×

Karnataka Election 2023: कांग्रेस के घोषणापत्र से भाजपा को मिली अपनी सियासी पिच, कैंपेन में कौन किस पर पड़ा भारी

Karnataka Election 2023: कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कई महत्वपूर्ण मोड़ आए मगर कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने के वादे के बाद भाजपा को अपनी सियासी पिच पर बैटिंग करने का बड़ा मौका मिल गया।

Anshuman Tiwari
Published on: 9 May 2023 3:48 PM IST
Karnataka Election 2023: कांग्रेस के घोषणापत्र से भाजपा को मिली अपनी सियासी पिच, कैंपेन में कौन किस पर पड़ा भारी
X
Karnataka Election 2023 (photo: social media )

Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कल मतदान होने वाला है और राज्य में चुनावी शोर थम चुका है। पिछले कुछ दिनों के दौरान राज्य के विभिन्न इलाकों में भाजपा, कांग्रेस और जनता दल की ओर से धुआंधार चुनाव प्रचार किया गया है। कर्नाटक के चुनावी नतीजे राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ा सियासी संदेश देने वाले साबित होंगे। कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कई महत्वपूर्ण मोड़ आए मगर कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने के वादे के बाद भाजपा को अपनी सियासी पिच पर बैटिंग करने का बड़ा मौका मिल गया।

इसके बाद जहां एक ओर भाजपा आक्रामक अंदाज में हमलावर हो गई तो दूसरी ओर कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में दिखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य भाजपा नेताओं ने जहां कांग्रेस के वादे पर को बजरंगबली के भक्तों पर रोक लगाने से जोड़ दिया तो दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से सत्ता मिलने पर राज्य में हनुमान मंदिरों का निर्माण और पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार कराने का बड़ा वादा किया गया। अब सबकी निगाहें कल होने वाले मतदान पर टिकी हैं कि आखिरकार मतदाता किस पार्टी को राज्य की सत्ता सौंपते हैं।

कांग्रेस के घोषणापत्र के बाद बदला माहौल

कांग्रेस के घोषणापत्र से पहले करना कर्नाटक का विधानसभा चुनाव दूसरे मोड में दिख रहा था। कांग्रेस की ओर से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरा जा रहा था तो दूसरी ओर भाजपा की ओर से डबल इंजन की सरकार में राज्य के विकास की तेज रफ्तार की दलील दी जा रही थी।

चुनाव प्रचार खत्म होने से कुछ दिन पूर्व कांग्रेस के घोषणापत्र की एक पंक्ति ने भाजपा को हमलावर होने का बड़ा मौका मुहैया करा दिया। कांग्रेस की ओर से बजरंग दल जैसे धार्मिक संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के वादे के बाद देने भाजपा को अपनी सियासी पिच पर बैटिंग करने का बड़ा मौका मिल गया।

भाजपा की ओर से मौके को भुनाने की कोशिश

भाजपा ऐसे मौके की तलाश में थी और यही कारण था कि कांग्रेस के घोषणापत्र के बाद भाजपा ने बजरंग दल पर बैन के वादे को बजरंगबली के अपमान से जोड़ दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में बजरंगबली के जयकारे लगवाए। प्रधानमंत्री का कहना था कि कांग्रेस ने पहले भगवान श्रीराम को ताले में बंद रखा और अब बजरंगबली की पूजा पर भी रोक लगाना चाहती है।

कांग्रेस के इस वादे के बाद चुनाव प्रचार में बजरंगबली के मुद्दे की गूंज गहराई से महसूस की गई। प्रचार की शुरुआत कांग्रेस के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के साथ हुई तो इसका अंत बजरंगबली पर जाकर हुआ। सियासी जानकारों का भी मानना है कि कांग्रेस के चुनावी वादे ने प्रचार का रुख पूरी तरह मोड़ दिया।

पीएम के अपमान का मुद्दा भी गरमाया

प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कांग्रेस नेताओं की ओर से की गई टिप्पणी को भी भाजपा ने सियासी रूप से भुनाने की पूरी कोशिश की। भाजपा ने इसे प्रधानमंत्री के अपमान से जोड़ते हुए मामले की शिकायत चुनाव आयोग तक से की। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को तीखा जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेसी नेता उन्हें अतीत में गया 91 बार गालियां दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से दी जाने वाली हर गाली के बाद वे और मजबूत होकर उभर कर रहे हैं। उन्होंने कर्नाटक के मतदाताओं पर भी भाजपा को जीत दिलाने का बड़ा भरोसा जताया।

भाजपा ने उतारी प्रचार करने वालों की फौज

कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान तीनों प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस और जनता दल एस ने लुभावने वादे और एक-दूसरे पर आक्रामक हमलों से मतदाताओं का भरोसा जीतने की कोशिश की। चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने मोर्चा संभाला।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार कर्नाटक के चुनाव में 18 रैलियों के साथ छह बड़े रोड शो भी किए। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ वर्चुअल संवाद भी किया। अपने चुनाव अभियान के दौरान पीएम मोदी ने राज्य में करीब 3000 लोगों से मुलाकात भी की है। इनमें पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कर्नाटक की प्रमुख हस्तियां भी शामिल है।

भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी उतारा गया। इन मुख्यमंत्रियों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वास सीमा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल हैं।

कांग्रेस की ओर से भाजपा को तीखा जवाब

दूसरी ओर कांग्रेस भी लगातार भाजपा को तीखा जवाब देने में जुटी रही। राज्य कांग्रेस के दो प्रमुख नेताओं सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के अलावा राहुल गांधी और प्रियंका के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी मोर्चा संभाला।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के आखिरी 12 दिनों में कर्नाटक में डेरा डाले रखा। इस दौरान उन्होंने विविध कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के साथ ही चुनावी जनसभाएं और रोडशो भी किए। राहुल के साथ उनकी बहन प्रियंका ने भी कर्नाटक के चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाई है।

किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है जद एस

दूसरी ओर जनता दल एस की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने मोर्चा संभाले रखा। कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों में से जद एस के 30 से 35 सीटें जीतने का अनुमान लगाया जा रहा है।

भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में से किसी को भी पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में जद एस के किंगमेकर की भूमिका में होने की संभावना भी जताई जा रही है। अब सबकी निगाहें कल होने वाले मतदान पर टिकी हैं कि मतदाताओं का समर्थन आखिर किस सियासी दल को हासिल होता है।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

Next Story