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भारत के लिए चिंता की बात: कश्मीर मसले पर चीन और अमेरिका ने सुर में सुर मिलाया

Newstrack
Published on: 6 Aug 2020 6:24 AM GMT
भारत के लिए चिंता की बात: कश्मीर मसले पर चीन और अमेरिका ने सुर में सुर मिलाया
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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने का मामला एक बार फिर से सुर्ख़ियों में बना हुआ है। कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए पांच अगस्त को एक साल हुआ तो चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भारत का यह कदम अवैध और अमान्य है। चीन ने यह भी कहा कि कश्मीर की यथास्थिति से छेड़छाड़ को वो हरगिज स्वीकार नहीं करेगा।

चीन ने बुधवार को पिछली बार की तरह इस बार भी अपने दोस्त पाकिस्तान की मांग पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किये जाने का मुद्दा ले जाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग हर सदस्य ने कहा कि यह द्विपक्षीय मसला है। इसे भारत और पाकिस्तान बातचीत से सुलझाएं।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग ने कहा, 'चीन कश्मीर क्षेत्र के हालात पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। कश्मीर मुद्दे पर चीन की स्थिति स्पष्ट और स्थिर है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और पाकिस्तान-भारत के बीच द्विपक्षीय समझौतों में भी ये एक तथ्य है।'

वांग ने कहा कि कश्मीर की यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव अवैध और अमान्य है। इस मुद्दे को संबंधित पक्षों के बीच बातचीत और परामर्श के माध्यम से शांतिपूर्वक तरीक से हल किया जाना चाहिए। यह मुद्दा पाकिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक रूप से विवादित रहा है।

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अमेरिका ने कही ये बात

अमेरिका के विदेश मामलों की संसदीय समिति ने भारत को सलाह दी कि एक साल बाद भी वहां हालात सामान्य नहीं हुए हैं। अमेरिका ने भारत से लोकतांत्रिक मूल्यों को संजोकर रखने की भी बात कही।

'यूएस हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव कमिटी ऑन फॉरेन अफेयर्स' ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को लेकर समर्थन की वजह से ही हम कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित हैं। जम्मू-कश्मीर से भारत सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को एक साल पूरा हो गया है लेकिन स्थितियां अभी तक सामान्य नहीं हुई हैं।"

पत्र में ये भी लिखा कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी साल 'विविधता में एकता' को भारत-अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों की कुंजी बताया था। दूसरी तरफ, भारत-अमेरिका के संबंधों की बुनियाद लोकतंत्र और स्वतंत्रता जैसे मूल्यों को लेकर हमारी प्रतिबद्धता है जिन्हें हमें संजोकर रखना होगा।

अमेरिकी विदेश समिति ने लिखा है कि ऐसे वक्त में जब भारत चीन की आक्रामकता को झेल रहा है, अमेरिका-भारत के बीच मजबूत साझेदारी काफी अहमियत रखती है।

हम भारत-अमेरिका के रिश्ते को मजबूत करने और आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं।" "हम इलाके में सुरक्षा चिंता और आतंकवाद की चुनौतियों को समझते हैं और आपकी सरकार के साथ मिलकर इन समस्याओं पर काम करने के लिए तैयार हैं। कश्मीर पर चिंता जाहिर करने के साथ अमेरिका ने चीन से जारी तनाव के बीच अमेरिका ने भारत के साथ अच्छे संबंधों पर भी जोर दिया है।

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चीन के खिलाफ अमेरिका भारत को भरपूर समर्थन देता रहेगा

विदेश मामलों की संसदीय समिति की ओर से भेजे गए पत्र में लिखा है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल फरवरी महीने में कहा था कि हमारी साझेदारी दूसरी साझेदारियों की तरह नहीं रह गई है बल्कि अब हमारा रिश्ता कहीं ज्यादा प्रगाढ़ और करीबी का है।

इस रिश्ते की अहमियत और बढ़ गई है क्योंकि भारत अपनी सरहद पर चीन की आक्रामकता झेल रहा है। ये चीन की हिंद-प्रशांत में गैर-कानूनी और आक्रामक विस्तारवादी नीति का ही हिस्सा है।

अमेरिका भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता को बचाए रखने की कोशिशों को भरपूर समर्थन देता रहेगा। दोनों देश 21वीं सदी पर भारत-अमेरिका के मजबूत साझेदारी के प्रभाव को समझ सकते हैं।

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