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मसीहा बने 2 भाई: गरीबों का पेट भरने के लिए बेच दी अपनी जमीन

कर्नाटक के कोलार जिले में दो व्यवसायी भाइयों ने गरीबों को खाना खिलाने के लिए अपनी जमीन 25 लाख रुपये में बेच दी। इन दोनों भाइयों का नाम है तजाम्मुल पाशा और मुजाम्मिल पाशा।

Shreya
Published on: 26 April 2020 3:32 PM IST
मसीहा बने 2 भाई: गरीबों का पेट भरने के लिए बेच दी अपनी जमीन
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बेंगलुरु: कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू गया है। ऐसे में कई ऐसे गरीब परिवार हैं जिनकी रोजी रोटी इस लॉकडाउन के दौरान अच्छे से नहीं चल पा रही है। लेकिन इस दौरान कई ऐसे लोग सामने आए हैं जो इन गरीब परिवारों की मदद कर रहे हैं। एक ऐसा ही किस्सा सामने आया है कर्नाटक के कोलार जिले से जहां पर दो व्यवसायी भाइयों ने गरीबों को खाना खिलाने के लिए अपनी जमीन 25 लाख रुपये में बेच दी। इन दोनों भाइयों का नाम है तजाम्मुल पाशा और मुजाम्मिल पाशा।

परिवारों को पीड़ित देख जमीन बेचने का लिया फैसला

दरअसल, लॉकडाउन के दौरान कोलार में दिहाड़ी मजदूरों और उनके परिवारों पीड़ित देख दोनों भाइयों ने अपनी जमीन बेचने का फैसला लिया और बड़ी संख्या में गरीब लोगों के लिए अनाज खरीदा। फिर दोनों भाइयों ने अपने घर के बाजू में ही एक तंबू लगाकर मजदूरों और बेघर लोगों के लिए भोजन बनाने के लिए समुदायिक रसोई शुरू की।

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बचपन में ही सिर से उठ गया था मां-बाप का साया

तजाम्मुल पाशा ने बताया कि उनके माता-पिता का निधन जल्दी ही हो गई थी। जब माता-पिता की मृत्यु हुई तो तजाम्मुल केवल 5 साल के थे और मुजाम्मिल केवल 3 साल के थे। पाशा ने बताया कि जब हम कोलार, अपने नाना-नानी के यहां शिफ्ट हुए तो सभी समुदाय और धर्मों के लोगों ने जीवित रहने में मदद की। हम गरीबी में लाए गए थे। दोनों भाई केले की खेती करते हैं और अचल संपत्ति में बिजनेस करते हैं। उन्होंने बताया कि हमने सामाजिक समझौते पर साइन कर इसे हमारे मित्र को सौंप दिया, जिसने हमारी साइट खरीदी और पैसा दिया।

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3 हजार से ज्यादा परिवारों की कर चुके हैं मदद

भाइयों ने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद, जब भूमि रजिस्ट्रार का ऑफिर खुल जाएगा, तब जमीन को हस्तांतरित करने का बाकी का काम पूरा कर दिया जाएगा। बता दें कि अब तक दोनों भाइयों ने मिलकर लगभग 3 हजार से ज्यादा परिवारों को खाने-पीने की जरूरी चीजों की आपूर्ति कर चुके हैं। कोलार प्रशासन की तरफ से उनके स्वयंसेवकों के लिए पास जारी किए गए हैं। ताकि वो बिना मुश्किल गरीबों की मदद कर सकें।

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