आतंक का खात्मा: डर के मारे कांप उठा पाकिस्तान, अब नहीं कोई सपोर्ट सिस्टम

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटे हुए एक साल पूरा हो गया है। देश ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए यहां अन्य भी कई बदलाव किये हैं। इनमें सबसे ज्यादा सुरक्षा व्यवस्था के पुरजोर होने की खुशी है।

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Published on: 7 Aug 2020 10:24 AM GMT
आतंक का खात्मा: डर के मारे कांप उठा पाकिस्तान, अब नहीं कोई सपोर्ट सिस्टम
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटे हुए एक साल पूरा हो गया है। देश ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए यहां अन्य भी कई बदलाव किये हैं। इनमें सबसे ज्यादा सुरक्षा व्यवस्था के पुरजोर होने की खुशी है। जितने आतंकी 30 सालों में नहीं मारे गए, उतने आतंकियों का सफाया इस एक साल के अंदर हुआ है। देश के लिए ये एक बड़े साहस और हिम्मत वाली बात है।

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आतंक का सपोर्ट सिस्टम अब दफन

भारतीय सुरक्षा एजेंसियां को नापाक पाकिस्तान से आतंकियों की घुसपैठ को रोकने और हथियारों व पैसे के अंधाधुंध सप्लाई चैन को भी तोड़ने में बहुत हद तक सफलता मिली है।

साथ ही ये भी कहा जा सकता है कि आतंक का सपोर्ट सिस्टम अब दफन हो रहा है। बीते एक साल में कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत कांफ्रेंस पर प्रतिबंध लगाने के अलावा बड़ी संख्या में उसके नेताओं को हिरासत में लिया गया है।

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भारतीय सेना भारतीय सेना

ईडी और एनआइए का शिकंजा

इसके अलावा आतंकियों के लिए नाक-कान-आंख और हाथ बनने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर को भी बड़ी संख्या में गिरफ्तार किया गया। आतंकियों तक फंडिंग पहुंचाने वालों पर ईडी और एनआइए का शिकंजा अलग से कसा है।

सबसे बड़ा और जिम्मेदारी का काम ये कि ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम करने वाले 5500 युवकों को अपनी हिरासत में लेने के बाद चेतावनी के साथ उनके परिवार वालों को सौंपा गया। और इसी तरह हुर्रियत और जमात के 504 अलगाववादी नेताओं अच्छे आचरण का बांड भरकर दिया है।

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पूरे साल में 160 आतंकी मारे गए

ऐसे में जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक, सपोर्ट सिस्टम के ध्वस्त होने का ही नतीजा है कि जहां 2019 के पूरे साल में 160 आतंकी मारे गए थे, वही इस साल 31 जुलाई तक 150 आतंकी मारे जा चुके हैं। जिनमें 30 विदेशी आतंकी और 39 शीर्ष कमांडर शामिल हैं।

भारतीय सेना भारतीय सेना

आगे उन्होंने कहा 'आज की तारीख में घाटी में सक्रिय सभी आतंकी संगठन नेता विहीन हो गया है, लंबे समय के बाद घाटी में सक्रिय आतंकियों की संख्या 200 से नीचे पहुंच गई है और आतंकी बनने के बाद औसतन 90 दिन के भीतर उसे मार गिराया जाता है।'

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आतंकी बुरहान वानी की मौत

आतंक का अंत आतंक का अंत

घाटी में हालातों के बदलने के सबूत देने पर दिलबाग सिंह 2016 के जुलाई में आतंकी बुरहान वानी की मौत और 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के बाद घाटी के हालात का आंकड़ा पेश करते हैं।

दिलबाग सिंह के मुताबिक, आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद हिंसा की 2600 से अधिक घटनाएं हुई थी, जिनमें पुलिस के 3000 जवान घायल हुए थे और 70 से अधिक आम लोगों की मौत हुई थी।

हालांकि बीते साल यानी 5 अगस्त 2019 के बाद आधे से भी कम लगभग 1150 हिंसक घटनाएं दर्ज हुईं, इनमें भी 550 पोस्टर लगाने के थे। और तो और स्थानीय पुलिस को एक भी गोली नहीं चलानी पड़ी और एक भी आम आदमी की मौत नहीं हुई। सुरक्षा व्यवस्था की बात करें, तो वो भी पहले से दुरस्त हो गई।

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