TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अब जम्मू कश्मीर नहीं रहा वैसा, बदल गया सब कुछ, यहां जानें...

गृह मंत्रालय की ओर से बुधवार देर रात जारी अधिसूचना में, मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर संभाग ने प्रदेश में केंद्रीय कानूनों को लागू करने समेत कई कदमों की घोषणा की।

Shivakant Shukla
Published on: 1 Nov 2019 12:50 PM IST
अब जम्मू कश्मीर नहीं रहा वैसा, बदल गया सब कुछ, यहां जानें...
X

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर आधिकारिक तौर पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के तौर पर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है। गुरूवार से यहां पर बहुत सारे नियम कानून में बदलाव हो गए हैं।

ये भी पढ़ें—पूर्व PM इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर, सोनिया गांधी समेत इन नेताओं ने दी श्रद्धांंजलि

बता दें कि पांच अगस्त को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने का ऐलान किया गया था। इसके साथ ही अनुच्छेद 370 के ज्यादात्तर प्रावधानों को हटाने की भी घोषणा की गई थी। गृह मंत्रालय की ओर से बुधवार देर रात जारी अधिसूचना में, मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर संभाग ने प्रदेश में केंद्रीय कानूनों को लागू करने समेत कई कदमों की घोषणा की। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है।

ये भी पढ़ें—क्या आप जानते हैं! 72 साल पहले जम्मू-कश्मीर-भारत विलय की पूरी कहानी

जम्मू-कश्मीर में क्या बदल गया?

  1. जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन कानून के तहत लद्दाख अब बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश हो गया है।
  2. अभी दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा लेकिन दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग होंगे। सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा।
  3. अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था लेकिन अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल होंगे। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है।
  4. राज्य में अधिकतर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, अब केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों राज्यों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे।
  5. जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव होगा।
  6. इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है।
  7. राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था। हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।
  8. जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह 5 साल का ही होगा।
  9. केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से 5 और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा। इसी तरह से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के 4 सांसद ही चुने जाएंगे।
  10. विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी।
  11. जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी। हालांकि राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ये भी पढ़ें—जम्मू-कश्मीर में बड़ा फैसला: अब प्रदेश में खत्म होंगे ये 7 आयोग

इन नेताओं को खाली करना होगा सरकारी बंगला

वहीं, माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रहे महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद और फारुक अबदुल्ला को अपने-अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़ेंगे। मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को 1 नवंबर तक बंगला खाली करने का नोटिस दे दिया गया है। दोनों ही इस समय 5 अगस्त से हिरासत में हैं। फिलहाल इन सभी को विकल्प के तौर पर यह भी कहा गया है कि जिन लोगों के पास जम्मू और श्रीनगर दोनों जगहों पर सरकारी बंगले हैं वह दोनों में से किसी एक जगह सरकारी बंगला ले सकते हैं।

ये भी पढ़ें—जानिए कौन हैं जम्मू-कश्मीर के पहले LG मुर्मू, PM मोदी के हैं भरोसेमंद IAS

जल्द परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है चुनाव आयोग

अब जल्द ही चुनाव आयोग राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। जिसमें आबादी के साथ भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक बिंदुओं पर ध्यान रखा जा सकता है। जम्मू कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे। जिनमें 4 लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं। लद्दाख की 4 सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं, जिनमें परिसीमन होना है।



\
Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story