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चीन के इस पड़ोसी देश ने दी कोरोना को मात, नहीं गई एक भी जान

वियतनाम ने शुरुआत में ही कोरोना के खिलाफ जंग छेड़ दी थी, जिसकी वजह से आज वह कोरोना से एकदम सुरक्षित है। यहां पर संक्रमण की दर बहुत कम है।

Shreya
Published on: 26 April 2020 9:28 AM GMT
चीन के इस पड़ोसी देश ने दी कोरोना को मात, नहीं गई एक भी जान
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नई दिल्ली: चीन के वुहान प्रांत से दिसंबर से शुरु हुए कोरोना वायरस ने आज दुनियाभर के तमाम देशों की हालत पस्त कर दी है। दुनियाभर में अब तक 29 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस वक्त कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका है, यहां पर अब तक करीब 54 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। हालांकि एक ऐसा देश भी है, जिसके द्वारा शुरुआत में ही कोरोना के खिलाफ जंग छेड़ने से आज वह कोरोना से एकदम सुरक्षित है। हम बात कर रहे हैं चीन के पड़ोसी देश वियतनाम की। यहां पर संक्रमण की दर बहुत कम है।

अमेरिका ने करवाई कार्रवाई, लेकिन...

हालांकि वियतनाम में संक्रमण की दर इतनी कम होने की वजह से हैरान अमेरिका ने अपने स्तर पर इसके कार्रवाई करवाई। अमेरिका ने वियतनाम की डाटा, जांच और नतीजे देखने के लिए मदद की और अमेरिका ने पाया कि यह देश वाकई में कोरोना से सुरक्षित है। वियतनाम में राजधानी हनोई के मार्केट में एक हजार दुकानदारों का कोरोना टेस्ट किया गया। इसके अलावा वहां पर 19 हजार विदेशियों का भी टेस्ट करवाया गया। इन सभी के रिपोर्ट निगेटिव निकली।



हेल्थ केयर जर्जर होने के बाद भी कर रहा दूसरे देशों की मदद

इसके साथ ही दुनिया भर में यह शक भी खत्म हो गया कि वियतनाम भी दूसरे देशों की तरह कोरोना के मामले छिपा रहा है। बता दें कि वियतनाम जर्जर हेल्थ केयर होने के बाद भी अमेरिका जैसे देशों की सहायता करने के लिए आगे आया है। बता दें कि इसी महीने इस देश में अमेरिका के टेक्सास को 4 लाख से ज्यादा प्रोटेक्टिव सूट्स भेजे थे। इस बात की जानकारी खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दी थी। साथ ही उन्होंने देश का शुक्रिया भी अदा किया था।

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चीन में मामले आने के बाद ही छेड़ दी जंग

लगभग साढ़े 9 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश ने चीन में कोरोना के शुरुआती मामले आने के साथ ही यहां पर कोरोना के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। इस देश ने कोरोना की इस जंग में छोटे-छोटे लेकिन कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। देश ने अस्पतालों की व्यवस्था देखनी शुरु कर दी। यहां पर अन्य देशों की तरह जांच की सुविधा नहीं है और ना ही यहां पर बड़े-बड़े अस्तपताल हैं। यहां पर मात्र 900 बेड्स हैं, जो ऐसे गंभीर बीमारी वाले पेशेंट की देखभाल के लिए उपलब्ध हैं। ऐसे में वियतनाम सरकार ने 5 स्टेप्स में काम करना शुरु कर दिया।

3 हफ्ते के लिए क्वारनटीन का एलान

12 फरवरी को ही वियतनाम की राजधानी हनोई में 3 हफ्ते के लिए क्वारनटीन का एलान कर दिया गया। तब तक वहां पर कोरोना के मात्र 10 केस ही सामने आए थे। तभी से देश ने एयरपोर्ट पर दूसरे देशों से आए लोगों की जांच करनी शुरु कर दी। साथ ही लोगों से एक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भी भरवाया जाता था, जिसमें ट्रैवल हिस्ट्री से लेकर दूसरी कई जानकारियां भरनी होती थी। ये फार्म न केवल एयरपोर्ट पर बल्कि सरकारी ऑफिर, और अस्पतालों में भी भरवाया जाने लगा।

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सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म इसलिए भी रहा मददगार

जिस भी व्यक्ति का टेम्परेचर 38C से ज्यादा पाया जाता, उसे अस्पताल में ले जाकर जांच कराई जाती। वहीं ये सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म इसलिए भी काफी मददगार रहा कि जो भी फॉर्म में अपनी ट्रैवल हिस्ट्री या संपर्क को छिपाता उस पर सख्त कार्रवाई की जाती। धीरे-धीरे बैंक, रेस्त्रां और रेसिडेंशियल इलाकों में भी इस तरीके को लागू करने का निर्देश मिला।

क्वारनटीन का पालन कराने के लिए मिलिट्री की ली गई मदद

केवल इतना ही नहीं यहां पर आम लोगों से क्वारनटीन का पालन करवाए जाने के लिए मिलिट्री की मदद ली गई। ऐसा कहा जा रहा है कि यहां पर सड़कों पर कम्युनिस्ट पार्टी के जासूस खड़े होते थे, जो कि इस बात पर नजर बनाए रखते थे कि कहीं कोई अपना मामला छिपाने की कोशिश को नहीं कर रहा या फिर कोई नियम का उल्लंघन तो नहीं कर रहा।

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वियतनाम में जगह-जगह बनाए गए टेस्टिंग जोन

इसके अलावा वियतनाम में जगह-जगह टेस्टिंग जोन बनाए गए, जहां कोई भी जाकर अपना टेस्ट करवा सकता था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस देश में मार्च की शुरुआत में ही यहां की 3 लैब्स में 3 तरह की जांच को ग्रीन सिग्नल मिल गया था। इस जांच की कीमत कम होने के साथ-साथ किट से केवल 90 मिनट के अंदर ही रिजल्ट आ जाते। जिसके बाद देश में आइसोलेशन और इलाज का प्रोसेश शुरु कर दिया जाता।

लॉकडाउन और क्वारनटीन के लिए उठाए ये कदम

इसके अलावा देश में लॉकडाउन और क्वारनटीन का पालन कराने के लिए भी सख्ती से काम किया। 12 फरवरी को आदेश जारी किया गया कि बाहर से वापस आने वाले लोगों को 14 दिन क्वारनटीन में रहना अनिवार्य है। लोगों को संदिग्ध दिखने पर खुद ही क्वारनटीन में आकर रहने के लिए प्रोत्साहित किया गया। मार्च में लगभग पूरे देश या पूरे शहर या शहर के कुछ हिस्सों को लॉकडाउन करना शुरु कर दिया गया। देश के एक शहर दा नांग (Da Nang) में एक नियम निकाला गया कि दूसरे शहर का कोई भी शख्स इस शहर में आना चाहता है तो उसे 14 दिनों के लिए क्वारनटीन में रहना होगा। साथ ही इस पीरियड में रहने का शुल्क भी उन्हें खुद ही देना होगा।

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सरकार और जनता के बीच लगातार संवाद

सरकार और जनता के बीच लगातार संवाद किया जाता रहा, जिससे देश को ये जीत मिली। संवाद के भी अलग-अलग तरीके निकाले गए। लोगों के फोन पर रोज कोरोना से जुड़ा प्रधानमंत्री या हेल्थ मिनिस्टर या तो स्थानीय प्रशासन का कोई मैसेज आता। देश के नागरिकों को कोरोना के लक्षणों के बारे में मैसेजेस भेजे गए। इसके अलावा लोगों में जोश भरने के लिए एक जुमला तैयार किया गया, जो कुछ इस तरह है- "Every business, every citizen, every residential area must be a fortress to prevent the epidemic"। इस तरह के कई कैंपेन है जो लोगों में जोश भरने का काम करते हैं ताकि लोग मामलों को छिपाए ना और सरकार की मदद करें।

कैंपों में की जाती है देखभाल

वियतनाम में अगर कोई व्यक्ति कोरोना संदिग्ध मिलता है तो उन्हें मिलिट्री द्वारा बनाए गए कैंपों में रखा जाता है, जहां उनकी देखभाल की जाती है। चूंकि इस देश में अस्पताल सीमित हैं इसलिए ये व्यवस्था की गई है। वहीं सोशल मीडिया पर सैनिकों की तस्वीरें डाली जाती हैं कि वो कैसे जंगल या सड़क किनारे सो रहे हैं ताकि लोग भी उनके कैंप में रह सकें। इस कदम का भी लोगों पर काफी पॉजिटिव असर देखने को मिला है।

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