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Luxury Train in India : अरे! Gold ट्रेन, इससे कोई भी कर सकता है आलिशान यात्रा

Luxury Train in India: गोल्ड ट्रेन जिसे एक सपने में ही आजतक देखा होगा लेकिन अब आप गोल्डन ट्रेन में पूरी आलिशान सुविधाओं के साथ ट्रैवल भी कर सकते है, जी हां गोल्डन चैरियॉट ट्रेन से क्या कैसा कहां आपके सारे प्रश्नों का जवाब इस लेख में मिलेगा....

Yachana Jaiswal
Published on: 22 April 2023 5:11 PM IST
Luxury Train in India : अरे! Gold ट्रेन, इससे कोई भी कर सकता है आलिशान यात्रा
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Golden Chariot Train (Pic Credit - Official Website)

Luxury Train in India: सपने में भी गोल्ड ट्रेन शायद किसी ने देखी हो। पर इस कभी देखे गये सपने को आम लोगों के लिए हक़ीक़त में बदलने का काम कर्नाटक सरकार ने कर दिखाया है। यह गोल्डन चैरियॉट ट्रेन पाँच सितारा सुविधाओं से लैस है। यह इस ट्रेन की ख़ासियत ही है कि सोशल मीडिया पर उसने अपनी उपस्थिति से धूम मचा रखी है।

क्या है गोल्डन चैरियॉट ट्रेन?

गोल्डन चैरियॉट ट्रेन का मतलब है स्वर्ण रथ । एक लक्जरी पर्यटक ट्रेन, जो कुछ चुनिंदा यात्रा के लिए बनाए गए, कार्यक्रम के आधार पर भारतीय राज्यों जैसे कर्नाटक , गोवा , केरल और तमिलनाडु के साथ-साथ पुडुचेरी के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को जोड़ने का काम करती है। ट्रेन का संचालन कर्नाटक राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा किया जाता है। इसके साथ मेपल ग्रुप ट्रेन में आतिथ्य सेवाओं का जिम्मा उठाए हुए है। इस शानदार और इंटरेस्टिंग ट्रेन का उद्देश्य मेहमानों को भारत के दक्षिण में जीवन भर का शानदार और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करना है।

नाम कैसे पड़ा?

इस ट्रेन का नाम हम्पी में स्थित विठ्ठला मंदिर में एक पत्थर के रथ के नाम पर रखा गया है। ट्रेन में 19 डिब्बे है, जो बैंगनी और सोने के रंग के है। एक हाथी के सिर और एक शेर के शरीर के साथ एक पौराणिक जानवर के लोगो को दर्शाते है।

गोल्डन चैरियॉट ट्रेन का पहला वाणिज्यिक संचालन 10 मार्च 2008 को किया गया था, आम तौर पर अक्टूबर-मार्च के महीनों के दौरान साप्ताहिक तौर पर यह ट्रेन चलती है। 2022-23 सीज़न के दौरान रविवार को प्रस्थान होता है। ट्रेन को अधिक लोकप्रिय ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स के आधार पर डिजाइन किया गया है ।

कैसे बनी यह ट्रेन?

जब पैलेस ऑन व्हील्स की सफलता कर्नाटक राज्य पर्यटन और विकास निगम (KSTDC) के गलियारों तक पहुंची, तब इसके परिणामस्वरूप 2002 में राज्य पर्यटन बोर्ड और भारतीय रेलवे के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। बाद में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ( ICF ) ने इस लग्जरी ट्रेन को साकार रूप देने का जिम्मा लिया। डिजाइन को अंतिम रूप देने से पहले इंजीनियरों द्वारा लगभग 900 डिजाइन लेआउट तैयार किए गए थे।

आर्किटेक्ट कुसुम पेंडसे ने रेलवे कोचों के डिजाइन को पूरा करने के लिए 200 कारपेंटरों की एक टीम के साथ काम किया और इस प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग 4 महीनो का समय लिया।

कर्नाटक के लालित्य और स्वर्ण जयंती समारोह के प्रतीक बैंगनी और सोने के क्लासिक रंगों में रंगे पटरियों पर स्वर्ण रथ का अनावरण 23 जनवरी , 2008 को किया गया। इसके लिए यशवंतपुर रेलवे स्टेशन पर एक उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया था । जिसमें भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर शुरू किया। स्वर्ण रथ ट्रेन ने बेंगलुरू से गोवा तक 10 मार्च 2008 को, अपनी पहली यात्रा शुरू की थी।

कैसी है गोल्डन चैरियॉट ट्रेन?

ट्रेन 18 डिब्बों में 44 केबिनों में रहने की सुविधा दी जाती है, जिनका नाम इस क्षेत्र पर शासन करने वाले राजवंशों के नाम पर रखा गया है: कदंब , होयसला , राष्ट्रकूट , गंगा , चालुक्य , बहमनी , आदिल शाही , संगम , सातवाहन , यदुकुला और विजयनगर आदि के नाम पर है।

ट्रेन में दो रेस्तरां, एक लाउंज बार, सम्मेलन कक्ष, जिम और स्पा भी शामिल है। इसमें यूएसबी-स्टिक के माध्यम से ऑनबोर्ड इंटरनेट कनेक्टिविटी भी है, केबिन में लाइव टेलीविजन सेवा प्रदान करने वाले उपग्रह एंटीना भी लगाए गए है।

कब कब और किस क्षेत्र के लिए चलती है ?

स्वर्ण रथ ट्रेन का यात्रा कार्यक्रम 3 है: ज्वेल्स ऑफ़ साउथ(दक्षिण के गहने), और कर्नाटक का गौरव, 6 रातों और 7 दिनों के सफर के साथ चलती है, वही तीसरा कर्नाटक की झलक, 3 रातों और 4 दिनों के सफर के लिए चलती है। यह अक्टूबर के महीने में दशहरा उत्सव का दौरा भी कराता है ।

दक्षिण के रत्न

ज्वेल्स ऑफ साउथ छह दिन का सफर कराता है, जो बेंगलुरु से प्रस्थान करता है और मैसूर , हम्पी , काबिनी नदी , हसन , बादामी और गोवा तक का यात्रा कराता है और बेंगलुरु लौटने के साथ मामल्लपुरम को भी जोड़ता है।

कर्नाटक की शान

प्राइड ऑफ कर्नाटक बेंगलुरु से प्रस्थान करती है और बांदीपुर , मैसूर , द्वारसमुद्र , चिकमगलुरु , हम्पी , पट्टदकल और ऐहोल , और गोवा का दौरा करा कर बेंगलुरु लौट जाती है।

कर्नाटक की झलक

कर्नाटक की झलक बेंगलुरु से प्रस्थान करती है और बांदीपुर, मैसूर और हम्पी का दौरा करा कर बेंगलुरु लौटती है।

दशहरा यात्रा

पर्यटन विभाग और कर्नाटक राज्य पर्यटन विकास निगम (केएसटीडीसी) ने त्योहार दिखाने के लिए दशहरा यात्रा की शुरुआत का भी निर्णय लिया है।

गोल्डन चैरियॉट ट्रेन में ट्रैवल से क्या मिल सकता है?

गोल्डन चैरियट ट्रेन मार्ग पर यात्रा करना केवल ट्रेन के बाहर व्यापक सुंदरता का आनंद लेने भर का नहीं है। बल्कि यह पहियों पर एक आधुनिक महल में यात्रा करने का एक असाधारण अनुभव भी प्रदान करता है। कई शताब्दियों तक दक्षिण भारत पर शासन करने वाले शक्तिशाली राजवंशों से प्रेरित होकर, ट्रेन के अतिथि डिब्बे डेक्कन के गौरवशाली अतीत की रहस्यमय कहानियों को भी उजागर करते है, साथ ही साथ आधुनिक पीढ़ी के लिए आवश्यक सभी सुख-सुविधाएं भी प्रदान करते हैं।

आपकी यात्रा को स्मरणीय बनाने के लिए ऐसी लग्जरी सुविधाएं दी जाती है कि यात्रा का अनुभव यादगार बन जायेगा।

  • भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्यंजन
  • मानार्थ हाउस वाइन, स्पिरिट और बियर
  • प्रवेश शुल्क के साथ पर्यटन स्थलों का भ्रमण
  • एक अनुभवी टूर डायरेक्टर की सेवाएं
  • गैर-अंग्रेजी भाषी मेहमानों के लिए भाषा गाइड
  • वातानुकूलित बसों में ऑफ-बोर्ड भ्रमण
  • अतिरिक्त भुगतान पर वैकल्पिक भ्रमण
  • चौबीसों घंटे सेवा के लिए सेवक
  • सीसीटीवी कैमरे, इलेक्ट्रॉनिक तिजोरी, स्मोक डिटेक्टर और 24×7 सुरक्षा
  • ट्विन/डबल बेड वाले केबिन में आरामदायक आवास
  • विभिन्न प्रकार के प्रसाधनों के साथ सलंग्न बाथरूम
  • बाथरूम में 24 घंटे गर्म/ठंडे पानी की आपूर्ति
  • प्रत्येक कमरे में वाईफाई और टेलीविजन सेट
  • ट्रेन में salon की सुविधा

इसके अलावा आप अपने संतुष्टी के लिए गोल्डन चैरियाट ट्रेन की वेबसाइट www.goldenchariot.org पर जाकर भी डिटेल्स देख सकते है।



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