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कर्नाटक: आज शुरू हो रहा विधानसभा सत्र, 'स्वामी' पर संकट जारी, SC में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बृहस्पतिवार को भारी सुरक्षा के बीच कर्नाटक के 10 बागी विधायकों ने विधानसभा में स्पीकर के आर रमेश कुमार से मुलाकात की। विधायकों ने अपना इस्तीफा कन्फर्म करने के लिए विधानसभा स्पीकर से मुलाकात की।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के 10 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शाम छह बजे मुलाकात करने और इस्तीफा देने के अपने निर्णय से अवगत कराने की अनुमति प्रदान कर दी।
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इस मामले में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष से कहा कि वह इन विधायकों के इस्तीफे के बारे में आज ही निर्णय लें। पीठ ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा लिये गये फैसले से शुक्रवार को अवगत कराया जाये जब कोर्ट इस मामले में आगे विचार करेगा।
विधायकों ने विधानसभा स्पीकर से की मुलाकात
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बृहस्पतिवार को भारी सुरक्षा के बीच कर्नाटक के 10 बागी विधायकों ने विधानसभा में स्पीकर के आर रमेश कुमार से मुलाकात की। विधायकों ने अपना इस्तीफा कन्फर्म करने के लिए विधानसभा स्पीकर से मुलाकात की। इसके बाद कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार के 13 विधायकों के इस्तीफे नियत प्रपत्र में मिले विधानसभा स्पीकर को मिले।
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वहीं, मीडिया से बातचीत के दौरान विधानसभा स्पीकर के आर रमेश कुमार ने कहा कि, ‘विधायकों ने अपना इस्तीफा मेरे कार्यालय में नियत प्रपत्र में लिखे। मैं उन पर विचार करूंगा और उनकी बात निजी तौर पर सुनने के बाद फैसला लूंगा।’
विधायक लिखित में दें कारण
इसके अलावा विधानसभा स्पीकर ने विधायकों से यह भी कहा है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र से इस्तीफे के कारण लिखित में दें और वे स्वेच्छापूर्वक ऐसा कर रहे हैं। वहीं, इस मामले में विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा में विचित्र स्थिति है जहां 15 विधायक इस्तीफा देना चाहते हैं लेकिन अध्यक्ष उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि छह जुलाई को जब कुछ बागी विधायक अपने त्यागपत्र देने गये तो अध्यक्ष पिछले दरवाजे से अपने कार्यालय से बाहर चले गये। उन्होंने कहा कि एक बागी विधायक से उस समय धक्कामुक्की की गयी जब उसने बुधवार को अध्यक्ष के कार्यालय तक पहुंचने का प्रयास किया।
रोहतगी ने कहा कि राज्य विधानसभा का सत्र 12 जुलाई से शुरू हो रहा है लेकिन उससे पहले ही सत्तारूढ़ गठबंधन ने इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये अध्यक्ष के समक्ष आवेदन दायर किया है।
चुनाव कराना चाहते हैं
उन्होंने कहा, ‘‘सदन में बहुमत सिद्ध करने का आदेश देने की बजाये बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। हम इस्तीफा देकर जनता के बीच जाकर फिर से चुनाव कराना चाहते हैं।’’
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रोहतगी ने जब यह कहा कि 15 विधायक पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं तो पीठ ने कहा, ‘‘हम सिर्फ उन्हीं 10 विधायकों के मामले का संज्ञान लेंगे जो हमारे सामने हैं।’ जब रोहतगी ने एक जुलाई से अभी तक के घटनाक्रम का जिक्र किया तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हमें किसी बात से आश्चर्य नहीं होता है।’’
कर्नाटक सरकार के लिए पैदा हुआ संकट
रोहतगी ने मई, 2018 की घटना का जिक्र किया जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद सरकार के गठन का मामला शीर्ष अदालत पहुंचा था। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी न्यायालय अध्यक्ष को सदन में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दे सकता है।
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उन्होंने कहा कि बेंगलुरू और मुंबई, जहां बागी विधायक टिके हैं, पूरी तरह से हंगामे की स्थिति है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को देखते हुये बागी विधायकों के लिये मुंबई से बेंगलुरू जाने पर पूरी तरह पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता है।
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बता दें कि कर्नाटक विधानसभा के 13 सदस्यों - कांग्रेस के 10 और जेडीएस के तीन- ने छह जुलाई को सदन की सदस्यता से अपने-अपने त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को सौंपे थे। इसके साथ ही राज्य में कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन सरकार के लिये राजनीतिक संकट पैदा हो गया था।