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लेबर कोड: कर्मचारियों को मिलने वाले फायदे, विरोध के बीच संसद से हुआ पारित

पहले किसी कर्मचारी को एक वर्ष में न्यूनतम 240 दिन का काम करने के बाद ही, हर 20 दिन पर एक दिन की छुट्टी पाने का अधिकार मिलता था। अब छुट्टी की पात्रता के लिए, 240 दिन की न्यूनतम शर्तों को घटाकर 180 दिन कर दिया गया है।

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Published on: 24 Sept 2020 8:31 PM IST
लेबर कोड: कर्मचारियों को मिलने वाले फायदे, विरोध के बीच संसद से हुआ पारित
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लेबर कोड: कर्मचारियों को मिलने वाले फायदे, विरोध के बीच संसद से हुआ पारित

नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में श्रम सुधारों से जुड़े तीन बिल (लेबर कोड) पारित हो गए हैं। इनका मजदूर संगठनों द्वारा काफी विरोध किया गया, कई मसलों पर तो खुद आरएसएस के संगठन भारतीय मजदूर संघ ने विरोध किया है। लेकिन इनमें कर्मचारियों के हित में कई कदम भी उठाए गए हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं।

पारित किए गये तीन कोड या बिल इस प्रकार हैं-

पेशेगत सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्यदशा संहिता (OSH Code) 2020', ‘औद्योगिक संबंध संहिता (IR Code) 2020' और ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता (SC Code) 2020' हैं। इन विधेयकों के द्वारा सामाजिक सुरक्षा संहिता, संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की कोशिश की गई है। इसमें कामगारों के लिए ईपीएफओ, ईएसआईसी, मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड बनाने की बात है।

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नियुक्ति पत्र का कानूनी अधिकार

अब सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र मिलेगा। संसद में इन बिलों को पेश करते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा था कि श्रमिकों की यह समस्या रही है कि वे कई परिस्थितियों में यह सिद्ध नहीं कर पाते हैं कि वे किस संस्थान के श्रमिक हैं। इस समस्या के निदान के लिए नियुक्ति-पत्र का कानूनी अधिकार, हर श्रमिक को इस कोड के माध्यम से दिया गया है।

सालाना हेल्थ चेकअप

पेशेगत सुरक्षा एवं स्वास्थ्य (OSH) संहिता में पहली बार, एक निश्चित आयु से ऊपर के श्रमिकों के लिए, वार्षिक स्वास्थ्य जांच का प्रावधान किया गया है। यह सुविधा अनिवार्य रूप से देनी होगी।

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ग्रेच्युटी मिलना आसान

इस मंजूरी के बाद अब ग्रेच्युटी लेने के लिए 5 साल की लिमिट खत्म हो गई है। अभी तक जो नियम था उसके मुताबिक कर्मचारी को किसी एक कंपनी में लगातार 5 साल कार्यरत रहना जरूरी था। अब एक साल नौकरी करने के बाद भी कोई कर्मचारी ग्रेच्युटी हासिल कर सकता है।

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छुट्टी की शर्तों में नरमी

पहले किसी कर्मचारी को एक वर्ष में न्यूनतम 240 दिन का काम करने के बाद ही, हर 20 दिन पर एक दिन की छुट्टी पाने का अधिकार मिलता था। अब छुट्टी की पात्रता के लिए, 240 दिन की न्यूनतम शर्तों को घटाकर 180 दिन कर दिया गया है।

दुर्घटना में ज्यादा मुआवजा

अब कर्मचारियों को किसी दुर्घटना की स्थिति में नियोक्ता के ऊपर लगाए गए जुर्माने की कम से कम 50 फीसदी राशि दी जाएगी। यही नहीं, अब घर से दफ्तर या कारखाना आने-जाने के दौरान यदि किसी कर्मचारी की दुर्घटना होती है या वह घायल होता है तो उसे भी मुआवजा मिलेगा। पहले सिर्फ प्रतिष्ठान के अंदर ऐसी दुर्घटना पर मुआवजा मिलता था।

महिलाओं को नाइट ड्यूटी की सुविधा

इस कोड के द्वार पहली बार यह प्रावधान किया गया है कि महिलाएं किसी भी प्रकार के संस्थान में अपनी स्वेच्छानुसार रात में भी काम कर सकेंगी। हालांकि, नियोक्ता को इसके लिए सरकार द्वारा निर्धारित सभी आवश्यक सुरक्षा प्रबंध करने पड़ेंगे।

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ईएसआईसी दायरा बढ़ा

सामाजिक सुरक्षा संहिता में ईएसआईसी के दायरे को बढ़ाया जा रहा है। ईएसआईसी की कवरेज अब देश के सभी 740 जिलों में होगी। इसके अतिरिक्त ईएसआईसी का विकल्प, बागान श्रमिकों, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, गिग तथा प्लेटफॉर्म वर्कर्स तथा 10 श्रमिकों से कम श्रमिक वाले संस्थानों के लिए भी होगा। यदि किसी संस्थान में जोखिम वाला कार्य होता है, तो उस संस्थान को एक श्रमिक होने पर भी अनिवार्य रुप से ईएसआईसी के दायरे में लाया जाएगा।

पीएफ की सुविधा ज्यादा लोगों को

ईपीएफओ के दायरे को बढ़ाने के लिए वर्तमान कानून में संस्थानों के शिड्यूल को हटा दिया गया है और अब वे सभी संस्थान जिनमें 20 या उससे अधिक श्रमिक हैं, वे ईपीएफ के दायरे में आएंगे। यानी इनके कर्मचारियों को पीएफ का लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त 20 से कम श्रमिकों वाले संस्थान तथा स्व-रोजगार वाले श्रमिकों के लिए भी ईपीएफओ का विकल्प, सामाजिक सुरक्षा संहिता में दिया जा रहा है, यानी उनके लिए यह वैकल्पिक होगा।

विशेष सामाजिक सुरक्षा कोष

इस बिल के द्वारा 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए विशेष रूप से सामाजिक सुरक्षा कोष का प्रावधान किया गया है। इस फंड के द्वारा असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे श्रमिक और गिग व प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं बनाई जाएंगी, इन 40 करोड़ श्रमिकों को मृत्यु बीमा, दुर्घटना बीमा, मातृत्व लाभ और पेंशन इत्यादि प्रदान करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी।

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नौकरी में सहयोग के लिए री स्किलिंग फंड

किसी भी श्रमिक की यदि नौकरी छूट जाती है तो दोबारा उसके रोजगार की संभावना बढ़ाने के उद्देश्य से इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड में पहली बार पुनः कौशल (री स्किलिंग) फंड का प्रावधान किया गया है। इससे श्रमिकों को री स्किल किया जाएगा और इन श्रमिकों को इसके लिए 15 दिन का वेतन दिया जाएगा।

प्रवासी मजदूरों की परिभाषा बदली

कोरोना संकट को देखते हुए प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। अब सभी मजदूर, जो एक राज्य से दूसरे राज्य में आते हैं और उनका वेतन 18 हजार रुपए से कम है तो वे प्रवासी श्रमिक की परिभाषा के दायरे में आएंगे और उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल पाएगा। पहले केवल कॉन्ट्रैक्ट वाले मजदूरों को इसका लाभ मिलता था।

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