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तबाही वाला सर्च ऑपरेशन: टूट गए कश्मीरियों के आशियानें, दर्जनों परिवार बेघर
शोपियां में साल 2021 के सबसे बड़े सर्च ऑपरेशन जोकि 60 से ज्यादा घंटों तक चला उसने कश्मीरियों के चिंताएं खड़ी कर दी हैं। भारतीय सुरक्षाबलों को 60 घंटों के अंदर मिली कामयाबी से जहां एक तरफ खुशी थी, तो वहीं दूसरी तरफ कश्मीर के लगभग दर्जनों परिवारों पर मायूसी छाई हुई थी।
जम्मू: जम्मू-कश्मीर के शोपियां में साल 2021 के सबसे बड़े सर्च ऑपरेशन जोकि 60 से ज्यादा घंटों तक चला उसने कश्मीरियों के चिंताएं खड़ी कर दी हैं। भारतीय सुरक्षाबलों को 60 घंटों के अंदर मिली कामयाबी से जहां एक तरफ खुशी थी, तो वहीं दूसरी तरफ कश्मीर के लगभग दर्जनों परिवारों पर मायूसी छाई हुई थी। क्योंकि उनकी मेहनत की कमाई से बनाए हुए घर-आशियाने तबाह हो गए थे। और ऐसा भारतीय सुरक्षाबलों के द्वारा जल्दी से मुठभेड़ को समाप्त करने के लिए घरों को मोर्टार से उड़ाने की नीति के तहत हुआ है।
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दर्जनों परिवारों के घर तबाह
घाटी के शोपियां में रावपलपोरा में करीब 60 घंटों की लंबी मशक्कत के बाद भारतीय सुरक्षाबलों ने जैश ए मुहम्मद के चीफ कमांडर सज्जाद अफगानी को मार गिरा कर कश्मीरियों को उसके आतंक से मुक्ति तो दिलवा दी थी। पर इसमें दर्जनों परिवारों को उनके सिरों को छत का सहारा छीन लिया था।
असल में इतनी लंबी लड़ाई को खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों ने एक बार फिर से मोर्टार को अंतिम हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया था। जिसका नतीजा सामने था। इसमें सज्जाद अफगानी के छुपने वाले घर के साथ ही उसके साथ लगे हुए घर भी एक-एक कर भर्रभर्रा कर गिर गए थे और वहां सिर्फ राख का ही ढेर बचा था।
फोटो-सोशल मीडिया
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कश्मीरियों की मजबूरी
ऐसे में दर्जनों घरों के राख के ढेर में बदल जाने पर उनके वाशिंदों के सामने अब सिर छुपाने का सवाल पैदा हो गया है। लेकिन घरों का सारा सामान भी राख के ढेर में कोयला बन चुका है। और वे किसी को कोस भी नहीं सकते। यहीं कश्मीरियों की मजबूरी है।
वहीं कारण है कि जब भी किसी इलाके में कोई मुठभेड़ आरंभ होती है तो उस इलाके के रहने वाले अपने घरों को बचाने की दुआ करते हैं। जिनमें से कुछ ही नसीबवाले होते हैं जो अपने घरों को सही सलामत देख पाते हैं और उनमें दोबारा रह पाते हैं।
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