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लोन हुआ आसान: RBI ने दिया बड़ा तोहफा, दूर हुई आपकी समस्या
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। पहले आरबीआई ने छोटे निर्यातकों को दिए जाने वाले लोन की सीमा बढ़ा दी थी। अब छोटे निर्यातकों को लोन देने के तरीके में बदलाव किया गया है।
इस नए बदलाव के तहत कारोबारी 1 अप्रैल से रेपो रेट आधारित लोन भी ले सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक अब मीडियम एन्टरप्रन्योर को एक अप्रैल 2020 से फ्लोटिंग रेट्स पर दिया जाने वाला कर्ज एक्सटर्नल बेंचमार्क यानी बाहरी मानकों से जुड़ा होगा। बता दें कि रेपो रेट, ट्रेजरी बिल पर रिटर्न और एफबीआईएल द्वारा प्रकाशित अन्य बाजार ब्याज दर, एक्सटर्नल बेंचमार्क के दायरे में आते हैं।
केंद्रीय बैंक के मुताबिक इस पहल का उद्देश्य मौद्रिक नीति का लाभ ग्राहकों को देने की व्यवस्था को और मजबूत करना है। आरबीआई ने कहा कि इस पहल से रेपो रेट में कटौती का लाभ मझोले उद्यमों को भी मिल सकेगा। अब तक कारोबारियों को ये सुविधा नहीं मिल रही थी।
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गौरतलब है कि आरबीआई हर दो महीने बाद होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट की समीक्षा करता है। बीते दो बैठकों में रेपो रेट को नहीं बदला गया है। हालांकि, इससे पहले लगातार 5 बार रेपो रेट में कटौती की गई थी।
जानिये क्या है रेपो रेट
रोजमर्रा के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी-बड़ी रकमों की ज़रूरत पड़ जाती है, और ऐसी स्थिति में उनके लिए देश के केंद्रीय बैंक, यानि भारतीय रिजर्व बैंक से ऋण लेना सबसे आसान विकल्प होता है। इस तरह के ओवरनाइट ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। मतलब जब बैंकों को कम दर पर ऋण उपलब्ध होगा, वे भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी ब्याज दरों को कम कर सकते हैं, ताकि ऋण लेने वाले ग्राहकों में ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ोतरी की जा सके, और ज़्यादा रकम ऋण पर दी जा सके। इसी तरह यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा, तो बैंकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाएगा, और वे भी अपने ग्राहकों से वसूल की जाने वाली ब्याज दरों को बढ़ा देंगे।
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