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Hate speech: 'महाराष्ट्र सरकार नपुंसक है, कुछ नहीं कर रही'…SC में सुनवाई के दौरान आखिर क्यों भड़के जस्टिस जोसेफ

Hate speech: मुंबई में हुई 'हिंदू जन आक्रोश रैली' मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस जोसेफ भड़क गए। उन्होंने कहा, जिस वक्त राजनीति और धर्म को अलग कर दिया जाएगा ये यह सब ख़त्म हो जाएगा।

Aman Kumar Singh
Published on: 29 March 2023 11:47 PM IST (Updated on: 30 March 2023 12:12 AM IST)
Hate speech: महाराष्ट्र सरकार नपुंसक है, कुछ नहीं कर रही…SC में सुनवाई के दौरान आखिर क्यों भड़के जस्टिस जोसेफ
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सुप्रीम कोर्ट (Social Media)

Hate speech: मुंबई में बीते दिनों हुई 'हिंदू जन आक्रोश रैली' (Hindu Jan Aakrosh Rally in Mumbai) मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस के.एम. जोसेफ (Justice Km Joseph) ने कहा, 'महाराष्ट्र सरकार नपुंसक है। कुछ नहीं कर रही। शांत है। इसलिए सब कुछ हो रहा है।' जस्टिस जोसेफ यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा, 'जिस वक्त राजनीति और धर्म को अलग कर दिया जाएगा। यह सब समाप्त हो जाएगा। यदि राजनेता धर्म का इस्तेमाल बंद कर देंगे तो ये सब भी बंद हो जाएगा।'

जस्टिस जोसेफ ने कहा, 'हम केवल इतना कह सकते हैं, देखना है कि आप सुनेंगे या नहीं। इस पर वकील विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain) ने 'सर तन से जुदा' के बारे में अदालत को बताया। जस्टिस जोसेफ बोले, 'अभद्र भाषा एक दुष्चक्र है। लोग उस पर प्रतिक्रिया देंगे। सरकार को एक प्रक्रिया शुरू करनी होगी।'

SC ने पूछा- आप क्या तंत्र बना रहे हैं?

जस्टिस जोसेफ ने सॉलिसिटर जनरल (SG) से कहा कि, 'ड्रामा मत करिए।' सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से ये भी कहा कि, आप क्या तंत्र बना रहे हैं? इस पर जवाब दें। मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।

'देश का कानून तोड़ने की इजाजत दी जा सकती है?'

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय ( Hate speech against Muslim Community) के खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी पर सवाल उठाया। शीर्ष अदालत ने कहा, 'जब सकल हिंदू समाज की ओर से वकील ने दलील दी कि उसके संगठन को धार्मिक जुलूस निकालने का अधिकार है। इस पर सर्वोच्च अदालत ने पूछा, 'जुलूस निकालने का अधिकार है लेकिन क्या ऐसी रैली के जरिये आपको देश का कानून तोड़ने की इजाजत दी जा सकती है।'

'जिन्होंने इस देश को अपना देश चुना'

जस्टिस जोसेफ ने कहा, 'ऐसी रैली (हिंदू जन आक्रोश रैली) के जरिये ऐसी बातें कही जा रही, जो अल्पसंख्यक समुदाय को नीचा दिखाने वाली है। जैसे- उन्हें पाकिस्तान जाने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन, ये वो लोग हैं जिन्होंने इस देश को अपना देश चुना। वे तुम्हारे भाई-बहन की तरह हैं। भाषण का स्तर इतना नीचे तक नहीं जाना चाहिए। हमारी संस्कृति विभिन्नताओं को स्वीकार करने की है।'

कोर्ट ने नेहरू-वाजपेयी को क्यों किया याद?

सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू समाज के वकील से कहा कि, 'हम आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग वाली याचिका में पक्ष रखने की इजाज़त दे रहे हैं। मगर, इसका मतलब ये नहीं है कि अवमानना की मांग वाली याचिका को खारिज ही कर दी जाए।' इस पर जस्टिस नागरत्ना (Justice Nagaratna) ने भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, सवाल ये है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। हमारे पास जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे स्पीकर रहे हैं। नेहरू जी की मध्यरात्रि की उस स्पीच को देखिए। लेकिन, अब हर पक्ष से इस तरह के आपत्तिजनक बयान सामने आ रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल ने 'ब्राह्मणों का नरसंहार' की याद दिलाई

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने डीएमके प्रवक्ता के उस बयान को अदालत के सामने रखा, जिसमें उसने कहा कि अगर समानता चाहते हैं तो ब्राह्मणों का नरसंहार करना होगा। तुषार मेहता ने कहा, सिर्फ इसलिए कि किसी जाने-पहचाने शख्स ने ऐसा बयान दिया है, वो माफी का अधिकारी नहीं हो जाता। एसजी ने केरल की एक और वायरल क्लिप का भी हवाला दिया, जिसमें हिंदुओं और ईसाईयों के खिलाफ आपत्तिजनक बात की गई थी।



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