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अरुणाचल मुद्दे पर जदयू ने भाजपा को घेरा: हम दोस्तों के साथ नहीं करते कोई साजिश
आरसीपी सिंह ने कहा कि हम किसी के पीठ में छुरा भोंकने का काम नहीं करते और इसके साथ ही किसी को अपनी पीठ में भी छुरा मारने का मौका भी नहीं देते। आरसीपी सिंह से पहले जदयू के महासचिव केसी त्यागी भी इस मुद्दे को लेकर भारी नाराजगी जता चुके हैं। उनका भी मानना है कि भाजपा का यह कदम गठबंधन धर्म के खिलाफ है।
पटना: अरुणाचल प्रदेश में जदयू के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने का असर दिखने लगा है। जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने इस मामले को लेकर भाजपा के खिलाफ गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हम दोस्तों के खिलाफ न तो कोई साजिश रचते हैं और न उन्हें धोखा देते हैं। उन्होंने कहा कि हम किसी के पीठ में छुरा भोंकने का काम नहीं करते और इसके साथ ही किसी को अपनी पीठ में भी छुरा मारने का मौका भी नहीं देते। आरसीपी सिंह से पहले जदयू के महासचिव केसी त्यागी भी इस मुद्दे को लेकर भारी नाराजगी जता चुके हैं। उनका भी मानना है कि भाजपा का यह कदम गठबंधन धर्म के खिलाफ है।
अरुणाचल की घटना से जदयू में नाराजगी
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ठीक पहले अरुणाचल प्रदेश में पार्टी में हुई बगावत से जदयू को करारा झटका लगा है। इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पार्टी के सात में से 6 विधायकों ने पाला बदलकर एनडीए में जदयू के सहयोगी दल भाजपा का दामन थाम लिया है। इस मामले को लेकर जदयू में गहरी नाराजगी दिख रही है। सहयोगी दल से मिले इस झटके को लेकर बिहार के मुख्य विपक्षी दल राजद ने भी जदयू पर करारा तंज कसा है और कहा है कि आने वाले दिनों में बिहार में भी यही सबकुछ होने वाला है।
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सहयोगी को धोखा देने में यकीन नहीं
पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने भी साफ किया है कि हम अपने सहयोगियों के साथ पूरी ईमानदारी का व्यवहार रखते हैं और किसी प्रकार की साजिश रचने की हमारी कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही। हम सहयोगी को धोखा देने में यकीन नहीं करते और इस नजरिए से अरुणाचल प्रदेश में जो भी घटना हुई है, उसे सही नहीं माना जा सकता।
चुनावी नतीजों से पार्टी बैकफुट पर
बिहार विधानसभा के चुनाव में इस बार जदयू का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा और 115 सीटों पर चुनाव लड़कर जदयू ने सिर्फ 43 सीटों पर विजय हासिल की है। दूसरी ओर भाजपा जदयू से मजबूत बनकर उभरी है और उसने 110 सीटों पर प्रत्याशी उतारकर 74 सीटों पर जीत हासिल की है। हालांकि भाजपा ने अपनी पूर्व की घोषणा पर कायम रहते हुए मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार की ताजपोशी जरूर कराई है मगर बड़े भाई की भूमिका में आने के बाद पार्टी जदयू पर दबाव बनाने में भी लगी हुई है।
नीतीश के बयान से बिहार में सियासी हलचल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान दो टूक अंदाज में कहा कि मुझे अब सीएम बने रहने की कोई लालसा नहीं है और एनडीए गठबंधन जिसे चाहे उसे मुख्यमंत्री बना दे। यदि भाजपा का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बनता है तो इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मुझे किसी भी पद का मोह नहीं है। नीतीश कुमार के इस बयान ने बिहार के सियासत में हलचल मचा दी है।
दबाव में संभालना पड़ा सीएम का पद
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मैंने साफ कर दिया था कि मुझे पद की कोई चाहत नहीं। मैंने गठबंधन के सामने भी अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी मगर दबाव पड़ने के बाद मुझे एक बार फिर मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालना पड़ा। नीतीश ने कहा कि हम स्वार्थ के लिए कोई काम नहीं करते और आज तक हमने सिद्धांतों को लेकर कभी कोई समझौता नहीं किया।
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सोशल मीडिया से हो अच्छी बातों का प्रचार
अरुणाचल की घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि छह विधायकों के जाने के बाद भी वहां जदयू का एक विधायक पार्टी के साथ पूरी तरह डटा रहा और पार्टी की यही ताकत है। उन्होंने कहा कि हमें सिद्धांतों के आधार पर ही लोगों के बीच जाना है। हम लोग नफरत फैलाने के खिलाफ हैं। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सोशल मीडिया के जरिए अच्छी बातों का ही लोगों के बीच प्रचार होना चाहिए।
व्यस्तता की वजह से थोड़ा अध्यक्ष पद
उन्होंने कहा कि व्यस्तता की वजह से वे पार्टी का कामकाज ठीक ढंग से नहीं देख पा रहे थे और इसी कारण उन्होंने अध्यक्ष का पद छोड़ा है। उन्होंने दूसरे राज्यों में भी पार्टी के संगठन का विस्तार करने पर जोर दिया और कहा कि इस दिशा में काफी काम किया जाना बाकी है।
अंशुमान तिवारी