×

चुनाव से पहले नीतीश कुमार का दांव, किया ये बड़ा एलान, इन्हें मिलेगी नौकरी

बिहार में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने में लगी हुई हैं। अब चुनाव से पहले सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेल दिया है।

Newstrack
Published on: 5 Sept 2020 9:28 AM IST
चुनाव से पहले नीतीश कुमार का दांव, किया ये बड़ा एलान, इन्हें मिलेगी नौकरी
X
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने में लगी हुई हैं। अब चुनाव से पहले सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेल दिया है।

पटना: बिहार में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने में लगी हुई हैं। अब चुनाव से पहले सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेल दिया है। नीतीश कुमार ने फैसला लिया है कि अगर अनुसूचित जाति-जनजाति की हत्या होती है तो पीड़ित परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी दी जाए। उन्होंने अधिकारियों को ऐसा प्रावधान बनाने का निर्देश दिया है।

सीएम नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सतर्कता मीटिंग में यह आदेश दिया। सीएम के आदेश के मुताबिक, अगर एससी-एसटी परिवार के किसी सदस्य की हत्या होती है तो उस स्थिति में पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान किया जाए। सीएम नीतीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि तत्काल इसके लिए नियम बनाएं, ताकि पीड़ित परिवार को फायदा दिया जा सके।

बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा होने से यह एलान कर नीतीश कुमार ने एक तीर से कई निशाना साधा है। दरअसल, बिहार की राजनीति जातीय आंकड़ों पर टिकी हुई है। बिहार में दलित वर्ग राज्य की सत्ता की चाबी दिलाने में अहम भूमिका हो सकती है। इसीलिए नीतीश कुमार चुनाव से पहले ऐसे बड़े फैसले ले रहे हैं।

Bihar Elections 2020

यह भी पढ़ें...शोविक-मिरांडा खोलेंगे रिया की पोल, आज कोर्ट में पेशी, हो सकती है गिफ्तारी

बिहार में जातीय सीमकरण

2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में दलित जातियों की 16 फीसदी हिस्सा है। 2005 में नीतीश कुमार की सरकार ने 22 में से 21 दलित जातियों को महादलित की श्रेणी में शामिल कर दिया था। इसके बाद 2018 में पासवान भी महादलित वर्ग में आने लगे है। अगर देखा जाए तो बिहार में अब दलित की जगह महादलित जातियां हो गई हैं।

यह भी पढ़ें...लाॅ एंड ऑर्डर पर CM योगी सख्त, इन IAS-IPS की लिस्ट तैयार, लेंगे ये बड़ा फैसला

बिहार में 16 प्रतिशत दलितों में अधिक मुसहर, रविदास और पासवान समाज की भागीदारी है। इस समय 5 प्रतिशत से ज्यादा मुसहर, चार प्रतिशत रविदास और साढ़े तीन प्रतिशत से ज्यादा पासवान जाति के लोग हैं। इनके अलावा धोबी, पासी, गोड़ आदि जातियों का भी भागीदारी ठीक ठाक है।

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले दलितों का मुद्दा काफी गरमा गया है। लालू यादव की पार्टी नीतीश कुमार पर लगातार दलितों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगा रही है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगागतार दलितों का मुद्दा उठा रहे हैं।

यह भी पढ़ें...भारत-चीन तनाव के बीच सबसे टॉप लेवल की बातचीत, राजनाथ से मिले चीनी रक्षा मंत्री

तो वहीं जन अधिकार पार्टी प्रमुख व पूर्व सांसद पप्पू यादव पूरे बिहार में घूम-घूम कर सभाएं कर रहे हैं। इसके साथ ही नीतीश सरकार पर दलितों के साथ अत्याचार करने का आरोप लगा है। उनका कहना है कि इस सरकार में दलितों की कोई सुनवाई नहीं है। इन सबके बीच यह देखना होगा कि नीतीश सरकार के इस फैसले से चुनाव में एनडीए को कितना फायदा मिलता है।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



Newstrack

Newstrack

Next Story