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गलवान घाटीः चीन क्यों इस जगह पर होना चाहता है काबिज, क्या है रहस्य

लद्दाख की गलवान घाटी भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का अहम केंद्र है। चारों तरफ बर्फीली वादियों से घिरी इस घाटी में ही श्‍योक और गलवान नदियों का मिलन होता है। साल 1961 में भारत ने पहली बार यहां कब्‍जा किया और आर्मी पोस्‍ट बनाई। इस घाटी के दोनों तरफ के पहाड़ रणनीतिक रूप से सेना को एडवांटेज देते हैं।

SK Gautam
Published on: 16 Jun 2020 2:43 PM IST
गलवान घाटीः चीन क्यों इस जगह पर होना चाहता है काबिज, क्या है रहस्य
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नई दिल्‍ली: भारत-चीन सीमा विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार रात फिर से यहीं पर भारत और चीन के सैनिक टकराए। हिंसक झड़प हुई जिसमें भारत का एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए। अब दोनों देशों के वरिष्‍ठ अधिकारी गलवान घाटी में ही मीटिंग कर तनाव को दूर करने की कोशिश में लगे हैं। गलवान घाटी भारत के लिए बहुत अहम है और चीन इस बात को समझता है, तभी वह यहां से पीछे हटने को राजी नहीं हो रहा। आइए आपको बताते हैं कि यह घाटी भारत के लिए क्‍यों जरूरी है।

1961 में भारत ने पहली बार यहां कब्‍जा किया था

बता दें कि पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का अहम केंद्र है। चारों तरफ बर्फीली वादियों से घिरी इस घाटी में ही श्‍योक और गलवान नदियों का मिलन होता है। साल 1961 में भारत ने पहली बार यहां कब्‍जा किया और आर्मी पोस्‍ट बनाई। इस घाटी के दोनों तरफ के पहाड़ रणनीतिक रूप से सेना को एडवांटेज देते हैं।

ठीक बगल से भारतीय सेना की एक सड़क गुजरती है

इसके अलावा गलवान नदी जिस श्‍योक नदी में मिलती है, उसके ठीक बगल से भारतीय सेना की एक सड़क गुजरती है। 1961-62 के बाद से यह घाटी शांत रही है। पिछले दो दशकों में यहां दोनों सेनाओं के बीच कोई झड़प भी नहीं हुई थी। मगर 5 मई के बाद, चीनी सेना गलवान घाटी में अपनी क्‍लेन लाइन से 2 किलोमीटर आगे चली आई है और भारत की सड़क से दो किलोमीटर दूर है।

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दारबुक-DBO रोड भारत के लिए है बेहद ख़ास

गलवान घाटी में भारत सड़क बना रहा है जिसे रोकने के लिए चीन ने यह हरकत की है। दारबुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्‍डी रोड भारत को इस पूरे इलाके में बड़ा एडवांटेज देगी। यह रोड काराकोरम पास के नजदीक तैनात जवानों तक सप्‍लाई पहुंचाने के लिए बेहद अहम है। भारत और चीन के बीच मिलिट्री लेवल पर बातचीत से गलवान नदी घाटी के पैट्रोलिंग पॉइंट 14, 15 और 17 से चीनी सेना पीछे हटी थी।

चीन ने फिंगर 4 के बेस के पास कैंप लगाए हैं

पैंगोंग झील के उत्‍तरी किनारे पर में चीन ने फिंगर 8 से 4 के बीच 50 वर्ग किलोमीटर से ज्‍यादा भूमि पर कब्‍जा कर रखा है। चीन ने फिंगर 4 के बेस के पास कैंप लगाए हैं। इसके आगे भारत की पैट्रोलिंग टीम को नहीं जाने दिया जा रहा जबकि फिंगर 8 तक भारत का इलाका है। चीन फिंगर 4 तक ही भारत की सीमा मानता है। मई के पहले हफ्ते मे शुरू हुए तनाव को दूर करने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है, मगर ताजा घटना के बाद तनाव बढ़ता नजर आ रहा है।

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चीन को जवाब देने के लिए भारत ने उठाये ये कदम

पूर्व लद्दाख में जारी गतिरोध पर भारत का स्‍टैंड साफ है कि तनाव तभी खत्‍म होगा जब चीन अपने सैनिकों को लेकर बॉर्डर के नजदीकी इलाकों से हट जाएगा। चीन ने भारतीय इलाके के नजदीक आर्टिलरी और टैंक रेजिमेंट्स तैनात कर रखी हैं। इनके वापस गए बिना भारत तनाव को खत्‍म नहीं मानेगा। चीन को जवाब देने के लिए भारत ने भी उतने ही सैनिक, उतना ही गोला-बारूद LAC के पास जुटा लिया है।



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