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कोरोना पर ताजा रिपोर्ट: रोगी में 1 हफ्ते बाद संक्रमण फैलाने की क्षमता घटने लगती है
कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी दुनिया जंग लड़ रही है। दुनिया भर में नये मरीजों के मिलने के साथ ही मौत का आंकड़ा भी तेजी के साथ बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना पर जल्द से जल्द काबू पाने के लिए वैज्ञानिक दिन रात शोध करने में जुटे हुए हैं।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी दुनिया जंग लड़ रही है। दुनिया भर में नये मरीजों के मिलने के साथ ही मौत का आंकड़ा भी तेजी के साथ बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना पर जल्द से जल्द काबू पाने के लिए वैज्ञानिक दिन रात शोध करने में जुटे हुए हैं।
इस बीच कोरोना को लेकर एक ताजा रिपोर्ट पूरी दुनिया के सामने रखी गई है। जिसमें गलत जांच रिपोर्ट के चलते कोरोना के मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या और अस्पतालों में बेड्स की समस्या की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट कराया गया है।
कोरोना के मरीज का इलाज करते डाक्टर की फोटो(साभार -सोशल मीडिया)
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रोगी में 1 हफ्ते बाद संक्रमण फैलाने की क्षमता घटने लगती है
नये शोध के मुताबिक एक हफ्ते के बाद किसी भी व्यक्ति में संक्रमण फैलाने की क्षमता अपने आप धीरे-धीरे घटने लगती है। हॉस्पिटल में मरीज कम हैं, लेकिन कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, इसके पीछे गलत तौर से पॉजिटिव करार दिए गए लोग हो सकते हैं।
कोरोना को लेकर ताजा शोध के मुताबिक कोरोना वायरस टेस्ट शरीर में मृत वायरस सेल्स को भी पकड़ सकते हैं जिससे मरीज की रिपोर्ट गलत रूप से पॉजिटिव आ सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई हफ्ते पुराने संक्रमण की वजह से शरीर में मृत वायरस सेल्स हो सकते हैं। लेकिन ऐसे लोग अगर गलती से पॉजिटिव घोषित किए जा रहे हैं तो इसकी वजह से आगे चलकर एक परेशानी दुनिया के सामने आगे चलकर खड़ी हो सकती है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर एविडेंस बेस्ड मेडिसिन ने इस बात की पुष्टि के लिए 25 रिसर्च स्टडी का अध्ययन किया। इन स्टडी में पॉजिटिव आए लोगों के सैंपल की जांच कर पता लगाया गया था कि क्या इन वायरस सेल्स में बढ़ोतरी होती है।
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कोरोना वायरस के मरीज को अस्पताल ले जाने की तैयारी करते डॉक्टर्स की फोटो(सोशल मीडिया)
लक्षण मिलने के एक हफ्ते तक मरीज संक्रामक रहता है: स्टडी
शोधकर्ताओं के मुताबिक संक्रमण के लक्षण मिलने के एक हफ्ते तक मरीज संक्रामक रहता है, कहने का मतलब ये है कि वो व्यक्ति संक्रमण फैलाने में सक्षम होता है। लेकिन कोरोना वायरस टेस्ट में मरीज एक हफ्ते के बाद भी पॉजिटिव घोषित किया जा सकता है।
लेकिन सभी एक्सपर्ट इस बात पर सहमत नहीं है, कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि यह तय करना मुश्किल है कि मरीज कितने दिनों तक संक्रामक रहता है। कई बार ये समय 10 दिन का भी हो सकता है।
इस मामले में शोध करने वाले प्रोफेसर कार्ल हेनेगन कहते हैं कि भी विशेषज्ञ ये निर्धारित ही नहीं कर पाए हैं कि कोरोना वायरस की सही जांच के लिए कैसे टेस्ट सिस्टम विकसित किया जाए, लेकिन कट-ऑफ सेट करने से काफी हद तक सही रिपोर्ट प्राप्त हो सकती है।
हेनेगन आगे ये भी कहते हैं कि कट ऑफ ऐसे सेट किया जा सकता कि वायरल लोड कम होने पर मरीज पॉजिटिव घोषित नहीं किया जाए।
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