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भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर भी संकट, इस बार टूट सकती है परंपरा

जगन्नाथ पुरी की प्रसिद्ध रथयात्रा 23 जून को निकाली जानी है, लेकिन इसे कैसे निकाला जाए इसे लेकर गहराई से मंथन किया जा रहा है।

Shivani Awasthi
Published on: 30 April 2020 4:24 AM GMT
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर भी संकट, इस बार टूट सकती है परंपरा
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rath yatra

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। कोरोना से जंग जीतने के लिए घोषित लॉकडाउन की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध पुरी की भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। रथयात्रा को लेकर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है मगर कोरोना संकट की वजह से 280 साल में पहली बार रथयात्रा रोकी जा सकती है। बिना भक्तों के रथयात्रा निकालने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। इस बाबत तीन मई के बाद अंतिम फैसला हो सकता है।

बैठक में नहीं हो सका अंतिम फैसला

जगन्नाथ पुरी की प्रसिद्ध रथयात्रा 23 जून को निकाली जानी है, लेकिन इसे कैसे निकाला जाए इसे लेकर गहराई से मंथन किया जा रहा है। हालांकि अक्षय तृतीया यानी 26 अप्रैल से रथयात्रा को लेकर भीतर ही भीतर तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। मंदिर के भीतर रथ निर्माण की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। रथयात्रा निकालने के संबंध में मंदिर के अधिकारियों और पुरोहितों की गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के साथ हुई बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका।

सभी पहलुओं पर मंथन की सलाह

इस बैठक में शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सलाह दी कि सभी पहलुओं पर गंभीरता से मंथन करने के बाद ही रथयात्रा के संबंध में कोई अंतिम फैसला लिया जाना चाहिए। रथयात्रा के संबंध में शंकराचार्य की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और उनका फैसला ही इस बाबत अंतिम माना जाएगा। कोरोना संकट के कारण घोषित देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से एक महीने से भी ज्यादा समय से पुरी मंदिर पूरी तरह बंद है। चुनिंदा पुरोहितों के जरिए पूजा-पाठ और सारी परंपराएं निभाई जा रही हैं।

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तीन विकल्पों पर किया जा रहा विचार

रथयात्रा निकालने के संबंध में तीन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। रथयात्रा के आयोजन से जुड़े कई सदस्यों का मानना है कि यदि लॉकडाउन को आगे बढ़ाया जाता है तो यात्रा को निरस्त कर दिया जाना चाहिए। इन सदस्यों की दलील है कि भगवान भी अपने भक्तों को सुरक्षित रखना चाहते हैं और ऐसे में यात्रा को निरस्त करने में कोई दिक्कत नहीं है।

सीमाएं सील कर निकाली जाए यात्रा

दूसरी राय यह उभरकर सामने आई है कि अगर स्थितियां नियंत्रण में रहें तो पूरी जिले की सीमाओं को सील करके चुनिंदा लोगों और स्थानीय भक्तों के साथ रथयात्रा निकाली जाए। चैनलों पर उसका लाइव टेलीकास्ट किया जाए ताकि बाहर के श्रद्धालु रथयात्रा को आसानी से देख सकें। इस विकल्प पर सहमति बनने की ज्यादा संभावना दिख रही है क्योंकि गोवर्धन पीठ की ओर से भी इस पर गहराई से विचार करने को कहा गया है।

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मंदिर के भीतर परंपराएं पूरी की जाएं

बैठक में यह राय दी गई कि मंदिर के अंदर ही रथयात्रा की परंपराओं को पूरा कर लिया जाए। इसमें मंदिर से जुड़े कुछ लोग ही शामिल हों। लॉकडाउन का कारण हाल में अक्षय तृतीया, चंदन यात्रा और कई उत्सव मंदिर के अंदर ही पूरे किए गए हैं। हालांकि इस विकल्प पर सहमति बनने की ज्यादा संभावनाएं नहीं दिख रहे हैं।

इस दिन होती है यात्रा की शुरुआत

दुनिया भर में प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू होती है। यात्रा की शुरुआत मुख्य मंदिर से होती है और फिर यह दो किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर पर जाकर समाप्त होती है। भगवान जगन्नाथ 7 दिनों तक यही पर विश्राम करते हैं और आषाढ़ शुक्ल दशमी के दिन फिर से मुख्य मंदिर तक के लिए वापसी यात्रा शुरू होती है जिसे बहुड़ा यात्रा कहा जाता है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों के रथों की खासियत यह है कि इन्हें नारियल की लकड़ी से बनाया जाता है।

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