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बच्चों का मारा हक: स्कॉलरशिप घोटाले पर तगड़ा एक्शन, सीएम ने दिए जांच के आदेश

झारखंड में छात्रवृत्ति योजना में सामने आए फर्जीवाड़ा मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रविवार को मामले में जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दोबारा ऐसा न हो। 

Shreya
Published on: 2 Nov 2020 7:46 AM GMT
बच्चों का मारा हक: स्कॉलरशिप घोटाले पर तगड़ा एक्शन, सीएम ने दिए जांच के आदेश
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बच्चों का मारा हक: स्कॉलरशिप घोटाले पर तगड़ा एक्शन, सीएम ने दिए जांच के आदेश

रांची: सरकार की तरफ से गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना तो शुरू कर दी गई, लेकिन कुछ लोग गरीबों का हक पर डाका डालने से बाज नहीं आ रहे। ताजा मामला झारखंड का है, जहां पर अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए चलाई जा रही प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में फर्जीवाड़े (Scholarship Scam) का मामला सामने आया है। वहीं अब इस राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने रविवार को मामले में जांच के आदेश दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस धांधलेबाजी में बिचौलियों, स्कूल स्टाफ और राज्य सरकार के कर्मचारियों की सांठगांठ बताया जा रहा है। अब मुख्यमंत्री ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। CM हेमंत सोरेन ने कहा कि हमें कुछ समय पहले ही इस भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी मिली है। इस पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम तत्काल वेरिफिकेशन के सिस्टम में सुधार करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि दोबारा ऐसा न हो। छात्रों के लिए ये छात्रवृत्तियां जरूरी हैं।

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दूसरों के खातों में ट्रांसफर किए गए पैसे

रिपोर्ट्स के मुताबिक, झारखंड में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए लाभार्थियों के नाम के पैसे दूसरों के खातों में ट्रांसफर कर दिए गए। साल 2019-20 में प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत झारखंड में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए 61 करोड़ रुपये का वितरण किया गया था। जिसमें से करीब 23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है। बता दें कि झारखंड के 6 जिलों के 15 स्कूलों की पड़ताल के दौरान यह चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

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उम्रदराज महिलाओं और पुरुषों को भी दी गई छात्रवृत्ति

एक प्रतिष्ठित इंग्लिश अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक,अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा अनुमोदित प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लाभार्थी 30 से ज्यादा छात्रों और अभिभावकों ने अहम खुलासे किए हैं। रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि कैसे गिरोह ने इतनी बड़ी रकम का फर्जीवाड़ा किया। यहां पर उम्रदराज महिलाओं और पुरुषों को 7वीं-8वीं का छात्र बताकर छात्रवृत्ति दी गई।

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ऐसे मिलती है स्कॉलरशिप

बता दें कि अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार की ओर से छात्रों को प्री मैट्रिक व पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जाती है। इसके तहत मैट्रिक से नीचे के विद्यार्थियों को हर साल करीब साढ़े दस हजार रुपये स्कॉलरशिप देने का प्रावधान है। वहीं जांच में पाया गया है कि अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।

मामले में जांच के आदेश

इसमें ऐसे स्टूडेंट्स के नाम पर छात्रवृत्ति ली जा रही है जो कभी स्कूल गए ही नहीं। वहीं अब इस मामले में राज्य सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। बता दें कि छात्रवृत्ति पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने का प्रावधान है। वहीं विद्यार्थियों के आवेदन को स्कूल की ओर से सत्यापित किया जाता है। इसलिए इस मामले में बिचौलियों, स्कूल स्टाफ और राज्य सरकार के कर्मचारियों की सांठगांठ बताया जा रहा है।

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