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जान जोखिम में, फिर भी जारी है कोरोना वॉरियर्स की जंग
देश में कोरोना वायरस की जांच में तेजी पर शुरुआत से ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं। लेकिन अब सरकार रोज एक लाख जांच करने की घोषणा कर चुकी है
नई दिल्ली: पूरे देश में कोरोना का कहर लगातार जारी है। आए दी कोरोना वायरस के संक्रमण की ख़बरें आती ही रहती हैं। इस पर काबू पाने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगाया जिसकी मियाद 14 अप्रैल तक थी। जिसके बाद आज पीएम मोदी ने देश में लॉकडाउन बढ़ाते हुए इसकी समय सीमा अब 3 मई तक कर दी है। लेकिन ऐसे में देश में कोरोना वायरस की जांच में तेजी पर शुरुआत से ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं। लेकिन अब सरकार रोज एक लाख जांच करने की घोषणा कर चुकी है, तो एंटीबॉडी किट्स नहीं मिल रहीं।
जांच किट्स बनी समस्या
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) 20 दिन में चार बार टेंडर और पांच कंपनियों से करार करके 31 लाख किट्स का ऑर्डर दे चुका है। हर ऑर्डर में भारत की शर्त थी कि किट्स सप्ताह भर में मिलनी शुरू हो जाए। ऐसा हुआ नहीं, बार-बार आदेश के बाद भी एक भी जांच किट नहीं मिली है। जांच को लेकर देश आज भी लॉकडाउन से पहले वाली स्थिति में हैं। हर रोज 219 प्रयोगशालाओं में औसतन 15.7 हजार जांच की जा रही हैं। अब तक दो लाख सैंपल जांच तक पहुंच चुके हैं।
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प्रति 10 लाख की आबादी पर भारत में 133 लोगों की जांच हो रही है। अन्य देशों में ये आंकड़ा कई गुना ज्यादा है। देश के 354 में से 101 में 250 से ज्यादा क्लस्टर बन चुके हैं। हर क्लस्टर में जांच जरूरी है। ऐसे में सरकार ने 300 करोड़ रुपये का बजट 50 लाख जांच किट्स के लिए तय किया है। आईसीएमआर सूत्रों का कहना है कि अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह में ही हर दिन लाख से ज्यादा जांच संभव हो सकेंगी। वो भी तब, जब पर्याप्त जांच किट्स की सप्लाई मिल सके।
चार दिन में औसतन 15 हजार से ज्यादा हुईं जांचें
ऐसे में आईसीएमआर द्वारा एक और टेंडर इस शर्त पर निकाला गया कि अगर किट गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरी तो वापस कर दिया जाएगा। ऐसे में देश में जांच की समस्या लगातार बनी हुई है। अब अगर चीन की कंपनी टेंडर में भाग लेती है, तो उसे चीन के नेशनल मेडिकल प्रोडक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की मंजूरी लेनी होगी। इससे पहले आईसीएमआर ने 9 अप्रैल को ही जांच प्रक्रिया बढ़ाई थी। पहले विदेश से आने वाले या उनके संपर्क में आने वालों की कोरोना जांच की जा रही थी।
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फिर विदेश से आने वाले या उनसे संपर्क में आने वालों के अलावा स्वास्थ्य कर्मचारी, संक्रमित के संपर्क में आने वालों की जांच होने लगीं। फिलहाल क्लस्टर जोन (हॉटस्पॉट) को भी शामिल कर दिया गया है। ऐसा करने के बाद से ही पिछले चार दिन में कोरोना वायरस की प्रतिदिन औसत जांच 15 हजार से ज्यादा हुई है जबकि इससे पहले तक प्रतिदिन 10 के औसत से ही जांच चल रही थीं।
14 अप्रैल दोपहर 2 बजे तक मांगे टेंडर
इससे पहले आईसीएमआर ने 25 मार्च को 10 लाख एंटीबॉडीज जांच किट्स का टेंडर निकाला। जिसमें ये शर्त थी कि पहले सप्ताह से सप्लाई चाहिए। मगर अफ़सोस किसी कंपनी ने इसमें दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। जिसके बाद 28 मार्च को फिर टेंडर निकाला। किट्स थे पांच लाख और शर्त वही कि पहले सप्ताह से डिलीवरी चाहिए। कंपनी के साथ करार भी हुआ। 9 अप्रैल को पहली खेप मिलनी थी लेकिन माल अमेरिका चला गया। बता रहे हैं कि गलती एक्सपोर्टर की है।
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आईसीएमआर ने 12 अप्रैल को टेंडर निकाला। इसमें वायरल ट्रांसमिशन मीडिया (वीटीएम) 52.25 लाख, रियल टाइम पीसीआर काम्बो किट 25 लाख, आरएनए एक्सट्रैक्शन किट 30 लाख और 45 लाख एंटीबॉडी रैपिड टेस्ट किट्स का टेंडर मांगा है। शर्त है कि सप्लाई 1 मई से मिलनी चाहिए। 14 अप्रैल की दोपहर 2 बजे तक टेंडर मांगे हैं।
भारत में जांच में तेजी लाने की जरुरत
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आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक बताते हैं कि भारत में जांच में तेजी लाने का समय है। इसके लिए रैपिड टेस्ट किट चाहिए, जो आधे घंटे में ही पता कर सकती है कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। अभी लैब टेस्टिंग में चार से पांच घंटे प्रति सैंपल में लग रहे हैं। लेकिन किट्स मिली नहीं, इसलिए लैब पर फोकस है। अब देश के सभी सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों को भी नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है। वहीं आईसीएमआर के डॉ. रमन आर. गंगाखेड़कर ने सोमवार को बताया कि परिषद के पास अगले 6 सप्ताह के लिए टेस्टिंग का भंडार है। रोज 2000 सैंपल कलेक्ट हो रहे हैं। 1980 सैंपल की जांच रविवार को हुई है। अब तक 2,06,212 टेस्ट किए हैं। चीन से जांच किट की पहली खेप 15 अप्रैल को भारत आएगी।