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कन्याकुमारी से लखनऊ पहुंची 'कुंभ संदेश यात्रा', हरिद्वार है मंंजिल
कन्याकुमारी से चलकर हरिद्वार तक जाने वाली कुम्भ संदेश यात्रा 17 फरवरी को काशी से चलकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंची है
लखनऊ: कन्याकुमारी से चलकर हरिद्वार तक जाने वाली कुम्भ संदेश यात्रा 17 फरवरी को काशी से चलकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंची है, जहां विधान परिषद के उपसभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह के साथ 18 फरवरी को दोपहर 1 बजे मिलकर कुम्भ पर यात्रादल के विद्वानों ने चर्चा की और इस यात्रा के उद्देश्यों से परिचित कराया।
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5600 किलोमीटर यात्रा पूर्ण कर पहुंची लखनऊ
सनातन धर्म की प्राचीनतम संस्कृति और परंपरा की अलख दक्षिण भारत से जलाकर उत्तर भारत के विद्वानों और ज्योतिषी बन्धुओं को साथ लेकर छोटी छोटी सभाओं, सेमिनारों और गोष्ठियों के माध्यम से जन जागरण करते हुए यह यात्रा लखनऊ पहुंचने तक 5600 किलोमीटर यात्रा पूर्ण कर चुकी है। कुल 40 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 7000 से अधिक किलोमीटर की यात्रा पूर्ण करके हरिद्वार पहुंचेगी।
यात्रा का उद्देश्य...
कुम्भ संदेश यात्रा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ज्योतिषी आचार्य अविनाश राय ने बताया कि हैदराबाद के पेदाम्मा मंदिर से यात्रा कन्याकुमारी के लिए निकली। जिसका मूल उद्देश्य दक्षिण भारत से चलकर पूरे भारत मे उत्तर भारत की कुम्भ परम्परा को दक्षिण भारत से निकलकर जिस प्रकार आदि शंकराचार्य ने सनातन परंपरा को पुनः स्थापित किया था उसी प्रकार "मिशन 5151" के तहत निकली यह यात्रा हैदराबाद से तिरुपति होते हुए कन्याकुमारी से चलकर उज्जैन, भोपाल, चित्रकूट, प्रयाग, काशी के रास्ते लखनऊ आ पहुंची है। यहां से कानपुर, वृंदावन, दिल्ली, मेरठ, पतंजलि आश्रम होते हुए हरिद्वार कुम्भ स्थल पर पहुंचेगी।
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कुम्भ संदेश यात्रा का मूल उद्देश्य भारतीय मूल ग्रामीण संस्कृति से जन्म लेने वाली उसी वैदिक परंपरा से भारत के जन जन तक पहुंचाना है। सनातन मूल संस्कृति से भारतीयों को परिचित कराते हुए विश्व पटल पर मानवता और विश्व बंधुत्व का संदेश और सनातन संस्कृति की स्थापना प्रथम लक्ष्य है। भारत की मूल संस्कृति के संरक्षण और पुनरुत्थान हेतु कलि संवत 5151 तक अनवरत यह यात्रा चलती रहेगी।