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पारा शिक्षकों ने हेमंत सरकार को दी चेतावनी, मांगे नहीं पूरी होने पर होगा आंदोलन
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है। 29 दिसंबर को हेमंत सरकार के एक साल पूरा होने पर स्थायीकरण की घोषणा की जाए। मोर्चा के नेताओं ने कहा कि, पारा शिक्षकों के वेतनमान और नियामवली को लेकर सरकार निर्णय ले।
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है। 29 दिसंबर को हेमंत सरकार के एक साल पूरा होने पर स्थायीकरण की घोषणा की जाए। मोर्चा के नेताओं ने कहा कि, पारा शिक्षकों के वेतनमान और नियामवली को लेकर सरकार निर्णय ले। ऐसा नहीं होने पर राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। इसके तहत विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री के आवास का घेराव किया जाएगा। आंदोलन की तैयारी के लिए आगामी 03 और 10 जनवरी को बैठक बुलाई गई है।
पारा शिक्षकों का आंदोलन
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेता संजय दूबे ने कहा कि, राज्य व्यापी आंदोलन की रूपरेखा लगभग तय कर ली गई है। इसके तहत 17 जनवरी को विधायकों के आवास का घेराव किया जाएगा। 24 जनवरी को मंत्रियों के आवास का घेराव होगा। 10 फरवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आवास घेरने के लिए राज्यभर के पारा शिक्षक रांची में जुटेंगे। मोर्चा के नेता ने कहा कि, इसके साथ ही सरकार से मांग की गई है कि, पारा शिक्षकों के बकाया मानदेय का अविलंब भुगतान किया जाए।
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पारा शिक्षकों की मांग
झारखंड में लगभग 65 हज़ार के क़रीब पारा शिक्षक हैं। सरकारी स्कूलों के पठन-पाठन में इन शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पारा शिक्षकों की नियुक्ति पंचायत स्तर पर हुई है। वर्षों से सेवा देने के बाद भी इनकी सेवा स्थायी नहीं हुई है। झारखंड टेट परीक्षा में कुछ पारा शिक्षकों को सफलता मिली और उन्हे स्थायी शिक्षक बना दिया गया। हालांकि, हज़ारों की संख्या में पारा शिक्षक आज भी सेवा स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही वेतनमान और नियामवली बनाने की मांग महत्वपूर्ण है। फिलहाल, पारा शिक्षकों को वेतनमान की जगह मानदेय दिया जाता है।
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सभी सरकारों ने छला
पारा शिक्षकों का आरोप है कि, उन्हे सभी सरकारों ने धोखा दिया है। पूर्व की रघुवर दास के शासनकाल में सेवा स्थायीकरण से लेकर नियमावली बनाने की बात हुई। हालांकि, वो फाइलों में ही दब कर रह गया। पूर्व शिक्षा मंत्री नीरा यादव की अध्यक्षता में पारा शिक्षकों के साथ कई दौर की वार्ता हुई लेकिन अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका। माना जाता है कि, पिछले विधानसभा चुनाव में पारा शिक्षकों ने रघुवर दास की सरकार के ख़िलाफ़ मतदान किया।
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हेमंत सरकार से उम्मीदें
झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार आने के बाद पारा शिक्षकों को एकबार फिर उम्मीद जगी है। शिक्षा मंत्री के साथ पारा शिक्षकों की कई दौर की वार्ता भी हुई जिसमें सेवा स्थायीकरण, नियामवली और वेतमान को लेकर सहमति बनी है। इस बीच शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की तबीयत अधिक बिगड़ जाने की वजह से उन्हे चेन्नई में भर्ती कराया गया है। फिलहाल, शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास है। इस बीच पारा शिक्षकों को एकबार फिर ठगा हुआ महसूस हो रहा है। सरकार के एक साल पूरा होने जा रहे हैं लेकिन उनकी मांगों को लेकर अबतक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। लिहाज़ा, पारा शिक्षको ने सरकार को 29 दिसंबर तक का डेडलाइन दिया है नहीं तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।