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रोशनी घोटाले में बड़ा खुलासा: बड़े राजनेताओं के नाम आए सामने, जानें यहां

Shreya
Published on: 23 Nov 2020 4:37 PM IST
रोशनी घोटाले में बड़ा खुलासा: बड़े राजनेताओं के नाम आए सामने, जानें यहां
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रोशनी घोटाले में बड़ा खुलासा: बड़े राजनेताओं के नाम आए सामने, जानें यहां

जम्मू-कश्मीर: जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) में रोशनी जमीन घोटाले (Roshani Land Scam) में बड़ा खुलासा हुआ है। इस घोटाले में कई बड़े राजनेता और बड़े नौकरशाहों के नाम सामने आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस स्कैम में PDP, NC, कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब दरबो (Haseeb Drabu) का नाम सामने आया है।

इन सभी के नाम आए सामने

इसके अलावा इस घोटाले में उनकी रिश्तेदार शहजादा बानो, एजाज हुसैन और इफ्तिकार दरबो के नाम का भी खुलासा हुआ है। साथ ही कांग्रेस नेता केके अमला (KK Amla) और मोहम्मद शफी पंडित (Mohammad Shafi Pandit) के भी इस घोटाले में शामिल होने की खबर है। अब इन सभी से वह जमीन वापस ली जाएगी।

जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा जमीन घोटाला

बता दें कि ये जमीन घोटाला करीब 25 हजार करोड़ रुपये का है, जिसे जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा जमीन घोटाला मामला कहा जाता है। इस मामले की जांच CBI कर रही है। हाईकोर्ट ने 9 अक्तूबर को रोशनी एक्ट घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद राज्य पुनर्गठन के एक साल पूरे होने पर सरकार ने 31 अक्टूबर को आदेश को लागू करते हुए एक्ट के तहत की गई पूरी कार्रवाई को ही रद्द कर दिया था।

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मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया रोशनी एक्ट

जम्मू-कश्मीर सरकार के ‘रोशनी एक्ट’ के तहत सरकारी जमीनों की खूब बंदरबांट हुई। रोशनी एक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था। इसके बदले उनसे सरकार द्वारा तय एक निश्चित रकम ली जाती थी। 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने जब यह कानून लागू किया तब सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए 1990 को कट ऑफ वर्ष निर्धारित किया गया।

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भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा

लेकिन, समय के साथ जम्मू-कश्मीर की आने वाली सभी सरकारों ने इस कट ऑफ साल को बदलना शुरू कर दिया। इसके चलते राज्य में सरकारी जमीन की चहेतों को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई गई और यही हुआ। इससे सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और भी ज्यादा हुआ। नवंबर 2006 में सरकार के अनुमान के मुताबिक 20 लाख कनाल (स्थानीय माप) से भी ज्यादा भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा था।

इस कानून का दोहरा उद्देश्य था। रोशनी ऐक्ट के तहत तत्कालीन राज्य सरकार का लक्ष्य 20 लाख कनाल सरकारी जमीन अवैध कब्जेदारों के हाथों में सौंपना था, जिसकी एवज में सरकार बाजार भाव से पैसे लेकर 25,000 करोड़ रुपये की कमाई करती।

CBI कर रही मामले की जांच

फिलहाल मामले की जांच जारी है। इस मामले में जम्मू कश्मीर के एक विधायक समेत अनेक राजनेताओं के नाम भी शामिल बताए जाते हैं।सीबीआई अधिकारी के मुताबिक, जांच के दौरान इन लोगों की भूमिका सामने आने पर उनके नाम आरोप पत्र में शामिल किए जा सकते हैं।

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