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मालिक हो तो ऐसा, एमडी का शव घर भेजने के लिए 60 लाख में बुक कर दिया प्लेन

दरअसल ये मामला विसुवियस इंडिया लिमिटेड कम्पनी से जुड़ा हुआ है। इस कंपनी ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो बिरले ही देखने को मिलता है।

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Published on: 27 Aug 2020 3:59 PM IST
मालिक हो तो ऐसा, एमडी का शव घर भेजने के लिए 60 लाख में बुक कर दिया प्लेन
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रितेश डूंगरवाल की फाइल फोटो

इंदौर: आज के इस दौर में जहां एक छुट्टी के नाम पर कर्मचारियों का वेतन काट लिया जाता है। छोटी से छोटी गलतियों पर बहाना बनाकर नौकरियों से निकाल दिया जाता है। किसी मुसीबत में होने पर मदद मांगने पर सीधे-सीधे मना कर दिया। बात-बात पर नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है।

वहीं आज कुछ ऐसी कम्पनियां भी जो संकट के समय में न केवल कर्मचारियों और उनके परिवार मदद कर रही हैं बल्कि आपने कामों से दूसरों के सामने एक नजीर भी पेश कर रही है। तो आइये आज हम आपको एक ऐसी ही कम्पनी और उसके कर्मचारी के बारे में बता रहे हैं।

विसुवियस इंडिया लिमिटेड कम्पनी की फाइल फोटो विसुवियस इंडिया लिमिटेड कम्पनी की फाइल फोटो

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दरअसल ये मामला विसुवियस इंडिया लिमिटेड कम्पनी से जुड़ा हुआ है। इस कंपनी ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो बिरले ही देखने को मिलता है।

पूरा मामला कुछ यूं हैं कि कोलकाता की विसुवियस इंडिया लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर रितेश डूंगरवाल की बीते दिनों मौत हो गई थी। वह इंदौर के उषा नगर एक्टेंशन के रहने वाले थे। वे कंपनी से दो साल से ज्यादा समय से जुड़े हुए थे।

उनके सेल बादल चौरड़िया ने बताया कि जीजाजी की 19 अगस्त को हार्टअटैक से मौत हो गई थी। परिवार उनकी बॉडी को लाने की व्यवस्था में लगा था, लेकिन इस कार्य में कुछ दिक्कतें आ रही थी।

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विमान की फाइल फोटो विमान की फाइल फोटो

30 कमर्चारियों के साथ एमडी का शव भिजवा

ये बात जैसे ही कम्पनी के मालिक को पता चली उन्होंने प्लेन से डायरेक्टर के शव को कोलकाता से इंदौर भिजवाने का निर्णय किया। लेकिन उस दिन कोलकाता में प्लेन का अरेंजमेंट नहीं हो पा रहा था।

जिसके बाद कम्पनी ने दिल्ली से 180 सीटों वाला पूरा विमान ही बुक कर दिया। कम्पनी ने अपने 30 कर्मचारियों के साथ डायरेक्टर के शव को कोलकाता से इंदौर उनके घर भिजवाया। परिजनों ने बताया कि कम्पनी का इस काम में 50 से 60 लाख रुपए तक का खर्च आया होगा

क्योंकि रुटीन में करीब 5 हजार रुपए एक व्यक्ति का किराया होता है। ऐसे में तीन अलग-अलग लोकेशन से मॉनीटर कर इंदौर भेजना, फिर खाली प्लेन का वापस जाना, इतना खर्च तो आया ही होगा। लेकिन उसने परिवार से एक रुपए की मदद नहीं ली। कंपनी ने जो उदाहरण पेश किया, वह हमारे लिए सोच से परे था।

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