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वैज्ञानिकों का दावा: नैनोमेडिसिन से होगा कोरोना का इलाज, चूहों पर परीक्षण सफल

सुभाष चंद्र बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेसज (SNBNCBS) के इन वैज्ञानिकों को बहुत सुरक्षित और प्रभावी नैनोमेडिसिन बनाने में सफलता मिली है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोरोना के इलाज में कारगार साबित हो सकती है।

SK Gautam
Published on: 1 May 2020 6:43 AM GMT
वैज्ञानिकों का दावा: नैनोमेडिसिन से होगा कोरोना का इलाज, चूहों पर परीक्षण सफल
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नई दिल्ली: कोरोना के कारण देश में फैले संक्रमण को रोकने के लिए लगाये गए लॉक डाउन के दूसरे फेज का आज 17वां दिन है। इधर कोरोना को मात देने वाली दवा की खोज में लगे देश भर के वैज्ञानिकों द्वारा भरपूर प्रयास किया जा रहा है। इस बीच कोलकाता के सुभाष चंद्र बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेसज (एसएनबीएनसीबीएस) के वैज्ञानिकों ने भी कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया है।

कोलकाता में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 184

सुभाष चंद्र बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेसज (SNBNCBS) के इन वैज्ञानिकों को बहुत सुरक्षित और प्रभावी नैनोमेडिसिन बनाने में सफलता मिली है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोरोना के इलाज में कारगार साबित हो सकती है। कोलकाता में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 184 हो गई है।

वायरल संक्रमण को रोकने में कारगर

वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गयी यह मेडिसिन शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बदलकर कई बीमारियों का इलाज करने में सक्षम होती है। यह रिसर्च COVID-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में आशा की किरण की तरह है। नैनोमेडिसिन शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पेसीज (रेडॉक्स) को घटा और बढ़ा सकती है। इसका प्रयोग वायरल संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है। पीलिया के कारण बनाने वाले Bilirubin को तोड़ सकता है।

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ऐसे बनायी गयी ये दावा

इस दवा को बनाने में नींबू के सिट्रस अर्क और मैगनीज साल्ट के नैनोपार्टिकल्स का प्रयोग किया गया है। वैज्ञानिकों ने कहा, कोशिकाओं में रेडॉक्स प्रतिक्रियाएं ऑक्सीजन को बढ़ाती या घटाती हैं जो कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पन्न करने जैसी कई प्रक्रियाओं के लिए जरूरी है।

चूहों पर किया गया जा चुका है परीक्षण

चूहों पर किए गए एक परीक्षण में पाया गया कि नैनोमेडिसिन ने सुरक्षित तरीके से ठीक ढाई घंटे के अन्दर Bilirubin का लेवल नीचे ले आया। दवा के सफल प्रयोग के बाद अब इसे मनुष्यों पर जांचने की संभावनाएं तलाशी जा रही है। इस दवा को बनाने में नींबू जैसे अर्क और मैगनीज साल्ट के नैनोपार्टिकल्स का प्रयोग किया गया है। इस मेडिसिन का उपयोग पीलिया सहित कई रोगों के उपचार के लिए किया जा सकता है।

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