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लॉकडाउन के बाद बायोलॉजिकल ट्रैप, पक्षियों-जानवरों के लिए होगा जानलेवा

लंबे समय से प्रतिकूल परिस्थितियों में रह रहे इन जीवों और जंगली जानवरों ने ध्वनि और वायु प्रदूषण के अलावा बहुत तेजी से हो रहे निर्माण में रहना सीख लिया था। इतना ही नहीं मानव मौजूदगी में भी ये सर्वाइव कर पा रहे थे।

SK Gautam
Published on: 5 May 2020 12:17 PM GMT
लॉकडाउन के बाद बायोलॉजिकल ट्रैप, पक्षियों-जानवरों के लिए होगा जानलेवा
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नई दिल्ली: कोरोना के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन का तीसरा चरण शुरू हो गया है जोकि 17 मई तक लागू रहेगी। इस दौरान कोरोना बढ़ने का खतरा तो पैदा हो ही रहा है लेकिन वन्य जीव विशेषज्ञ इसे दूसरे ही नजरिये से देख रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर 18 को लॉकडाउन खुला तो वन्य जीवों के साथ साथ पक्षियों, रेंगने वाले जीवों और स्तनधारियों के लिए खतरा बढ़ सकता है और बायोलॉजिकल ट्रैप हो सकता है। लॉकडाउन खुलते ही शुरू होने वाले हंगामे में हज़ारों जीवों की जान जा सकती है।

खासतौर पर रेप्टाइल्स के लिए जानलेवा

दिल्ली यमुना बायोडिवेर्सिटी पार्क में जानवरों की गतिविधियों पर बारीक नज़र रख रहे वन्य जीव विशेषज्ञ फैय्याज ख़ुदसर कहते हैं कि इतना खतरा जानवरों, पक्षियों और अन्य जीवों को पहले नहीं था जितना कि अब हो सकता है। वन्य जीवों के साथ ही खासतौर पर रेप्टाइल्स के लिए 18 को लॉकडाउन खुलना जानलेवा हो सकता है। उनका कहना है कि इनकी मृत्यु दर में अचानक वृद्धि हो सकती है।

यहां जाने कैसे होगा बायोलॉजिकल ट्रैप

फैय्याज ख़ुदसर कहते हैं कि ज्यादातर रेप्टाइल्स और जंगली पशु इस करीब दो महीने के लंबे लॉकडाउन में अपनी जगह बदल चुके होंगे। हाल ही में जानकारी मिली है कि देहरादून में हाथी सड़क पर बाहर घूम रहे हैं। मालाबार को वेस्टर्न घाट में रहने की आदत है लेकिन अगर वह इस दौरान कोझिकोड या जंगल के किसी पैच में आकर ठहर गया होगा तो उसके लिए मुसीबत हो जाएगी। वहीं चंडीगढ़ में चीतल लोगों के सामान्य पार्क में घूम रहे हैं।

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ऋषिकेश में साम्भर सड़क पर टहलते हुए दिखाई दे रहे हैं। यहां तक कि हाल ही में सूचना मिली कि दिल्ली के बसन्त कुंज में तेंदुआ रिहाइशी इलाके में आ गया है। ऐसे में जैसे ही मानवीय दखल और तमाम बन्द चीजें खुलेंगी तो ये जानवर बौखला जाएंगे और ये फंस जाएंगे।

लॉकडाउन के दौरान अपनी मूलभूत आदतों में लौट गए हैं जंगली जीव

इस लॉक डाउन में जानवर, रेप्टाइल्स और पक्षी प्रकृति के ज्यादा नजदीक आ गए हैं। या ये कहें कि वे अपनी मूलभूत आदतों में लौट गए हैं। अपने समय के अनुसार, खान, पान और शांत कॉरिडोर में रहने चले गए हैं। जो कि पहले नहीं हो रहा था। ऐसे में लॉकडाउन खुलने पर होने वाले बदलावों से ये हिंसक भी हो सकते हैं।

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स्तनधारी और रेंगने वाले जीवों को है सबसे ज्यादा खतरा

वन्य जीव वैज्ञानिक फैय्याज ख़ुदसर कहते हैं कि इस करीब दो महीने के कार्यकाल में रेंगने वाले और स्तनधारी जीवों की संख्या में जबरदस्त बढोत्तरी हुई है। इतना ही नहीं लॉकडाउन में हर तरफ हुए शांति के बाद इन जीवों ने अपना ठिकाना भी बदल लिया है। सांप, नेवला सहित तमाम जीव ठंडे और नए ठिकानों पर पहुंच गए हैं लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा, वैसे ही एकाएक लोगों की भीड़ बढ़ेगी और इनसे इनका ठिकाना छिन जाएगा। आशंका है कि बचने के लिए भागने के या नया ठिकाना खोजने के दौरान इनमें से तमाम जीवों की मौत हो जाये।

मानव जीवन के हिसाब से ढल चुके थे जंगली जानवर

फैय्याज कहते हैं कि लंबे समय से प्रतिकूल परिस्थितियों में रह रहे इन जीवों और जंगली जानवरों ने ध्वनि और वायु प्रदूषण के अलावा बहुत तेजी से हो रहे निर्माण में रहना सीख लिया था। इतना ही नहीं मानव मौजूदगी में भी ये सर्वाइव कर पा रहे थे। लेकिन अब हुए बदलावों के बाद ये फिर से अपने प्राकृतिक स्वभाव में हैं। ऐसे में इन पर संकट मंडरा रहा है। इसे लेकर वैज्ञानिक भी काफी चिंतित हैं और लगातार बातचीत कर रहे हैं।

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