन द्वारा किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों से डेटा शेयर किया है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चंद्र भूकंपीय गतिविधि (ILSA) पेलोड ने एक घटना को रिकॉर्ड किया है, जो "प्राकृतिक रूप से दिखती है", यह कहते हुए कि इस घटना के स्रोत की जांच जारी है। इससे पहले, यह बताया गया था कि अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (APXS) ने चंद्र भूभाग पर अन्य छोटे तत्वों के साथ-साथ सल्फर की खोज की है। रोवर पर लगे लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) उपकरण ने पहले ही सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि कर दी है, जिससे चंद्रमा की संरचना और विशेषताओं के बारे में जानकारी मिली।