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लालू कुनबे का कलह और बिहार विधानसभा चुनाव
बावजूद कुनबे में जारी इस उठापटक के गत दिनों पटना के बापू सभागार में आयोजित राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अधिवेशन में लालू प्रसाद यादव को एक बार फिर सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। इसी के साथ तय हो गया कि चारा घोटाला मामले में रांची के होटवार जेल में बंद लालू प्रसाद यादव जेल से ही लालटेन की लौ जलाएंगे।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: लंबे समय से पारिवारिक अंतर्कलह में घिरा लालू प्रसाद यादव का परिवार 2019 में भी कलह की छाया से मुक्त नहीं हो पाया। लालू यादव जहां जेल और बीमारियों से जूझते रहे वहीं राबड़ी देवी और ऐश्वर्या की कलह मीडिया में सुर्खियां बनती रही। इस सारी उठापटक में लालू यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप भी कभी पत्नी से तलाक मांगने तो कभी लापता होने तो कभी वैरागी बनकर सुर्खियां बटोरते रहे।
लालू प्रसाद यादव बार फिर सर्वसम्मति से बने राष्ट्रीय अध्यक्ष
बावजूद कुनबे में जारी इस उठापटक के गत दिनों पटना के बापू सभागार में आयोजित राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अधिवेशन में लालू प्रसाद यादव को एक बार फिर सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। इसी के साथ तय हो गया कि चारा घोटाला मामले में रांची के होटवार जेल में बंद लालू प्रसाद यादव जेल से ही लालटेन की लौ जलाएंगे। वह 11वीं बार राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं।
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5 जुलाई 1997 को राजद की स्थापना हुई थी तब से लेकर आज तक पार्टी की कमान लालू यादव के हाथ में ही है। लेकिन इसी के साथ एक फैसला और हुआ है कि राष्ट्रीय जनता दल बिहार का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ेगा और वह ही पार्टी के सीएम कैंडिडेट होंगे। यानी लालू राबड़ी की राजनीतिक विरासत तेजस्वी को सौंपी जा रही है।
बड़े बेटे तेज प्रताप का क्या रुख रहेगा यह देखने वाली बात होगी
अब इसमें लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप का क्या रुख रहेगा यह देखने वाली बात होगी। वैसे तो राजद के अधिवेशन के मौके पर पूरे बिहार से राजद नेता जुटे थे। कार्यक्रम में तेजस्वी, तेजप्रताप, रघुवंश प्रसाद सिंह, रामचंद्र पूर्वे, शरद यादव, शिवानंद तिवारी, अब्दुल बारी सिद्दीकी समेत पार्टी के सभी बड़े नेता मौजूद थे। विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद अपने भाषण में तेजस्वी ने कहा कि लालू प्रसाद के नेतृत्व में हम लोग पार्टी को आगे बढ़ाएंगे। पार्टी के कार्यकर्ता और बिहार की जनता लालूजी को बहुत चाहती है।
राजद के तमाम नेता तो यह भी कहते हैं कि लालू यादव चारा घोटाले में अकेले दोषी नहीं थे। उनके साथ तमाम दूसरे लोग भी शामिल थे लेकिन वह सत्ता का साथ पाकर बच गए। वह उंगली तो नीतीश कुमार पर भी उठाते हैं जो कि भाजपा की गोद में बैठकर बच गए। राजद के नेताओं का दावा है कि लालू जैसा महान राजनेता न तो कभी पैदा हुआ है न ही होगा लालू को आज भी बिहार से लेकर दिल्ली तक खबर शेर कहा जाता है तो कुछ तो अलग है ही ये नेता।
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चाचा भतीजे की लड़ाई ने समाजवादी पार्टी को लाया हाशिये पर
वैसे देखा जाए तो बिहार में लालू और यूपी में मुलायम दोनो साथ साथ ही उठे थे और राजनीतिक हैसियत भी दोनो की ही कम नहीं। मुलायम सिंह यादव के साथ जेल जाने की नौबत नहीं आयी लेकिन लालू के साथ आ गई। राजनीतिक झंझावात की बात करें तो समाजवादी पार्टी को हाशिये पर लाने में चाचा भतीजे की लड़ाई ने अहम भूमिका निभाई तो राष्ट्रीय जनता दल में तेजस्वी और तेज प्रताप की कलह क्या गुल खिलाएगी ये देखना अभी बाकी है।
जबकि तेजस्वी के उपमुख्यमंत्री बनने पर जब तेज प्रताप सिर्फ मंत्री बने थे तो उन्हें यह बात ही हजम नहीं हुई थी और लालू राबड़ी मोर्चे का एलान कर दिया था तो अब जबकि तेजस्वी के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की बात पर उनका क्या रिएक्शन होगा यह वक्त बताएगा।
बात अगर पिछले लोकसभा चुनाव की करें तो बिहार में एनडीए को कुल मिलाकर 53.3 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि भारतीय जनता पार्टी के हिस्से कुल 23.6 प्रतिशत वोट आए थे, उसे कुल 96,22,724 लोगों ने वोट दिया था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जनता दल (युनाइटेड) के हाथ दूसरा बड़ा हिस्सा आया था और उसे कुल 21.8 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला था। संख्या के हिसाब से देखें तो उसे 89,02,719 लोगों का समर्थन मिला था। जबकि 2014 में जद-यू को 16.93 फ़ीसदी वोट मिले थे यानी जदयू की लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर उठा। जबकि रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को 2019 में 7.9 प्रतिशत वोट या 32,06,979 लोगों का समर्थन मिला था।
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पासवान का ग्राफ भी ऊपर उठा है
लोकसभा चुनाव में वोट शेयर के मामले में पासवान की पार्टी राजद से पीछे चौथे स्थान पर पहुंच गई थी। जबकि 2014 के आम चुनाव में जब उनके छह उम्मीदवार सांसद बनने में कामयाब हुए थे तब पार्टी को 6.40 फ़ीसदी वोट मिले थे। पासवान का ग्राफ भी ऊपर उठा है। आंकड़े देखने से पता चलता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद का प्रदर्शन जद-यू से कहीं बेहतर था। तब राजद को 30.16 फ़ीसदी मत प्राप्त हुए थे यानी राजद का वोट प्रतिशत काफी नीचे आ गया था।
लोकसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन की बात करें तो इनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को 15.4 प्रतिशत वोट मिले थे यानी कुल मिलाकर सूबे के 62,70,107 लोगों ने वोट किया था। वहीं, कांग्रेस को 7.7 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे और उसे 31,40,797 लोगों का समर्थन मिला जबकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी सीटों के विधानसभा क्षेत्रों में 28.33 फ़ीसदी वोट हासिल किया था। कांग्रेस के वोट प्रतिशत में ये काफी बड़ी गिरावट रही थी।
राजद कुनबे के लिए लालू परिवार के दो विवाद आत्मघाती रहे...
बावजूद इसके लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल अपना खाता नहीं खोल पाई थी, जबकि कांग्रेस के हिस्से एक सीट आ गई थी। महागठबंधन की इन 2 पार्टियों के अलावा बाकी घटक दलों का भी प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। इस सबके पीछे कारण भी उस समय लालू कुनबे की कलह को बताया गया था। राजद कुनबे के लिए लालू परिवार के दो विवाद आत्मघाती रहे जिसमें पहला तेजप्रताप व तेजस्वी का टकराव और दूसरा तेजस्वी-राबड़ी-ऐश्वर्या विवाद। हालांकि लालू कुनबे में छिड़े विवाद की एक कड़ी मीसा भारती को भी बताया जाता है।
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मीसा भारती चूंकि दोनो भाइयों से बड़ी हैं और लालू यादव के मुख्यमंत्रित्व काल की साक्षी भी रही हैं। वह पार्टी में अपनी जगह बनाने की लड़ाई लड़ रही हैं जबकि तेजप्रताप राजनीतिक विरासत को पाने के लिए जूझ रहे हैं। वहीं लालू तेजप्रताप और मीसा के मुकाबले तेजस्वी को विधानसभा चुनाव की कमान सौंपने के लिए ज्याद उपयुक्त मानते हैं।
यह बात तेजस्वी को कमान सौंपे जाने से साबित भी हो गई है। तेजप्रताप के आचरण से राजद की पिछले 16 महीने में काफी छीछालेदर हो चुकी है। तेज प्रताप यादव अपने निराले अंदाज के लिए जाने जाते हैं। कभी वे कृष्ण का रूप धर लेते हैं तो कभी भगवान शंकर के रूप में देखे जाते हैं। कभी सड़क निर्माण कार्य करने लगते हैं तो कभी जलेबी बनाते हैं। कभी गायें चराने लगते हैं तो कभी घुड़सवारी भी करते हैं।
तेज प्रताप खुद को पार्टी में नजरअंदाज पाया
बात अगर राजद की कमान छोटे भाई तेजस्वी को सौंपने की करें तो 2018 में जब इस बारे में चर्चा तेज हुई थी तेज प्रताप खुद को पार्टी में नजरअंदाज करने के सवाल उठाने शुरू कर दिये थे। लालू राबड़ी मोर्चा बनाना भी इसी कड़ी का हिस्सा था। हालांकि वो खुलेआम कुछ भी कहने से बचते रहे हैं और मीडिया के सामने खुद को माता पिता, छोटे भाई और पार्टी के साथ बताते रहे हैं लेकिन हमले जारी रखते हैं। अब तेज प्रताप अगर पार्टी के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो फिर घूम-फिरकर बातें लालू परिवार पर ही पड़ेंगी।
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लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप और चंद्रिका राय की बड़ी बेटी ऐश्वर्या की शादी पिछले साल शाही अंदाज में हुई थी। ऐश्वर्या के बाबा और खुद लालू बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लेकिन दो राजनीतिक परिवारों के मेल की ये शादी कुछ ही महीने में तलाक तक पहुंच गई।
तेजप्रताप यादव का पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा है जिसमें कोर्ट ने तेजप्रताप को पत्नी ऐश्वर्या को प्रति माह गुजारा भत्ता के रूप में 22000 रुपये देने का आदेश दिया है। इसके अलावा दो लाख की राशि अलग से केस लड़ने के लिए देने को भी कहा है।
दो राजनीतिक परिवारों को जोड़ने वाली ये शादी लालू और राबड़ी की पसंद से हुई थी
दो राजनीतिक परिवारों को जोड़ने वाली ये शादी लालू और राबड़ी की पसंद से हुई थी। राबड़ी ने भी कहा था कि उन्हें जैसी बहू चाहिए थी, वो मिल गई है। पटना में 12 मई 2018 को शाही अंदाज में हुई तेजप्रताप और ऐश्वर्या की शादी पांच माह भी नहीं चल पाई। और मामला तलाक तक पहुंच गया। ये खबर फैली तो तेजप्रताप ने साफ कहा कि अब मैं अपनी पत्नी के साथ नहीं रह सकता और ये तलाक होकर रहेगा।
तेजप्रताप के इस फैसले से लालू परिवार की साख हिल गयी। हद तो तब हो गई जब तमाम कोशिशों के बावजूद तेजप्रताप तलाक पर अडिग रहे और पिता लालू और मां राबडी के समझाने का उनपर कोई असर नहीं हुआ।
इस बीच तेज प्रताप ने घर छोड़ दिया। फिर एक दिन पत्नी ऐश्वर्या भी रोती हुई मायके चली गईं। तेजप्रताप तो नहीं माने लेकिन ऐश्वर्या को वापस आ गईं लेकिन कुछ दिनों पहले ऐश्वर्या फिर राबड़ी आवास से रोती हुई बाहर निकलीं और खुलेआम मीडिया के सामने लालू परिवार पर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उन्हें दहेज के लिए सास राबड़ी देवी और ननद मीसा भारती ताने मारती थीं।
अपने पिता के खिलाफ लगे पोस्टर के बारे में पूछने पर राबड़ी देवी ने उन्हें बाल खींचकर मारा औऱ घर से निकाल दिया। उन्होंने राबड़ी देवी, मीसा भारती और तेजप्रताप के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया।
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राजद नेता ने राबड़ी देवी का बचाव करते हुए ऐश्वर्या के खिलाफ केस दर्ज कराया
इस घटनाक्रम के बाद ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय भी खुलकर मुखर हुए उन्होंने भी राबड़ी देवी के खिलाफ बड़ा बयान दिया। इसके बाद एक राजद नेता ने राबड़ी देवी का बचाव करते हुए ऐश्वर्या के खिलाफ केस दर्ज कराया जिसमें कहा गया कि राबड़ी देवी ने नहीं ऐश्वर्या ने बदतमीजी की और राबड़ी पर हाथ उठाया और उस वक्त वे वहीं मौजूद थे।
इन सब कांडों के चलते लालू कुनबे की प्रतिष्ठा तो धूल धूसरित हुई ही राजद का जनाधार भी प्रभावित होता चला गया। अब जबकि विधानसभा चुनाव के लिए राजद एक बार फिर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है देखना यह है कि विवादों के ग्रहण से वह कितना मुक्त और मुखर होकर अपने जनाधार को संजो पाता है। अगर तीनों भाई बहन एकजुट नहीं हुए तो लालू की विरासत को एक बड़ा ग्रहण लगना तय है जिसका फायदा चाहे जदयू को हो या फिर भाजपा को।