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आर्मी की ये डाइट: जवानों को रखती है फिट और मजबूत, करते हैं दुश्मनों के दांत खटटे

भारतीय आर्मी जवान पूरे देश की रक्षा के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना किसी भी जगह और किसी भी मौसम अपने आपको एकदम जोशीले कैसे रहते है तो आइए आपको बताते हैं आर्मी और मिलिट्री के जवानों की डाइट के बारे में।

Shivakant Shukla
Published on: 18 Jan 2020 1:08 PM GMT
आर्मी की ये डाइट: जवानों को रखती है फिट और मजबूत, करते हैं दुश्मनों के दांत खटटे
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नई दिल्ली: हमारे देश की रक्षा करने वाले भारतीय आर्मी जवान अपने आपको किस प्रकार चुस्त और दुरस्त रखते हैं। तो सबसे पहला सवाल ये आता है कि इनकी डाइट क्या होती है जिसके कारण ये इतने फिट और जोशीले रहते हैं। भारतीय आर्मी जवान पूरे देश की रक्षा के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना किसी भी जगह और किसी भी मौसम अपने आपको एकदम जोशीले कैसे रहते है, तो आइए आपको बताते हैं आर्मी और मिलिट्री के जवानों की डाइट के बारे में..

मकई की रोटी खाते हैं आर्मी के जवान

अक्‍सर आपने आर्मी की तस्‍वीरों को टीवी पर देखा होगा कि भारतीय सैनिक जंग पर जाते हुए अपनी पीठ पर एक पानी की थैली और एक बैग बंधी हुई होती हैं। जिसमे खाने के कुछ अनाज रखते हैं। जो लड़ाई पर लंबे समय दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले सैनिक के शरीर की ऊर्जा व चुस्ती-फुर्ती बनाए रखने के लिए भूख लगने पर खाया जाता है सैनिक अपनी खाने की खुराक में मकई की रोटी खाते हैं।

इसमें स्टार्च, फाइबर और आयरन अधिक मात्रा में होता है। भारतीय जवान देसी चना भी खूब खाते है। इसे खाने से उन्हें प्रोटीन मिलता है साथ ही भारतीय जवान के खाने मे तेल की मात्रा ना के बराबर होती है।

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क्योंकि पहले शक्‍कर आसानी से नहीं मिल पाता था, तो भारतीय जवान खाने को मीठा करने के लिए गुड़ या गन्ने के गाढ़े रस का उपयोग करते थे। वे किसी भी सब्जी को पूरा नहीं पकाते थे क्योंकि ज्यादा पकाने पर उनकी पौष्टिकता नष्ट होती है और समय भी अधिक लगता है। भारतीय जवान अपने साथ मूंगफली के दाने और गुड़ के लड्‌डू भी रखते थे और बीच में भूख लगने पर यही खा लेते थे।

ये डिश आप भी शामिल कर सकते हैं अपने आहार में

साथ ही ऐसी डिश हम आपको बताने जा रहे है जो आप भारतीय आर्मी जवान की तरह अपने खाने मे शामिल कर सकते हैं और उनकी तरह फिट भी रह सकते हैं। चावल को पकाने के बाद पीसते हैं, गुड़ डालते हैं और लोई बनाकर रखते हैं। गेहूं के आटे की रोटी बनाते हैं, उसमें चावल और गुड़ की लोई भरके बंद कर देते हैं। भरावन वाली लोई की रोटी बनाते हैं और इसे पराठे की तरह सेंकते हैं और गरम-गरम खाते हैं।

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चावल को पीसकर उबालते हैं। फिर इसमें नमक डालकर मटके में रखते हैं। कुछ घंटों बाद जब खमीर उठता है, तब खाते हैं। भारतीय सैनिक इसे अपने साथ बांधकर ले जाते थे। क्योंकि यह फर्मेंटेड होता है इसलिए खाने के बाद मामूली-सा नशा होता है। ये एक प्रकार का संतुलित आहार हैं।

Shivakant Shukla

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