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पूर्वी लद्दाख में तनाव सोची समझी साजिश, जानिए क्यों बौखलाया हुआ है चीन
डोकलाम में चला विवाद भी 72 दिनों बाद बातचीत के जरिए सुलझा लिया गया था। लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर से घुसपैठ की कोशिश की पहली बार की गई है। हालांकि इससे पहले अन्य सेक्टरों में चीन की ओर से घुसपैठ की नाकाम कोशिश जरूर की जा चुकी है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प को दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बाद बड़ी घटना माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि दशकों से दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई में कोई सैन्य कर्मी शहीद नहीं हुआ था। डोकलाम में चला विवाद भी 72 दिनों बाद बातचीत के जरिए सुलझा लिया गया था। लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर से घुसपैठ की कोशिश की पहली बार की गई है। हालांकि इससे पहले अन्य सेक्टरों में चीन की ओर से घुसपैठ की नाकाम कोशिश जरूर की जा चुकी है। जानकारों का कहना है कि चीन इन दिनों भारत से बौखलाया हुआ है और इस हिंसक झड़प में भी चीन की बौखलाहट को ही कारण माना जा रहा है। चीन की बौखलाहट के दो बड़े कारण माने जा रहे हैं।
केंद्र सरकार का स्पष्ट है रवैया
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की ओर से समय-समय पर यह बात स्पष्ट तौर पर कही जाती रही है कि पाकिस्तान से पीओके समेत गिलगित बाल्टिस्तान का पूरा क्षेत्र वापस लेना है। इस मुद्दे पर सरकार का नजरिया पूरी तरह स्पष्ट है। भारत की ओर से चीन से अक्साई चिन का इलाका भी वापस मांगा गया है जिसे 1962 क युद्ध के बाद चीन ने अवैध रूप से हथिया लिया था। चीन की बौखलाहट में इसे पहला बड़ा कारण माना जा रहा है।
पीओके से जुड़े हुए हैं चीन के हित
पीओके के साथ चीन का बड़ा हित जुड़ा हुआ है क्योंकि चीन का महत्वपूर्ण आर्थिक गलियारा इस क्षेत्र से होकर ही गुजर रहा है। इस आर्थिक गलियारे को विकसित करने में चीन अरबों डॉलर खर्च कर रहा है। इस आर्थिक गलियारे से चीन को कई तरीके के फायदे होंगे। इससे वह भारत की पश्चिमी सीमा पर नजर रखने के साथ ही कम लागत और कम समय में माल अपने देश ले जाने में कामयाब होगा।
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इसके साथ ही चीन पाकिस्तान को कर्ज के भंवरजाल में इतना बुरी तरह फंसा देना चाहता है कि वह उसकी हर बात मानने के लिए मजबूर हो जाए।
आर्थिक गलियारे पर भारत के सवाल
चीन के इस आर्थिक गलियारे पर भारत ने पहले भी सवाल खड़े किए हैं और उसे इस मुद्दे पर अमेरिका का भी समर्थन मिला है। चीन को इस बात का भय सता रहा है यदि भारत ने पाकिस्तान से अपने क्षेत्र को वापस लेने की दिशा में कदम बढ़ाया तो इससे चीन की ओर से किया गया अरबों डॉलर का निवेश बेकार हो जाएगा।
यही कारण है कि चीन पाकिस्तान को वे सारी चीजें मुहैया कराता रहा है जिससे भारतीय सीमा पर अशांति का माहौल बना रहे। चीन तो अब पीओके में आतंकियों को मदद पहुंचाने की दिशा में भी आगे बढ़ चुका है। पीओके में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग शिविरों में हाल में चीनी सेना के अफसर भी देखे गए हैं। इससे चीन की बौखलाहट को साफ तौर पर समझा जा सकता है।
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कोरोना पर भारत के रवैये से नाराजगी
लद्दाख में चीन की कार्रवाई का एक बड़ा कारण कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद जांच के लिए बढ़ रहे दबाव को भी माना जा रहा है। पूरी दुनिया की ओर से चीन पर इस महामारी की उत्पत्ति की जांच के लिए दबाव बनाया जा रहा है। भारत ने भी पहली बार चीन के खिलाफ इस मसौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिका इस मुद्दे को लेकर चीन की तगड़ी घेरेबंदी में जुटा हुआ है। चीन को इस मामले में भारत द्वारा अमेरिका का साथ दिया जाना भी नागवार गुजरा है।
रक्षा विशेषज्ञ और रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बक्शी का कहना है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए चीन भारत से जुड़ी अपनी सीमा पर तनाव का माहौल पैदा कर रहा है। चीन सबका ध्यान भटकाने की कोशिश के तहत ही सीमा पर अशांति का माहौल बना रहा है। इसके साथ ही हांगकांग के मुद्दे पर भी चीन पूरी दुनिया में घिर गया है और दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए नए विवाद पैदा कर रहा है।
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