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फायदे ही फायदे: बंपर होगा इससे मुनाफा, जानें इसके बारे में सारी डिटेल
इस योजना को केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय और कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा चलाया जाता है। योजना को राज्य और केंद्रशासित सरकारों के कृषि विभागों द्वारा पूरा किया जाता है।
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में पीएम मोदी की अगुवाई वाली NDA सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में किसानों के लिए फसल बीमा योजना, सिंचाई योजना से लेकर प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना लेकर आई थी। आज हम आपको मोदी सरकार के सॉयल हेल्थ कार्ड बारे में जानकारी देने वाले हैं। जिससे आपकी फसल की पैदावर तो अच्छी होगी ही साथ ही आपके खेत की मिट्टी की सेहत भी बेहतर होगी।
इस योजना को केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय और कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा चलाया जाता है। योजना को राज्य और केंद्रशासित सरकारों के कृषि विभागों द्वारा पूरा किया जाता है। इस योजना को सरकार इस लिए लेकर आई थी कि किसान उनके खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थिति जान सके और उन्हें उर्वरकों की सही मात्रा के प्रयोग और जरूरी सुधारों के बारे में जानकारी दी जा सके।
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सॉयल हेल्थ कार्ड (SHC) को एक तरह का प्रिंटेड रिपोर्ट होता है। जिसे किसान के हर जोतों के लिए दिया जाता है। इसमें 12 पैरामीटर्स जैसे- NPK, सल्फर, जिंक, फेरस, कॉपर, मैगनिशियम आदि के बारे में जानकारी दी गई होती है। इसी के आधार पर ही सॉयल हेल्थ कार्ड में खेती के लिए अपेक्षित सॉयल सुधार और उर्वरक सिफारिशों के बारे में जानकारी होती है।
रिपोर्ट का कैसे करते हैं इस्तेमाल
इस रिपोर्ट में किसानों के खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों के आधार पर जानकारी होती है। इस रिपोर्ट में जरुरी पोषक तत्वों की मात्रा से संबंधित जानकारी दी गई होती है। जिससे किसानों को पता चल सके कि किस तत्व की मात्रा पर्याप्त है और किस तत्व की कितनी जरुरत है। इसी के आधार पर किसान पर्याप्त और जरुरी उर्वरक को खेती के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसको हर 3 साल में उपलब्ध किया जाता है।
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राज्य सरकार के कृषि विभाग के कर्मचारी या आउटसोर्स एजेंसी किसानों से मिट्टी के नमूने संग्रह करती है। सरकार इसमें क्षेत्रीय कृषि महाविद्यालयों और साइंस कॉलेजों के छात्रों को भी शामिल करती है। इसके लिए नमूने GPS उपकरण और राजस्व मैप की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हैक्टेयर और वर्षा सिंचित क्षेत्र के ग्रिड से लिए जाते हैं।
नमूने एकत्रित करने का उचित समय
सामान्यत: सॉयल (मिट्टी के) नमूने रबी और खरीफ फसलों की कटाई के बाद एक साल में 2 बार लिए जाते हैं। जब खेत में कोई भी फसल नहीं होती है, तब भी इस नमूने को लिया जा सकता है। इसे एक प्रोफेशनल व्यक्ति द्वारा वी आकार में सॉयल की कटाई के बाद 15-20 सेंटीमीटर की गहराई से एकत्रित किया जाता है।
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