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82 साल के इस अरबपति ने 73 साल के दूसरे अरबपति के छुए पैर...

भारत के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा को TiECON मुंबई 2020 लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। भारत के कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मशहूर इन्फोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति ने उन्हें ये अवॉर्ड दिया।

Roshni Khan
Published on: 29 Jan 2020 12:50 PM IST
82 साल के इस अरबपति ने 73 साल के दूसरे अरबपति के छुए पैर...
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नई दिल्ली: भारत के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा को TiECON मुंबई 2020 लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। भारत के कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मशहूर इन्फोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति ने उन्हें ये अवॉर्ड दिया। उसके बाद नारायण मूर्ति ने अवॉर्ड देने के बाद रतन टाटा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

रतन टाटा ने मुंबई में हुए TiECON अवॉर्ड समरोह में स्टार्टअप निवेशकों को चेतावनी देते हुए कहा, जो निवेशक पैसा डुबोकर गायब हो जाते हैं उन्हें दूसरा या तीसरा मौका नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, पुराने जमाने के बिजनेस धीरे-धीरे कमजोर होते जाएंगे। इसीलिए नए जमाने में इनोवेटिव कंपनियों के युवा फाउंडर इंडियन बिजनेस के भविष्य के लीडर होंगे।

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पैसा डुबोने वालों को दूसरा या तीसरा मौका नहीं मिलेगा

अवॉर्ड फंक्शन में टाटा ने कहा कि बिजनेस में नैतिकता बरतनी चाहिए। रातों-रात चमकने के तरीके से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स को मार्गदर्शन, सलाह, नेटवर्किंग और पहचान की जरूरत होती है। जो निवेशक पैसा डुबोकर गायब हो जाते हैं उन्हें दूसरा या तीसरा मौका नहीं मिलेगा।

इस दौरान इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायणमूर्ति ने कहा, कि पेंशन फंड और बैंकों को भी भारतीय स्टार्टअप में निवेश करना चाहिए। सिर्फ चुनिंदा निवेशकों के दम पर स्टार्टअप के लिए पॉजिटिव माहौल नहीं बन सकता है। अगर उनके लिए ज्यादा से ज्यादा फंड जुटाना है तो पेंशन फंड और बैंकों को निवेश के लिए सामने आना होगा।

सोशल मीडिया पर हो रही हैं जमकर तारीफ

नारायण मूर्ति के पैर छूने के बाद ट्विटर पर लोग जमकर इसकी तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा हैं कि ये बहुत हीं सुन्दर नज़ारा है। बिजनेस और संस्कार का बेस्ट उदाहरण पेश किया गया है। वहीं, कुछ लोगों ने इस मूमेंट को इस साल की सबसे बेस्ट तस्वीर बताया हैं।

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कौन हैं नारायण मूर्ति

नारायण मूर्ति का पूरा नाम नागावर रामाराव नारायण मू्र्ति है। इनका जन्म 20 अगस्त, 1946 को कर्नाटक के चिक्काबालापुरा ज़िले के शिद्लाघट्टा में हुआ था। उनका जन्म दक्षिण भारत के अति साधारण परिवार में हुआ था। स्कूली से अपनी शिक्षा ख़त्म करने के बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और IIT कानपुर से एमटेक किया।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के टाइम नारायण मूर्ति ने कई तरह के आर्थिक संकट का सामना किया। इन कठिन हालातों में नारायणमूर्ति के शिक्षण डॉ। कृष्णमूर्ति ने बहुत मदद की। उसके बाद में नारायणमूर्ति ने आर्थिक सुधरने पर उनके नाम से फेलोशिप शुरू की।

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इन्फोसिस की शुरुआत से पहले पहले नारायण मूर्ति, IIM अहमादाबाद में चीफ सिस्टम प्रोग्रामर थे। इसके बाद उन्होंने 'साफ्टट्रानिक्स' नामक कंपनी शुरू की, लेकिन ये सफल नहीं रहा। इसके बाद वे पुणे स्थित पटनी कम्प्यूटर सिस्टम में शामिल हो गए।

मूर्ति ने 6 लोगों के साथ मिलकर, 1981 में इन्फोसिस की शुरुआत की। उन्होंने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से 10 हजार रुपये लेकर इन्फोसिस की शुरुआत की। साल 1981-2002 तक नारायण मूर्ति ही इन्फोसिसके सीइओ रहे। नास्कडैक की लिस्ट में शामिल होने वाली ये पहली भारतीय कंपनी भी है।



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