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वाह रे अंधविश्वास: बलि चढ़ाए सैकड़ों बकरे-मुर्गें, उड़ाई जमकर धज्जियां
देश में कोरोना महामारी की वजह से संकट की घड़ी चल रही है। ऐसे में आस्था और अंधविश्वास को बढ़ावा देते हुए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है।
नई दिल्ली: देश में कोरोना महामारी की वजह से संकट की घड़ी चल रही है। ऐसे में आस्था और अंधविश्वास को बढ़ावा देते हुए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। झारखंड के कोडरमा जिले में न केवल लॉकडाउन के नियमों और निर्देशों का उल्लंघन किया गया, बल्कि यहां तो इस महामारी से बचने के लिए तमाम सारे बकरों और मुर्गों की बलि तक दी।
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सोशल डिस्टेंसिंग की जबरदस्त धज्जियां
ये मामला है चंदवारा थाना क्षेत्र के उरवा पंचायत का। यहां पर कोरोना वायरस महामारी से बचने और संपूर्ण बचाव को लेकर अषाढ़ी पूजा के नाम पर बकरों और मुर्गों की बलि दी गई। और तो और इस मंदिर में इकठ्ठा हुए लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग की जबरदस्त धज्जियां तक उड़ाई।
मंदिर में सैकड़ों लोग घंटों-घंटों तक इकठ्ठा रहे और आस्था के नाम पर पूजा के लिए अपनी बारी आने का इंतजार करते हुए अपने साथ लेकर आए बेजुबान मुर्गों और बकरों की बलि देकर पूरे गांव को कोरोना से बचाने के लिए पूजा की।
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भीड़ के एकत्र होने पर पूरी तरह से रोक
इसके साथ ही मंदिर में पूजा और बलि के लिए आए लोगों में से न किसी ने मास्क पहना था और न ही किसी ने सोशल डिस्टेंसिंग का कोई पालन किया।
इस मंदिर में जिसे जहां जगह मिली वहीं अंधविश्वास के नाम पर चल रही पूजा में शामिल हो गए। महामारी के चलते जहां लोगों की भीड़ के एकत्र होने पर पूरी तरह से रोक है, वहीं इस मंदिर में देश के अन्य प्रदेशों से आए सैकड़ों प्रवासी मजदूर भी जुटे, लेकिन किसी न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और ना ही कोविड-19 से जुड़े निर्देशों को अपनाया।
ऐसे में इस पर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि वीरेंद्र पासवान ने खुद का बचाव करते हुए कहा कि हर साल यह परंपरा अपनाई जाती है और यह साल इस परंपरा के नाम पर बकरों की बलि दी गई है।
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पूजा में इकठ्ठा होकर संक्रमण बढ़ाने का डर
इसके अलावा गांव के एक बुजुर्ग जो अंधविश्वास के नाम पर इस मंदिर में जमा भीड़ में शामिल थे, उन्होंने भी यह स्वीकार किया कि कोरोना संक्रमण से बचाओ के मद्देनजर यह पूजा आयोजित की गई है।
वहीं इस पूजा और बलिदान के लिए दो-तीन दिन पहले से ही पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर तैयारियां की जा रही थी और आज पूजा की जा रही है।
इस तरह से अंधविश्वास और आस्था के इस जाल में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान की फ्रिक करें बिना सारे नियमों को तोड़ा और महामारी को कम करने के लिए की गई पूजा में इकठ्ठा होकर संक्रमण बढ़ाने का डर और बढ़ा दिया।
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