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Karnataka Election 2023: कर्नाटक में थम गया प्रचार का शोर, सबकी निगाहें 10 मई को वोटिंग पर...अब डोर-टू-डोर कैंपेन
Karnataka Election 2023: भाजपा, कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
Karnataka Election 2023: कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आज (08 मई) की शाम 5 बजे चुनावी शोर थम गया। राज्य में 10 मई को मतदान के बाद 13 मई को चुनावी नतीजे घोषित किए जाएंगे। चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में सियासी घमासान चरम पर रहा। भाजपा, कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है, जबकि जनता दल (एस) ने भी कई इलाकों में मजबूती से पांव जमा रखे हैं। अब सभी दलों के नेता डोर-टू-डोर संपर्क कर सकते हैं। किसी भी प्रकार के शोर या प्रचार पर प्रतिबन्ध रहेगा।
कर्नाटक में किए गए विभिन्न ने सर्वे में कांग्रेस को भाजपा पर बढ़त लेते हुए दिखाया गया है, मगर भाजपा की ओर से आखिरी चरण में पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की ओर से धुआंधार प्रचार किए जाने के बाद भाजपा की स्थिति में भी सुधार होता दिख रहा है।
दक्षिण का दुर्ग बचाने में जुटी है भाजपा
इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा दक्षिण भारत में अपने अकेले दुर्गा को बचाने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा की ओर से आखिरी दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के अन्य अधिकारियों ने जोरदार प्रचार करके चुनावी फिजां को बदलने की कोशिश की है। भाजपा की ओर से आखिरी दौर में पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने ताबड़तोड़ रैलियां की हैं।
इस बार के चुनाव में भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी जोरदार प्रचार के जरिए चुनावी बाजी अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। कांग्रेस की ओर से अपने घोषणापत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने के वादे के बाद भाजपा नेता बजरंगबली को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और उन्हें इस काम में कुछ हद तक कामयाबी भी मिली है।
पीएम मोदी के प्रचार के बाद भाजपा में उत्साह
राज्य में 2008 और 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी मगर पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका था। यही कारण है कि पार्टी इस बार कर्नाटक के चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बेंगलुरु में शनिवार और रविवार को किए गए रोडशो और राज्य के अन्य इलाकों में चुनावी सभाओं के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल दिख रहा है।
कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने इस बार 150 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा नेता लगातार प्रयास करते हुए दिख रहे हैं। भाजपा नेताओं को पता है कि कर्नाटक की जीत पार्टी को नई ताकत देने वाली होगी क्योंकि आने वाले दिनों में पार्टी को कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने हैं। तेलंगाना में भाजपा मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की घेराबंदी में भी जुटी हुई है। कर्नाटक की जीत केसीआर की घेरेबंदी में भी पार्टी के लिए मददगार साबित होगी।
पिछले चुनाव में भाजपा को मिली थी 104 सीटें
यदि कर्नाटक के इतिहास को देखा जाए तो 2008 और 2018 में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा को सरकार बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। पिछले चुनाव के बाद जनता दल एस के नेता कुमारस्वामी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी। हालांकि बाद में कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के कारण कुमारस्वामी की सरकार गिर गई थी।
बाद में भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा पर भरोसा जताते हुए सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी और कांग्रेस और जद एस को बड़ा झटका दिया था। बाद में येदियुरप्पा के स्थान पर बसवराज बोम्मई को राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 104 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि कांग्रेस को 78 सीटों पर जीत मिली थी। जनता दल एस ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी और पार्टी के अन्य नेताओं के चुनावी कार्यक्रमों में उमड़ी भीड़ ने पार्टी का हौसला बढ़ा दिया है।
कांग्रेस ने भी प्रचार में झोंकी पूरी ताकत
दूसरी ओर इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। प्रचार के आखिरी दिन आज राहुल और प्रियंका गांधी रोड शो के अलावा जनसभा भी करेंगे। कर्नाटक में पार्टी के दो बड़े चेहरे डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया कांग्रेस की सरकार बनने का भरोसा जता रहे हैं। इन दोनों नेताओं के अलावा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल व प्रियंका भी चुनाव में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
कांग्रेस दक्षिण भारत में भाजपा के एकमात्र दुर्ग को भेदने की कोशिश में जुटी हुई है। प्रचार के आखिरी चरण में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी विभिन्न क्षेत्रों में जोरदार प्रचार करते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस का लक्ष्य भी राज्य की 150 सीटों पर जीत हासिल करने का है।
खड़गे के लिए अग्निपरीक्षा है कर्नाटक का चुनाव
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह राज्य होने के कारण इस बार के चुनाव में लोगों की गहरी दिलचस्पी बनी हुई है। खड़गे इस बार आक्रामक चुनाव प्रचार करने की कोशिश में जुटे हुए हैं और इसी के तहत पीएम मोदी के खिलाफ बड़ा हमला करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री को सांप तक बना दिया था।
हालांकि बाद में भाजपा की ओर से हमलावर होने पर उन्होंने अपने बयान को लेकर सफाई भी पेश की थी। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव को खड़गे के लिए बड़ी अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। माना जा रहा है कि कर्नाटक के चुनावी नतीजे देश के अन्य राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी काफी असर डालने वाले साबित होंगे। चुनावी शोर थमने के बाद सबकी निगाहें मतदान और चुनावी नतीजों पर होंगी।